रिटायरमेंट के बाद लेबर डिपार्टमेंट से एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट लेने वाले तीन लेबर इंस्पेक्टर एक बार फिर से एक-एक साल की एक्सटेंशन लेने को बेकरार हैं। अपने आवेदन में इन्होंने परिवार का भार अपने कंधों पर बताते हुए बाकायदा अपने बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी अभी पूरी न होने की बात लिखी है। जबकि, सच तो यह है कि तीनों का परिवार पूरी तरह सैट है। बच्चे बड़े अफसर बन चुके हैं। आर्थिक स्थिति तो गजब ही मजबूत है।
जानकारी के अनुसार लेबर डिपार्टमेंट हरियाणा में प्रभुदयाल, सत्यबीर और राज सिंह नाम के तीन कर्मचारी लेबर इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद इन्होंने प्रदेश सरकार को झांसे में लेकर एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट ले ली। इन तीनों को महकमे से इतना प्यार है कि ये किसी भी सूरत में महकमे को छोड़ने को तैयार नहीं है। तीनों महकमे के प्रति खुद को पूरी तरह से समर्पित और कर्तव्यनिष्ठ मान रहे हैँ और इन्हें पूर्ण विश्वास है कि इनके बिना हरियाणा का लेबर डिपार्टमेंट चल ही नहीं पाएगा। इसलिए तीनों ने अपनी एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट खत्म होने से पहले ही अब एक बार फिर से लेबर डिपार्टमेंट को अपनी सेवाएं देने के लिए भरसक कोशिश शुरू कर दी हैँ। बाकायदा महकमे से आग्रह करते हुए पत्र लिखा है कि इनके कंधों पर इनके परिवार की जिम्मेदारी है। अभी बच्चों की शिक्षा के खर्च से भी मुक्ति नहीं पा पाए हैं। इसलिए एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट दे दी जाए।
तीनों का ही परिवार एकदम सैट, बच्चे भी बन चुके बड़े अफसर
तीनों के आवेदन की पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाली बातें सामने आई। सबसे पहले बात करते हैँ प्रभुदयाल की। प्रभुदयाल की बेटी आईएफएस अधिकारी हैं, तो दामाद आईएएस अफसर हैं। इनका बेटा एक एमएनसी में अच्छे पद पर विराजमान है। फिर नंबर आता है सत्यबीर का। सत्यबीर का बेटा प्रदेश की एक नगर निगम में एसडीई के पद पर तैनात है, जबकि पत्नी स्कूल कैडर सरकारी लेक्चरर है। बेटी भी सरकारी नौकरी में है। इसके बाद नंबर आता है राज सिंह का। राज सिंह का बेटा केंद्र सरकार में क्लास वन का बड़ा अफसर है, पत्नी एसएमओ है। दूसरा बेटा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में सेवारत है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके परिवार की आर्थिक स्थिति कैसी है। फिर भी एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट पाने के लिए खुद को प्रदेश के सबसे बड़े गरीब दिखाने की भरसक कोशिश में हैं।
लेबर डिपार्टमेंट में प्रभुदयाल, सत्यबीर और राज सिंह का जिक्र जिस किसी के भी सामने करो, वे तुरंत इनके बारे में बखान शुरू कर देते हैं। बाकायदा इनके सेवा काल और पोस्टिंग को लेकर एक-एक राज खोलने लग जाते हैं। इनके इतने किस्से हैँ कि लिखते-लिखते एक पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है। महकमे के कर्मचारी तो यहां तक कहते हैँ कि अगर प्रदेश सरकार इनकी संपत्ति की जांच कराए तो फिर खुद ही पता चल जाएगा कि ये कितने गरीब हैं। अब देखना है कि एक बार प्रदेश सरकार को झांसे में ले चुके तीनों लेबर इंस्पेक्टर फिर से अपने प्लान में कामयाब हो पाते हैं या फिर प्रदेश सरकार इन्हें एक-एक साल की रि-इंप्लायमेंट देने की बजाए सेवा मुक्त घर का रास्ता दिखाती है।
अजय दीप लाठर
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं.
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