प्रतिबन्ध के बावजूद गिट्टी और बालू लदान के गैर कानूनी धन्धे में अब हथियारबंद गुंडे-मवाली सीधे उतर आए हैं। रक्तरंजित हो चुके खनन के इस धन्धे में मारपीट से लेकर असलहे सटाकर खुलेआम रंगदारी तक वसूल की जा रही है। दर्जनों लोग रोजाना लहू लुहान हो रहे हैं। ढुलाई में लगे ट्रक-ट्रैक्टर चालकों से गुंडई के बल पर ‘गुंडा-टैक्स’ वसूला जाना रोजर्मरा में शुमार हो चुका है। मुंबइया फिल्मो के रील की थ्री क्लास रंगबाजी वाली सीन यहाँ अक्सर रीयल लाइफ में सड़कों पर देखने को मिल रही है।
खनन में माफियागीरी का हावी होना, कोई नयी बात नहीं है। सरकार की सख्ती के बहाने यहाँ रेट बढ़ाकर दो से ढाई गुना तक कर दिया गया है। इसी बहाने वे खुद की तिजोरी भर रहे हैं। खूनी खेल में तब्दील हो चुके इस धन्धे को खाकी-खादी से शह मिल रहा है। लोकल पुलिस और लोकल नेताओं का ‘गठबन्धन’ कोढ़ में खाज बनकर सरकार की पारदर्शी नीतियों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। प्रयागराज, कौशांबी, मिर्जापुर, जौनपुर, फतेहपुर, चित्रकूट, बांदा की मुख्य सड़क खासकर नदी-पत्थर के खदानों से जुड़ी सड़कों पर शाम होते ही नजारा बदल जाता है। लाठी-डंडे और असलहों से लैस गुंडे चैराहे और बाजार में आ धमकते हैं। यहाँ की मुख्य सड़कों पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में गुजरने वाले गिट्टी-बालू लदे वाहनों से जबरन धन की वसूली की जाती है।
भय, आतंक और अराजकता का नंगा-नाच यहाँ की सड़कों पर देखने लायक होता है। रातभर खुलेआम चलने वाले ‘तांडव’ को आसानी से कभी भी यहाँ देखा जा सकता है। सड़कों के किनारे मौजूद ढाबे-होटलों पर इन ‘दादाओं’ की असलहे धारी गुर्गों के साथ रोजाना बैठकी होती है। यहीं से ये सब संचालित हो रहे हैं। ताज्जुब की बात यह कि यह सब खुलेआम चल रहा है। तल्ख सच्चाई है कि इन सड़कों पर माफिया और उनके गुर्गे हावी हैं, शासन-प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं दिखती। इलाके के सांसद-विधायकों के गुर्गे प्रमुख भूमिका में हैं। विडम्बना यह है कि कई जगह सांसद-विधायक के ‘प्रतिनिधि’ पैदा हो गए हैं। इतना ही नहीं, उन प्रतिनिधियों के भी प्रतिनिधि हैं जो लग्जरी गाड़ियों में बाकायदे प्रतिनिधि का बोर्ड लगाए रात भर सक्रिय देखे जाते हैं। सत्ता दल के झंडे, काले शीशे वाली हूटर बजाती संदिग्ध लग्जरी वाहनों से फर्राटा भरते ये ‘प्रतिनिधि-गण’ और उनके ‘चंगू-मंगू’ आम जनता के बीच भय पैदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार की छवि धूमिल करने में भी पीछे नहीं हैं। दो साल पहले साइकिल से चलने की औकात न रखने वाले, हर दल का खास बन जाने में माहिर सत्ता के इन ‘दल्लों’ पर लक्ष्मी की कृपा अचानक इस कदर बढ़ी है कि महंगी लग्जरी गाड़ियों से फर्राटा भरते नजर आ रहे हैं। आय का वैध स्रोत न होने के बावजूद कई गुना अवैध काला धन के मालिक बने इन ‘लक्ष्मी-कपूतों’ की हनक के आगे इनकम टैक्स विभाग ‘दासत्व’ की भूमिका में साफ दिख रहा है। रात में हाइवे मार्ग पर इनकी सक्रियता देखने लायक होती है। इसमें एक गुट पुलिस के नाम पर जबरन वसूली करता है जबकि दूसरा गुट ढुलाई करने वाले ट्रक-ट्रैक्टरों को ‘सुरक्षित-पास’ कराने में जुटा रहता है। इसके बदले रोजाना रातभर में लाखों रूपये का वारा-न्यारा होता है।
धन्धे को नजदीक से देख सुन रहे सूत्रों के मुताबिक, इसमें लोकल पुलिस और लोकल नेताओं का बाकायदे हिस्सा होता है। दावा तो यहाँ तक किया जा रहा है कि कई जगह प्रेस लिखी गाड़ियों और खुद को पत्रकार बताने वाले ‘गंवई संवाद-सूत्रों का दल’ धन्धे में लगकर अखबार की छीछालेदर करा रहा है। अखबारों के लोकल हेड की जानकारी में है ये सब। वे एक्शन लेने के बजाए कुछ ज्यादा ही उदारता भाव में हैं। बताया तो यहाँ तक जा रहा है कि बाकायदे हर महीने इनका हिस्सा पहुंचता है। बहरहाल, ये गंभीर आरोप उच्च स्तरीय गोपनीय जांच की दरकार रखते हैं। टोल प्लाजा के आसपास इन लुटेरों को सक्रिय देखा जा सकता है। वहाँ लगे सीसीटीवी फुटेज के रिकार्ड भी इसके मूक गवाह है।
इलाहाबाद, कौशांबी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, फतेहपुर के आसपास की सड़कों पर इनकी सक्रियता रहती है। जानकारों के मुताबिक, बालू पत्थर ढोने वाले वाहनों से गुंडा टैक्स वसूली के पीछे कई माफियाओं का हाथ है। तगड़ी सेटिंग-गेटिंग के चलते यह धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। विडम्बना यह कि पुलिस, नेता और अपराधियों का गठजोड़ कोढ़ में खाज साबित हो रहा है। सत्तादल के झंडे लगे, हूटर बजाती ब्लैक शीशेवाली बिना नंबर की संदिग्ध गाड़ियाँ और पिकेट ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों का दिखने वाला याराना-रवैया, योगी राज के सुशासन वाली नीतियों के मुंह पर तमाचा साबित हो रहे हैं।