देशसामयिक

अश्लील ओटीटी, अनुराग की चेतावनी और शंकराचार्य का सनातन संकल्प

राजन कुमार अग्रवाल

देश में टीवी की शुरुआत सितंबर 1959 में हो चुकी थी लेकिन मैंने 1987 में पहली बार टीवी देखा था, जब अपने मामा के घर जमशेदपुर गया था। रविवार को नाश्ते के बाद नौ बजते ही जैसे उस घर में सभी को हड़बड़ी हो गई हो। समय हो गया, समय हो गया। चलो-चलो। जल्दी चलो। रामायण शुरू होने वाली है। मैं और मेरी मां, दोनों के लिए ये बहुत ही अचरज वाली बात थी कि पूरा परिवार रामायण सुनने के लिए कैसे उतावला हो रहा है?

इसके जवाब में मामा जी के बड़े बेटे ने एक लकड़ी के डब्बे पर से शटर हटाया (उन दिनों टीवी को सुरक्षित रखने के लिए शटर ही लगाया जाता था, जो साइड की तरफ खुलता था) और दाहिने तरफ लगे दो रैगूलेटर में से एक को घुमा दिया। लकड़ी के डब्बे के अंदर पहली बार जादूई डब्बा देखा था जिसमें से मंगल भव नय मंगल हारी की आवाज आ रही थी। इंसान बोलते, चलते दिखाई दे रहे थे। 1987 में दूरदर्शन पर रामानंद सागर की रामायण का टेलीकास्ट हो रहा था। लोकप्रियता ऐसी थी मानों सड़क पर कर्फ्यू लग गया हो। ऐसे ही 1988 में महाभारत के टेलीकास्ट के दौरान होता था, जिसे बी.आर.चोपड़ा के बेटे रवि चोपड़ा ने बनाया था। तब दूरदर्शन एक मात्र चैनल था जिस पर समयबद्ध कार्यक्रम आते थे। मनोरंजन और ज्ञान से समृद्ध संसाधन जिसे आने वाले दिनों में बुद्धुबक्सा कहा जाने लगा।

समय के साथ चैनलों की संख्या बढ़ी। घर की छत पर लगे टेरिस्टेरियल एंटीना गायब होने लगा। टीवी सेट पर रखे बूस्टर की जगह केबल टीवी और सेट टॉप बॉक्स ने ले ली। चैनल बदलने के लिए हाथों में रिमोट आ गया। पूरा परिदृश्य बहुत ही तेजी से परिवर्तित हुआ।
जितनी तेजी से टेलीविजन का रंगरूप बदला, उससे भी तेजी से ओटीटी ने दर्शकों की पसंद ही बदल दी। किसी कार्यक्रम को देखने के लिए दर्शक पहले समय से बंधे थे लेकिन ओटीटी ने टेलीविजन देखने का तरीका ही बदल दिया। पहले पुराने वीडियो चलाए गये। फिल्में चलाई गईं। धीरे-धीरे ओटीटी के नया कंटेंट जेनेरेट होने लगा। बॉलीवुड के सितारे भी ओटीटी के लिए बनाई जा रही फिल्मों में दिखने लगे। सोशल मीडिया के दौर में ओटीटी ने तेजी से रफ्तार पकड़ी और फिर किसी की पकड़ में नहीं आया। चूंकि अब तक ओटीटी के लिए कोई नियम नहीं हैं, ऐसे में आगे बढ़ने के लिए रचनात्मकता के नाम पर निर्माताओं और लेखकों ने गाली-गलौज वाली भाषा का भरपूर इस्तेमाल किया और अश्लीलता परोसने लगे। कई बार पाठकों के साथ भी ऐसा होता होगा जब परिवार के साथ बैठकर कोई सीरीज या कोई फिल्म देख रहे हों और अचानक कुछ ऐसे दृश्य आ गये हों जिन्हें देखकर झेंपना पड़ा हो।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का एक ही ध्येय है-लोकप्रिय होना, चाहे कुत्सित कोशिश ही क्यों ना करनी पड़े और नियमन का अभाव ओटीटी के लिए ऑक्सीजन जैसा है। ना कोई नियम है ना कोई बंधन। कोई रोक-टोक नहीं। सुधी दर्शकों के बीच इसे लेकर सुगबुगाहट होनी शुरू हो गई है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि-“क्रिएटीविटी के नाम पर दुर्व्यवहार और अशिष्टता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट बढ़ने की शिकायतों को लेकर सरकार गंभीर है। अगर इस बारे में नियमों कोई बदलाव करने की जरूरत पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे। अश्लीलता और अपशब्दों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाएगी। ओटीटी प्लेटफॉर्मों को क्रिएटिविटी के लिए आजादी मिली थी, गाली-गलौज के लिए नहीं।”
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने नागपुर में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए माना कि ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर अश्लील कंटेंट की शिकायतें मिल रही हैं और इस पर सरकार गंभीर है। उन्होंने कहा कि अगर इसको लेकर नियमों में बदलाव करने की जरूरत पड़ी तो मंत्रालय उस पर भी विचार करेगा। क्रिएटिविटी के नाम पर गाली गलौज, असभ्यता मंजूर नहीं की जा सकती। अनुराग ठाकुर ने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्म को लेकर पिछले कुछ समय में शिकायतें बढ़नी शुरू हुई हैं। इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। सही समय पर सही कदम उठाया जाएगा।

