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SYL नहर : पानी भले नहीं बही… बेधड़क बह रही राजनीति…

sablog.in डेस्क :- SYL (सतलज-यमुना लिंक) नहर। हरियाणा-पंजाब के बीच की नहर। करीब छह दशक हो गए, नहर में पानी तो नहीं बही, लेकिन राजनीति बदस्तूर जारी है। नेताओं की बयानबाजी नहर में बह रही है। जनता के सूखे हलक को तर करने और खेतों तक पानी पहुंचाने की वकालत करते हुए इस नहर को फाइल से निकालकर धरती पर उतारा गया। और, एक दिन आज का है, रानजीति जारी है। हरियाणा बंद की बात कही जा रही है। एक-दूसरे पर आरोप मढ़े जा रहे हैं, लेकिन एक बूंद पानी ना तो नहर को नसीब हुई और ना ही प्यासी आवाम का गला ही तर हो सका।

हरियाणा बंद के मायने और SYL का भविष्य

कभी हरियाणा की राजनीति में रसूख रखने वाली इनेलो ने हमेशा ही SYL के मुद्दे को हथियाने का काम किया है। SYL के मुद्दे पर कभी जलयुद्ध किया गया तो कभी जेल भरो आंदोलन। नतीजा सिफर। बात आई और गई हो गई। अब 18 अगस्त को हरियाणा बंद का ऐलान किया गया है। इनेलो नेताओं का कार्यकर्ताओं के साथ बैठक का दौर जारी है। 18 अगस्त के बंद को लेकर नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला तैयार हैं। जाहिर है आरोप भी लगाए जा रहे हैं। जनता को गोलबंद करने की कोशिश जारी है। लेकिन, तय है सड़क पर SYL का मुद्दा हल नहीं हो सकेगा। अभय चौटाला ने साफ कर दिया है कि अब SYL को लेकर आर-पार की लड़ाई होगी।

पूर्व सीएम के बोल… SYL पर इनेलो का बंद नाटक…

बात इनेलो की नहीं है। बात निकली है तो दूर तक जरूर जाएगी। दरअसल, SYL और इनेलो के बीच कांग्रेस भी है तो पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी। शुक्रवार को पूर्व सीएम हुड्डा ने चंडीगढ़ में पत्रकारों के बातचीत के दौरान किसानों का मुद्दा उठाकर सरकार पर निशाना साधा तो SYL का जिक्र करने से नहीं चूके। हुड्डा ने इनेलो को SYL पर नाटक करने वाला करार दिया। यहां तक कह डाला कि इनेलो सिर्फ राजनीति कर रही है। लगे हाथ उन्होंने भाजपा सरकार पर भी आरोप मढ़े। हुड्डा ने साफ कर डाला है कि कांग्रेस भी SYL की राजनीति से दूर नहीं रहेगी।

इंतज़ार करिए… कतार में हम भी हैं…

जी हां, बात विपक्ष की हो तो सत्ता पक्ष का जिक्र किए बिना नहीं रहा जा सकता है। और, SYL पर सरकार का पक्ष मजबूत करने का जिम्मा उठाया है हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने। विज ने मुंह खोला और ऐसा बयान दिया कि विपक्षी खेमे में खलबली मच गई। विज ने इनेलो पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘अगर तुम चाहते हो कि जिन्न तुम्हें नहीं खाए तो जिन्न को कोई ना कोई काम देकर रखो। चाहे पाइप पर तेल लगाकर उसे चढ़ने-उतरने का काम दे दो।‘ मतलब, विज ने इनेलो के SYL पर जारी आंदोलन पर सवालिया निशान लगा दिया है।

आपके अंगने में मेरा भी बड़ा काम है !

