लेखक, निर्देशक – महेश राजपूत
कास्ट – मनोज कुमार शर्मा, रश्मि भारद्वाज, संजीव कौशिश, आकांक्षा शांडिल, जसप्रीत कौर आदि
इस महामारी ने कुछ और सिखाया हो या ना सिखाया हो लेकिन एक जगह हम इंसानों के अच्छे रूप के तो दूसरी ओर उसके निर्दयी, लालची, स्वार्थपरता के दर्शन जरूर करवाए हैं।
एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपनी नौकरियां जरूर गंवाई हैं इस महामारी में। जिसमें न जाने कितनों ने पढ़ाई के लिए, कितनों ने घर बनाने में, कितनों ने शादी-ब्याह के लिए तो कितनों ने अन्य जरूरतों के लिए जो लोन लिए थे वो नौकरी जाने के बाद नहीं चुका पाए होंगे। वहीं कुछ ऐसी महिलाएं भी थीं जो गर्भावस्था में भी काम कर रहीं थी।
यह फ़िल्म उन्हीं सब लोगों की विभिन्न परिस्थितियों को जब हमारे सामने लेकर आती है तो हम इस फ़िल्म की कहानी लिखने वालों की हल्की सी पीठ थपथपा सकते हैं। इस फ़िल्म में एक तरह से अंत में कर्म का लेखा-जोखा भी सामने आता है और धोखा, स्वार्थपरता भी।
15 मिनट की इस फ़िल्म में हालांकि कुछ किरदारों ने बेहतर काम किया है तो कुछ ने औसत। फ़िल्म की शुरुआत में कैमरा थोड़ा गड़बड़ाता हुआ दिखाई देता है लेकिन एडिटर गोपाल राघानी ने उसे अपने मजबूत हाथों से सम्भालने की भरपूर कोशिश की है। और इसमें वे कामयाब भी हुए हैं। साहिर बनवैट, रश्मि भारद्वाज, जसप्रीत कौर अभिनय करते हुए ज्यादा जंचे वहीं मुख्य भूमिका में मनोज कुमार शर्मा कहीं-कहीं एक दो जगह छोड़ दें तो वे भी ठीक लगे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रेस फ्रीडम डे के दिन आई एवं मैडनेस विदाउट मैथड एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी यह फ़िल्म मात्र बीस रुपये का हल्का सा शुल्क चुका कर इस लिंक पर देखी जा सकती है।
अपनी रेटिंग – ढाई स्टार
तेजस पूनियां
लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com

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जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
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