जूम इन

बॉलीवुड महामारी की थाली है

 

बुरा वक्त है। बुरा वक्त आता है तो एक जगह नहीं टिकता। वह चपेट में लेता है। एक के बाद एक। सुशान्त का जो बुरा समय आया, फैलता गया। सुशान्त का जो बुरा समय आया तो रिया का बुरा वक्त भी आया। रिया का बुरा वक्त आया जो रिया तक ही नहीं रहा। औरों के भी आए। छोटे बड़े सब के आए।

फिलहाल बिना भुगतान पाये दीपिका पादुकोण चैनलों का टीआरपी बढ़ा रही हैं। इससे बुरा वक्त और क्या आएगा कि दीपिका डंके की चोट पर  बेची जा रही हैं, लेकिन उनका माल और मान दोनों ही डेफिसिट में जा रहा है। वकील का खर्च तो बढ़ेगा ही। मान पर डाका पड़ गया है और माल आने के अवसर पर ताले लटकने वाले हैं। वह भी तब जब दीपिका का कैरियर ग्राफ जवानी की तरह चढ़ान पर है। सुशांत भी भरी जवानी में जिबह हो गया था।  

लेकिन बुरे वक्त की मार से कौन बचा है? जीरो फिगर के लिए जानी जाने वाली दीपिका की फायरिंग फिगर फुस्स हो सकती है। एनसीबी की सक्रियता से दीपिका की फूंक निकल सकती है। रिया और कई लोगों की फूंक ऊपर की ऊपर नीचे की नीचे अटक गई होगी। जेल की मियाद बढ़ गई है। जमानत का जुगाड़ जल्दी बनता हुआ नहीं दिख रहा है। जलजला बना हुआ है जॉलीवुड में। जमाना है कि जलजला के जलवे के जायके के साथ जी रहा है।

ऐसे समय में जब बॉलीवुड का समय बुरा चल रहा था कोरोना की मार से, वाया सुशान्त माल का मामला आ गया। कई लोग भारत सरकार के मेहमान हैं जेल में, इसी माल के मामले में। जो मेहमान नहीं बने हैं अभी, उनमें से कई के स्वागत में लगी है सरकार। फिलहाल सारा अली खान, श्रद्धा कपूर समेत सात सहेलियों ने जिज्ञासु बना रखा है हमें।

ये सुंदरियाँ लेती रही होंगी माल, अकेले में या पार्टी में। हम तो इनके माल लेने की कहानियों से ही रोमांच महसूस करते हैं। माल सुड़कने से इन्हें जो मजा आता होगा, इसका मजा हम जमा लेते हैं। जोगिया रंग में रंगाए मनोज तिवारी को भी मजा आ गया। मजे से उनको याद आया कि जेएनयू  गई थीं दीपिका। बुरे वक्त में अच्छे दिन का स्वाद आया उन्हें। जब भी अच्छे दिन की बात चलेगी, सुशान्त की याद आएगी।

माल का मामला कुछ ऐसा छा गया कि छेद की याद दिलाई गई संसद में। वहाँ केवल एक मुहावरे की याद दिलाई गई। एक मुहावरा और है जिसमें बहत्तर छेद की चर्चा है। बॉलीवुड के अपने बहत्तर छेद हैं। बॉलीवुड माने छेद ही छेद।

बॉलीवुड के एक भाई हैं। छेद उनका प्रिय शब्द है। इतना प्रिय कि उनका एक संवाद है : इतने छेद करूंगा कि कन्फ्यूज हो जाओगे कि …। बॉलीवुड के खुद्दारों ने बॉलीवुड में इतने छेद किए हैं कि बॉलीवुड कन्फ्यूज है कि सांस लें तो कहाँ से लें। जब भी सांस लेने की छोटी सी भी हरकत करता है बदबू फैलने लगती है। बॉलीवुड गंधा रहा है। बॉलीवुड एक संस्कृति है : गंधगंद संस्कृति।

गंधगंद संस्कृति की थाली हमेशा माल से सजती है। माल हर उस पदार्थ का संबोधन है जो उत्तेजना की जननी है। कंचन, कामिनी, कनक और हिंसा जब एक साथ एक थाली में परोसे जाते हैं तो विषाणुओं का दल पैदा होता है। महामारी पैदा होती है।

बॉलीवुड किसी बड़ी महामारी से कम नहीं है। बॉलीवुड की अधिकांश फिल्में ऐसी ही थाली हैं, विषाणु भरी।

– क्या महामारी से बचने के लिए किसी वैक्सीन की तैयारी चल रही है?

– वैक्सीन काहे का महाराज ! यह महामारी नया विस्तार पा रही है। वेब सीरीज ऐसा ही सॉफ्ट पोर्न प्रोडक्ट है, विषाणुओं से भरा।

इस थाली में छेद करने भर से ही काम नहीं चलेगा, इसको पलट देना पड़ेगा। बिल्कुल उलट पलट। नयी इबारत लिखने के लिए। नयी सभ्यता के लिए।

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मृत्युंजय श्रीवास्तव

लेखक प्रबुद्ध साहित्यकार, अनुवादक एवं रंगकर्मी हैं। सम्पर्क- +919433076174, mrityunjoy.kolkata@gmail.com
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