शब्द, दृश्य और बहुसंख्यकवाद
शब्दों का कितना मारक असर होता है इसका अहसास बहुतों को पहली बार तब हुआ होगा...
शब्दों का कितना मारक असर होता है इसका अहसास बहुतों को पहली बार तब हुआ होगा...
गोपेश्वर सिंह की नई पुस्तक ‘आलोचक का आत्मावलोकन’ का लोकार्पण विश्व...
हनुमान वह हैं जिन्होंने राम का मन्दिर मन में बनाने का सन्देश दिया था।...
अनोखे जीवट वाली ममता बनर्जी भारतीय राजनीति की जानकार हैं। राजनीतिक हवा की...
दादा और गुरु दोनों शब्दों का अर्थ विस्तार हुआ है। अब दादा वे नहीं हैं,...
‘लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ ‘ यह नए हिंदुस्तान की नींव रखने वाला एक नारा नहीं,...
लेखक तीन तरह के होते हैं। एक वे जो लिखते हैं, मगर लेखक नहीं होते। दूसरे वे जो...
मुगल-ए-आजम वह फिल्म थी जो सबके सर चढ़ कर बोली थी। साठ साल पहले। सन साठ में।...
किसान अब वह नहीं है जिसके कन्धे पर हल होता था और हाथों में हँसिया। वो भी...
धर्मनिरपेक्षता जमीनी हकीकत नहीं है, बल्ली पर टंगी हुई एक मृत अवधारणा है अब।...