OTT प्लेटफार्म का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां 80 फीसदी से ज्यादा दर्शक युवा हैं जो 18 से 45 साल के बीच के हैं। नई पीढ़ी सीधे तौर पर OTT प्लेटफार्म पर आ रही है। हम ये जानते हैं कि फिल्मों और सीरियल की मानव जीवन में अहम भूमिका है। फिल्मों में दिखाया जाने वाला प्रत्येक दृश्य सीधे तौर पर प्रभावित करता है और दर्शकों के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ता है। कई बार तो फिल्मों का प्रभाव वर्षों तक दर्शकों के मस्तिष्क पर रहता है। कई बार ऐसी खबरें देखने को मिली हैं कि किसी क्राइम शो को देखकर किसी को अपराध करने की प्रेरणा मिली।

ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती केंद्रीय मंत्री के इस बयान की सराहना की है। उन्होंने कहा कि टेक्नॉलाजी और जरूरत के हिसाब से हर बच्चे के हाथ में मोबाईल है। बच्चा कब क्या देख रहा है, इस पर माता-पिता हमेशा नजर नहीं रख सकते। ऐसे में सरकार को इस पर गंभीर रुख दिखाना चाहिए।
फिल्म, टेलीवजन और OTT प्लेटफार्म में अश्लील कंटेंट परोसने और धर्म विरोधी प्रोपेगेंडा चलाने वालों नजर रखने के लिए धर्म सेंसर बोर्ड का गठन करने वाले शंकराचार्य ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का ध्यान OTT प्लेटफार्म पर मौजूद सनातन धर्म के खिलाफ प्रोपेगेंडा वाले वीडियोज की ओर भी दिलाया है और सख्त कार्यवाही के साथ-साथ उन वीडियो को तत्काल प्रभाव से हटवाने की मांग भी की है। ताकि देश की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा हो सके और सनातन धर्म के विरुद्ध चल रहे प्रोपेगेंडा पर चोट की जा सके।
धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए ज्योतिष्मठ के अन्तर्गत काम कर रहा धर्म सेंसर बोर्ड ये मांग भी करता है कि ये सिर्फ OTT प्लेटफार्म तक ही सीमित ना रहे बल्कि फिल्म और सीरियल्स पर भी लागू हो।
OTT प्लेटफॉर्म पर गाली-गलौज और अश्लील कंटेंट लगातार परोसे जा रहे हैं। शंकराचार्य का मानना है कि भारतीय संस्कृति को धूमिल करने के लिए सनातन विरोधी कंटेंट की जैसे होड़ लग गई है जिससे भारतीय युवा पीढ़ी खतरे में है। उन्होंने कहा कि समाज और सनातन की रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। कोई ओटीटी प्लेटफार्म अगर सनातन विरोधी प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश करेगा तो धर्म सेंसर बोर्ड उसके खिलाफ हर जरुरी कदम उठाएगा।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने एक संदेश देने की कोशिश की भले की हो और शंकराचार्य उनसे चाहे जितनी उम्मीद लगा रहे हों, लेकिन ओटीटी जैसा हो चला है, उसे देखने के बाद इस पर रोक लगना या कथित सनातन विरोधी कंटेंट हटाना आसान नहीं लगता। फिर भी ओटीटी के लिए कंटेंट बनाने वालों को भी इतना ध्यान तो रखना ही चाहिए कि सिर्फ महानगरों में ही भारत नहीं बसता। ग्रामीण भारतीय परिवार आज भी एकसाथ बैठकर टीवी देखता है। ऐसे में स्कीन पर टूटती मर्यादा परिवारों के बीच भी कुछ तोड़ती है, जिसके टूटने की आवाज भी नहीं होती।

लेखक पत्रकार हैं.

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सबलोग

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
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