जुमे की नमाज में अमन चैन की दुआ मांगी जा रही थी। इसी बीच अमन चैन के दुश्मन कतिपय अराजक तत्वों ने भीड़ का बेजा फायदा उठाया। विरोध प्रदर्शन के बहाने सड़क पर अराजकता का खुला तांडव किया गया। पुलिस की बेरिकेडिंग तोड़ी गई, जमकर ईंट पत्थर बरसाए गए। बच्चों और महिलाओं को आगे कर हिंसक वारदातें की गईं। डीएम, आईजी, एसएसपी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हुए। पीएसी के वाहन समेत रिक्शा ट्राली में आग लगाई गई। कई घंटे हिंसा का खुला तांडव हुआ। प्रशासन की सूझ बूझ से काफी मशक्कत के बाद हालात पर काबू पाया जा सका। शनिवार की सुबह तक करीब चालीस लोगों को हिरासत में लिया गया है। सूत्रों की मानें तो संगम नगरी को अराजकता की आग में झोंकने की शर्मनाक कोशिश की गई। सुनियोजित बड़ी साजिश शहर के अमन चैन बिगाड़ने की थी। बहरहाल, सांप्रदायिक दंगे की आग में झुलसने से प्रयागराज बच गया।
10 जून को दोपहर करीब दो बजे जुमे की नमाज के बाद शहर के व्यस्त इलाके अटाला में अराजकतत्व अचानक हमलावर होकर सड़क पर उतर आए। तकरीबन हर गलियों से एक ही समय जमकर ईंट- पत्थर चलाए जाने लगे। पुलिस के रोकने पर हमलावर पुलिसकर्मियों को लक्ष्य करके ईंट – पत्थर चलाने लगे। इसमें डीएम संजय खत्री, आईजी राकेश कुमार और एसएसपी अजय कुमार समेत कई पुलिसकर्मी चोटहिल हो गए। पत्थरबाजों को कंट्रोल करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। अफसरों के मिनी लाउड स्पीकर से बार -बार समझाने के बावजूद पत्थरबाज नहीं माने। गलियों में दस बारह साल उम्र के बच्चों के अलावा मकानों की छतों से महिलाओं ने भी ईंट पत्थर चलाए।
इसके अलावा वाहनों में आग लगाने की भी कोशिश की गई। पीएसी वाहन और एक ट्राली रिक्शा को आग के हवाले कर किया गया। अराजक तत्वों को बेकाबू होते देख प्रशासन के उच्चाधिकारियों के अलावा रैपिड एक्शन फोर्स, पीएसी बल मौके पहुंची। अराजक तत्वों को खदेड़ना पड़ा। पुलिस ने आंसू गैस छोड़ा। हल्का बल प्रयोग के बाद अराजक तत्वों पर काबू पाया जा सका। समाचार भेजे जाने तक हालात नियंत्रण में है। रात करीब नौ बजे तक पंद्रह पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का तलाशी अभियान और संदिग्धों की धर पकड़ भी जारी है। डीएम संजय खत्री और एसएसपी अजय कुमार ने कहा है कि अराजक तत्वों को चिन्हित किया जा रहा है। शहर का अमन चैन बिगाड़ने वाले इन अराजक तत्वों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।
आखिर किसने पकड़ाए बच्चों और महिलाओं के हाथों में पत्थर
10 जून को दोपहर अटाला इलाके में हुई पत्थरबाजी की घटना में दस -बारह साल उम्र के बच्चे तक देखे गए। सूत्रों की मानें तो यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा था। पूरे शहर को दंगे की चपेट में लाने की शर्मनाक कोशिश थी। इसे प्रशासन की सूझ बूझ से टाला जा सका। उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को गंभीरता से लेते हुए अराजक तत्वों को चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। सवाल तो यहां तक किए जा रहे हैं कि क्या प्रदर्शन के बहाने सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी बीते दिनों कश्मीर घाटियों में की गई घृणित घटनाओं का दोहराव है …?
शिवा शंकर पाण्डेय
लेखक सबलोग के उत्तरप्रदेश ब्यूरोचीफ और भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के प्रदेश महासचिव हैं| +918840338705, shivas_pandey@rediffmail.com
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