लाइफस्टाइलविशेष

वो प्यार था या कुछ और

 

वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही प्रेम का भी मौसम देश-दुनिया में गुलजार होने लगता है। हर तरफ बाजार प्रेम के प्रतीकों से भर जाता है। युवाओं अथवा प्रेमी युगलों में जोश देखने लायक होता है। प्यार के नाम पर आज एक बड़ा व्यापार हमारे सामने है। वेलेंटाइन (7 से 14 फरवरी) और एंटी वेलेंटाइन (15 से 21 फरवरी) दोनों के नाम पर पूरा बाजार सज-धजकर तैयार हो जाता है। प्रेम के इस आगाज और अंत दोनों के ही इस उत्सव का बहुत ही अद्भूत नजारा होता है। 21 फरवरी को युवा ब्रेकअप डे के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। खासतौर पर वे, जो प्रेम में कड़वे अनुभव से होकर गुजरते हैं। किंतु, वे शायद इस बात से अनजान होते हैं कि सच्‍चा प्रेम कड़वाहट नहीं, बल्कि मिठास से भर देता है। यह छूट तो सकता है, लेकिन टूट नहीं सकता। किंतु नये युग के प्रेमी, इच्‍छानुरूप प्रेम नहीं मिलने पर ब्रेकअप को भी उतने ही उत्‍साह से मनाने लगे हैं, जितने की प्रेम में होने पर उत्‍सव मनाते हैं।

कुछ दिन पहले एक व्यक्ति से किसी सिलसिले में फोन के माध्यम से मेरी पहचान हुई। धीरे-धीरे प्रोफेशनली हम एक-दूसरे से जुड़ गये और अक्‍सर बातचीत होने लगी। एक दिन ऐसे ही बातों-बातों में उस व्‍यक्ति ने बताया कि उन्होंने प्रेम विवाह किया है, वह भी अंतरजातीय। कुछ दिन बाद फिर पता चला कि उनकी पत्नी जिसके लिए इन्होंने अपना सबकुछ छोड़ दिया, वे हर समय उनकी बची-खुची चीजें भी छुड़वाने में लगी रहती है। शक और असुरक्षा का ऐसा आलम कि पत्नी अपने पति के मोबाइल से सभी महिलाओं का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया करती। मैसेज करके पीठ पीछे चेक करती कि सामने से क्या जवाब आता है। जरा भी किसी पर संदेह होता तो फिर एक झटके में घर में भूचाल सा आ जाता।

पति के फेसबुक अकाउंट से चैटिंग और मैसेज करके भी महिलाओं को गुमराह करती और यह जानने की कोशिश करती कि कहीं पति का किसी से कोई चक्कर तो नहीं। थोड़ा भी शक होने की स्थिति में बीच मोहल्ले में ही खड़ी होकर चिल्लाना शुरू कर देती या फिर घर में भी इतनी जोर-जोर से झगड़ा करती कि पूरा मोहल्ला जान जाता। बात-बात पर मायके चले जाना या फिर घर छोड़कर जाने और तलाक की धमकी देना भी रोजमर्रा का हिस्सा हो गया था। थोड़ा भी शक होने पर जाति सूचक बातें, गाली-ग्‍लौज करने से वे जरा भी नहीं हिचकती। इन सब को वह प्‍यार का नाम दे देती और कहती कि प्‍यार नहीं होता तो तुम्‍हें कुछ नहीं कहती। इस तरह के प्रेम ने उस व्‍यक्ति के मन में ऐसा कलह पैदा कर दिया कि उन्‍हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह प्यार था कि इस प्‍यार को क्‍या नाम दूं? जीवन नरक से भी बद्तर हो गया था।

प्रेम में यह मुकाम कोई नया नहीं है, बल्कि आये दिन इस तरह की घटनायें सामने आती रहती है। एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाले लोगों के बीच ऐसा भी दिन आता है, जब एक-दूसरे को मारने तक पर उतारू हो जाते हैं और फिर उनके बीच ठीक वैसी ही नौबत आ जाती है, जैसी श्रद्धा और अफताब के रिश्ते में आयी। या फिर निक्‍की और साहिल के बीच। साहिल ने जिस दिन निक्‍की को मारा उसी दिन दूसरी लड़की से पुन: विवाह रचा डाला। वहीं, श्रद्धा की लाश घर में पड़े रहने के बाद भी प्यार के नाम पर दूसरी गर्ल फ्रेंड को घर में लाकर अय्याशी करना कौन सा प्यार था, यह समझना मुश्किल है। क्‍या कोई प्रेमी इतनी निर्ममता से अपनी प्रेमिका को चोट पहुंचा सकता है। इतनी निर्ममता तो छोड़िए थोड़ा भी प्रेम होता तो प्रेमिका को दर्द देने के पहले खुद ही उसकी रूह कांप जाती।

