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पाकिस्तान में विरोधी स्वरों के मायने

 

पिछले कई वर्षों से राजनीतिक भंवरजाल में पूरी तरह से फंसे पाकिस्तान के हालात ठीक होने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसे इस रूप में भी कहा जा सकता है कि अभावों का दंश भुगत रही पाकिस्तान की जनता अपने शासकों से जनहित में निर्णय लेने की भारी उम्मीद लगाती है और जब ये शासक जनता की उम्मीद पर खरा उतरने में असमर्थ होती है, तब सरकार बनाने वाली वही जनता अपनी ही सरकार के विरोध में सड़क पर उतरने को बाध्य हो जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि वहां की सरकारें अपनी स्थिरता को कायम नहीं रख पाती है, जिसके कारण पाकिस्तान में विसंगतियों का पहाड़ बेलगाम गति से अपने आकार को बढ़ाता जा रहा है। कहा जाता है कि इन विसंगतियों का दुष्प्रभाव सरकार में बैठे पाकिस्तान के हुक्मरानों पर कतई नहीं होता, लेकिन जनता दो पाटों के बीच पिसने को विवश हो जाती है। इसी कारण जनता विरोध करने पर उतारू हो जाती है। अभी हाल ही में पाकिस्तान के कुछ प्रांतों में पाकिस्तान के विरोध और भारत के समर्थन में आवाज उठने लगी है, जिससे इस भावना को भी बल मिला है कि भारत से अलग होकर बने देश फिर से भारत में मिलने का सपना पालने लगे हैं।

कहा जाता है कि जिस प्रकार से घड़ी की एक बार अपनी पूर्व की स्थिति में आ जाती हैं, उसी प्रकार इतिहास भी अपने आपको दोहराता है। आज भारत से अलग हुए देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका की हालात अत्यंत विकराल है, वहां अर्थ व्यवस्था लगभग चौपट हो चुकी है। बांग्लादेश से विस्थापित होने वाले लोग अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं। इसी प्रकार अब पाकिस्तान में वहां की जनता संप्रदाय में विभाजित मुस्लिम कट्टरपंथी जमात के निशाने पर है। वे भारत में आना चाहते हैं। इससे इस बात की संभावनाएं बलबती होती जा रही हैं, कि क्या पाकिस्तान टूटने की ओर अग्रसर हो रहा है। पाकिस्तान के अंदर विभिन्न प्रांतों में भारत में मिलने की आवाज पहले से ही उठ रही है, लेकिन अब इस मांग ने और जोर पकड़ लिया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले काश्मीर और बलूचिस्तान में हालात बेकाबू से होते जा रहे हैं। वहां शिया समुदाय और सुन्नी मुसलमानों के बीच अस्तित्व का टकराव है। सुन्नी मुसलमान शियाओं को सहन करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए अब वहां के लोगों ने खुले रूप में यह कहना प्रारंभ कर दिया है कि हम भारत जाना चाहते हैं। इस प्रकार के अब आम होते जा रहे हैं।

पाकिस्तान की समस्या मात्र इतनी ही नहीं है। पाकिस्तान में आसमान छूती महंगाई ने जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। महंगाई की स्थिति यह है कि दैनिक उपयोग की वस्तुएं आम जनता से बहुत दूर होती जा रही है। जनता के सामने भूखों मरने की स्थिति बनती जा रही है। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के आतंकी सरगना सरकार को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं, जिसके कारण वहां की सरकार चाहते हुए भी ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकती, जो जनता को आतंक से मुक्ति दिलाने में समर्थ हो सके। इसके चलते पाकिस्तान के ऊपर आतंक को समाप्त करने का वैश्विक दबाव भी बनता जा रहा है। एफएटीएफ ने कई बार पाकिस्तान को चेतावनी भी है, लेकिन पाकिस्तान की सरकार एफएटीएफ की कसौटी पर खरी नहीं उतर रही, जिसके कारण पाकिस्तान के ऊपर ब्लैक लिस्टेड होने का खतरा बना हुआ है।

पूरा विश्व इस बात को भली भांति जानता है कि आज ब्लूचिस्तान, गिलगित और बाल्टिस्तान में जिस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन किया जा रहा है, उसमें पाकिस्तान का चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो गया है। इन स्थानों पर अंदर ही अंदर पाकिस्तान के विरोध में वातावरण बना हुआ है। कुछ लोगों ने खुलकर विरोध करना प्रारंभ कर दिया है, और कुछ लोग पाकिस्तान के दमनकारी रवैये के कारण डरे सहमे हुए हैं। अगर पाकिस्तान के इन क्षेत्रों के लोगों की भावनाओं को समझा जाए तो यह क्षेत्र किसी भी तरीके से पाकिस्तान के साथ रहना नहीं चाहते। सिंध और ब्लूचिस्तान की जनता की ओर से जहां भारत में शामिल होने के स्वर सुनाई देने लगे हैं। इतना ही नहीं इन प्रदर्शनकारियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का खुलकर समर्थन भी किया है। आगे चलकर यह भी हो सकता है कि ब्लूचिस्तान और सिंध की तर्ज पर पाकिस्तान के पंजाब में भी आजादी की मांग उठने लगे। क्योंकि पंजाब के कई लोग अपने आपको आज भी स्वाभाविक रुप से भारत का हिस्सा ही मानते हैं। वहां भारतीय संस्कृति के अवशेष बिखरे हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं वहां के जनजीवन में भी भारतीयता की झलक दिखाई देती है।

इसके साथ ही कश्मीर की बात करें तो वहां के वातावरण को बिगाड़ने में पाकिस्तान का पूरा हाथ रहा है। यहां पर एक बात तो साफ है कि पूरी समस्या के लिए पाकिस्तान ही दोषी है, फिर भी उलटा चोर कोतवाल को डाटे वाली तर्ज पर पाकिस्तान की सरकार चल रही है। पाकिस्तान के अपने प्रांतों में वर्तमान में जो हालत है, उसके लिए पाकिस्तान के सरकारी मुखिया और आतंकवाद फैलाने वाले संगठन ही जिम्मेदार हैं। पाकिस्तान के विरोध में पाकिस्तानियों के खड़े होने का आशय यही है कि वहां का हर व्यक्ति आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। आज ब्लूचिस्तान में पाकिस्तान से आजादी की मांग करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन हो रहे हैं। अब सवाल यह आता है कि जिस प्रकार से ब्लूचिस्तान और सिंध में पाकिस्तान से आजाद होने की आवाजें उठ रही हैं, उसमें भारत की क्या भूमिका रहेगी। पाकिस्तान के प्रांतों में आजादी के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते एक बात स्पष्ट रुप से दिखाई दे रही है कि पाकिस्तान भविष्य में तीन या चार हिस्सों में विभाजित हो जाएगा और भारत के अखंड होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा 

सुरेश हिन्दुस्थानी

वरिष्ठ पत्रकार

मोबाइल : 9770015780

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