अब बात की जाए दिल्ली की। दिल्ली देश की राजनीति की धुरी। सीएम अरविंद केजरीवाल और SYL की आंच। वो भी इससे तपे बिना नहीं रह सके। जब बदन तपा तो तकलीफ बयान के रूप में सामने आ गई। केजरीवाल ने कह डाला कि वो चाहते हैं कि पंजाब और हरियाणा को SYL पर न्याय मिले। टर्म एंड कंडीशन यह लगा दिया कि फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है। चलते-चलते केजरीवाल कांग्रेस, भाजपा और इनेलो पर SYL को लेकर गंदी वाली राजनीति करने का आरोप भी मढ़ दिया। मतलब साफ है, पार्टियां बदल जाएं आज भी सभी के लिए SYL मुख्य मुद्दा है।

आखिर SYL इतना खास क्यों है… जानिए SYL के बारे में…

हरियाणा में मिशन 2019 पर राजनीति जारी है। कोई जनक्रांति यात्रा कर रहा है तो कोई साइकिल पर सवार है। हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है जहां किसानों के कल्याण की बात कम लेकिन किसान धन्यवाद रैली ज्यादा होती है। खैर, राजनीति का मकसद अपनी रोटी पहले सेंकना होता है, लेकिन आपको जानना चाहिए कि यह SYL क्या बला है? आखिर, SYL इतना खास क्यों है? इसके लिए आपको SYL के बारे में जानना जरूरी है। दरअसल, पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत 1 नवंबर 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना। लेकिन, पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ। विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी करके हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी SYL नहर बनाने का निर्णय हुआ। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण पूरा कर दिया, लेकिन पंजाब में विवाद जारी है।

डेटलाइन SYL नहर… कब… क्या-क्या हुआ?

  • 19 सितंबर 1960 : भारत-पाकिस्तान के बीच विभाजन के पहले रावी और ब्यास के अतिरिक्त पानी को 1955 के अनुबंध के आधार पर आवंटित किया गया। पंजाब को 7.20 एमएएफ, राजस्थान को 8 एमएएफ और जम्मू-कश्मीर को 0.65 एमएएफ पानी आवंटित किया गया था।
  • 24 मार्च 1976 : केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करके पहली दफा हरियाणा के लिए 3.5 एमएएफ पानी की मात्रा तय कर दी।
  • 13 दिसंबर 1981 : इस साल नया अनुबंध किया गया। जिसके आधार पर पंजाब को 4.22, हरियाणा को 3.50, राजस्थान को 8.60, दिल्ली को 0.20 एमएएफ और जम्मू-कश्मीर के लिए 0.65 एमएएफ पानी तय की गई।
  • 8 अप्रैल 1982 : इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव के पास नहर खुदाई का शुभारंभ किया। लेकिन, विरोध के कारण पंजाब में हालत बिगड़ गए।

  • 24 जुलाई 1985 : राजीव-लौंगोवाल के बीच समझौता हुआ। इसके आधार पर पंजाब ने नहर बनाने की सहमति प्रदान कर दी।
  • साल 1996 : समझौते के परवान नहीं चढ़ने से नाराज़ होकर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दायर कर दी।
  • 15 जनवरी 2002 : सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को एक साल के अंदर SYL बनाने का निर्देश दिया।
  • 4 जून 2004 : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार ने याचिका दायर की। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब की याचिका को खारिज कर दी।
  • साल 2004 : पंजाब सरकार ने पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 बनाया। इसके आधार पर तमाम जल समझौतों को रद्द कर दिया गया। इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से रेफरेंस मांगा। यह मामला करीब 12 साल तक ठंडे बस्ते में रहा।
  • 20 अक्टूबर 2015 : मनोहर सरकार सत्ता में आई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का आग्रह किया।
  • 26 फरवरी 2016 : मनोहर सरकार के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने पहली सुनवाई की। सभी पक्षों को बुलाया गया।
  • 8 मार्च 2016 : पीठ ने मामले की दूसरी बार सुनवाई की। मामला अभी भी संविधान पीठ के पास है। दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने जमीन लौटाने का ऐलान कर रखा है। अब यह नया मामला भी सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गया है।

(समाप्त)

अभिषेक मिश्रा
(लेखक टीवी पत्रकार हैं)
9334444050
9939044050
mishraabhishek504@gmail.com

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लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
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