प्‍यार जैसा प्रतीत होने वाला एक ऐसा ही दूसरा किस्सा देखने को मिला, जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से सभी तरह के सम्बन्ध रखना चाहता है। किंतु, जैसे ही शादी की बात आती तो वह यह कहते हुए पीछे हट जाता कि मैं अपने मां-बाप के खिलाफ नहीं जा सकता हूँ। लगभग 10 साल तक इस तथाकथित प्रेम सम्बन्ध के बाद प्रेमी ने किसी और से अपने मां-बाप की मर्जी से, लड़की वालों से मोटी रकम लेकर शादी कर ली। कुछ दिनों बाद प्रेमिका ने भी अपनी पसंद से दूसरे लड़के से शादी रचा ली। जब प्रेमी को प्रेमिका की शादी की खबर लगी तो उसने इमोशनल अत्‍याचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह बिल्कुल नहीं चाहता था कि उसकी संपत्ति (तथाकथित प्रेमिका) किसी और की हो जाय और वह उसे भोगने से वंचित रह जाये। जब इतने से भी बात नहीं बनी, तब प्रेमी ने यह कहना शुरू कर दिया कि तुम मेरी पत्नी हो और हमेशा रहोगी। लेकिन साथ देने की जब भी बारी आयी तो वह नदारद ही रहा। फिर प्रेमिका को बाद में यह एहसास हुआ कि प्रेमी द्वारा पत्नी कहकर संबोधित करना आसान और फ्री में शरीर पाने का एक उत्तम जरिया मात्र है। शायद इसीलिए लोग बहुत कम ही दिनों में अपनी प्रेमिका को पत्नी के रूप में संबोधित करने लगते हैं। लेकिन वास्तव में जब पति धर्म निभाने की बारी आती है, तब खोखली बातों की असलियत सामने आती है।

 

आज प्यार का जो विकृत रूप सामने उभरकर आया है, वह बेहद निराशाजनक है। अभी कुछ दिन पहले बिलासपुर की एक घटना सामने आयी थी, जिसमें दो प्रेमी युगल आधी रात को कार में सवार होकर पार्टी मनाने जा रहे थें और गाड़ी ऐसी दुर्घटनाग्रस्त हुई कि हड्डियां तक जल कर खाख हो गई। विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय से बाहर युवक-युवतियों का तथाकथित जो प्रेम सामने आता है, वह आकर्षण और वासना के अलावा कहीं से कुछ और नहीं प्रतीत होता है। आज का रिश्ता स्वार्थ के आधार पर बन रहा है, जहाँ जब तक फायदा मिलता है, तब तक तो ठीक है, लेकिन जैसे ही फायदा खत्म, रिश्ता खत्म। कुछ ही मुलाकातों और बातों में लोग एक-दूसरे को आई लव यू और आई फॉल इन लव विद यू कहने लगते हैं। ये बात बहुत बाद में पता चल पाती है कि वे प्यार में नहीं गिरे हैं, बल्कि वे हर तरफ से गिरने लगे हैं। दिन भर आई लव यू का राग अलापने वाले लोगों का प्रेम शरीर पर अक्‍सर खत्‍म हो जाता है और कुछ ही दिनों बाद वह किसी दूसरे के प्‍यार में गिरने लगते हैं।

वेलेंटाइन और एंटी वेलेंटाइन वीक बड़ा ही विचित्र लगता है। एक तरफ तो यह संत वेलेंटाइन के प्रेम में त्याग और कुर्बानी का प्रतीक है। वहीं, दूसरी ओर इसका अंत ब्रेकअप डे से होना प्रेम को अपेक्षा और स्वार्थ से जोड़ देता है। अर्थात् अपेक्षा पूरी न हो तो ब्रेकअप कर लो। यही सीख आज की युवा पीढ़ी ने ले ली है कि जैसे ही एक से मन भर जाये दूसरे के साथ हो लो या फिर अपेक्षा पूरी न हो तो तू नहीं तो और सही, और नहीं तो कोई और सही के तर्ज पर प्रेम करो।

वेलेंटाइन्स-डे

अब तो सच में ऐसा लगता है कि मोहब्बत के किस्से सिर्फ किताबों में ही सिमट कर रह गई है, हकीकत की दुनिया में मोहब्बत बची ही नहीं है। जिस ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता था, आज उस पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। एक समय था, जब हर प्रेमिका अपने प्रेमी से पूछती थी कि मेरे लिए ताजमहल कब बनवाओगे? लेकिन अब प्रेमी जैसे ही अपनी प्रेमिका के लिए ताज महल बनवाने की बात कहता है तो वह शक के घेरे में आ जाता है। प्रेम के नाम पर शरीर को हासिल करना एक आम धारणा बन गई है। प्रेम और वासना के बीच का फर्क ही आज के प्रेमी युगलों ने मिटा दिया है।

संत वेलेंटाइन ने जिस प्रेम की बात की थी, वह त्‍याग और बलिदान का प्रतीक है। इस प्रेम में अपनी खुशी से ज्‍यादा सामने वाली की खुशी मायने रखती है। यह उस प्रेम की बात करता है जो हमारे इतिहास के पन्‍नों में सदियों से दर्ज है। जहाँ एक-दूसरे की जान लेने की बात कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। इस प्रेम में तो लोगों ने सदैव एक-दूसरे के लिए जान दिया है। प्रेम तो वह सुखद एहसास जिसमें दुनिया सबसे खूबसूरत लगने लगती है। प्रेम का कोई भी रूप लोगों को जीने और कुछ भी कर गुजरने की वजह देती है। इसलिए यदि वास्‍तव में प्रेम के इस उत्‍सव डे को प्रेमी युगल मनाना चाहते हैं तो प्रेम के निहितार्थ को समझना बेहद जरूरी है

.

कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।
Show More

अमिता

लेखिका स्वतंत्र लेखक एवं शिक्षाविद हैं। सम्पर्क +919406009605, amitamasscom@gmail.com
5 3 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

3 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
3
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x