घोसी उपचुनाव
उत्तरप्रदेश

उपचुनावों के जंग में BJP ने सपा को खूब रुलाया, अब घोसी में क्या होगा ?

 

5 सितंबर को छह राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जिन सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें यूपी की हाई प्रोफाइल सीट घोसी भी शामिल है। यहां से सपा के टिकट पर चुनाव जीते दारा सिंह चौहान ने हाल ही में समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ दिया था और भाजपा में शामिल हो गए इसके बाद से ही घोसी सीट खाली है और अब उपचुनाव होने हैं। उपचुनाव में सीधा मुकबला भाजपा और सपा के बीच है। जैसा पिछले कई चुनावों में यूपी में होता आया है। वैसे तो पिछले उपचुनाव के नतीजे सपा के लिए अच्छे संकेत नहीं लेकर आए हैं। मैनपुरी और खतौली छोड़ सपा को हर जगह मुंह की खानी पड़ी है।

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद उपचुनाव के आंकड़े देखें तो प्रदेश में 3 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए और तीनों सपा की दबदबे वाली सीटें थी लेकिन सिर्फ मैनपुरी को छोड़ सपा रामपुर और आजमगढ़ दोनों जगह हार का सामना करना पड़ा। बात आजमगढ़ की करें तो यह सीट अखिलेश यादव के करहल से विधायक बनने और लोकसभा सदस्य से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी तो यहां उपचुनाव हुए। आजमगढ़ सीट पर अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ ने करीब 9 हजार वोटों से हराया। वहीं आजम खान के इस्तीफे से खाली हुई रामपुर लोकसभा सीट भी बीजेपी के घनश्याम सिंह लोधी ने आजम खान के करीबा आसिम रजा को करीब 42 हजार वोटों से हराया। आजमगढ़ और रामपुर दोनों ही सीटें सपा का गढ़ मानी जाती थीं लेकिन उपचुनाव के नतीजों ने सपा को बड़ा झटका दे दिया। वहीं नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा और अखिलेश यादव की लाज रख दी और यहां अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव बीजेपी के रघुराज शाक्य को हराया और जीत दर्ज की।

बात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की करें तो 2022 विधानसभा चुनाव के बाद 5 सीटों पर उपचुनाव हुए लेकिन सिर्फ खतौली में सपा की सहयोगी दल रालोद को विजय मिली और बाकी जगह हार का मुंह देखना पड़ा। जिन 5 सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें गोला गोकर्णनाथ, रामपुर, खतौली, स्वार और छानबे शामिल है। जिसमें रामपुर और स्वार सपा के दिग्गज नेता आजम खान की दबदबे वाली सीट थी लेकिन इन दोनों सीटों पर भी बीजेपी और उसकी सहयोगी दल अपना दल ने बाजी मार ली। गोला गोकर्णनाथ विधानसभा सीट पर बीजेपी विधायक अरविंद गिरि के निधन के बाद उपचुनाव हुए और चुनाव में बीजेपी की ओर से अरविंद गिरि के बेटे अमन गिरि उम्मीदवार बने और जीत हासिल की। यहां से सपा ने विनय तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया था।

वहीं रामपुर सीट पर आजम खान को सजा होने के बाद उनकी सदस्यता जाने की वजह से उपचुनाव हुआ। यहां से बीजेपी के आकाश सक्सेना ने आजम खान के करीबी असीम रजा को 34 हजार से ज्यादा वोटों से हराया वहीं खतौली सीट बीजेपी विधायक रहे विक्रम सिंह सैनी को सजा होने के बाद उनकी सदस्यता जाने के वजह से खाली हुई और उपचुनाव हुआ लेकिन सिर्फ इसी चुनाव में बीजेपी गठबंधन को करारा झटका लगा और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था।

इसके अलावा साल 2023 में स्वार और छानबे विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए हैं। स्वार सीट पर आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सजा होने और उनकी सदस्यता जाने के बाद उपचुनाव हुआ जहां बीजेपी गठबंधन की अपना दल से शफीक अहमद अंसारी ने सपा उम्मीदवार अनुराधा चौहान को हराया। वहीं छानबे विधानसभा सीट पर अपना दल से विधायक रहे राहुल कोल के निधन के बाद उपचुनाव हुआ और राहुल कोल की पत्नी रिंकी कोल ने सपा प्रत्याशी कीर्ति कोल को हराकर यहां भी समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका दिया।

कुल मिलाकर यूपी में पिछले एक साल में 3 लोकसभा और 5 विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए लेकिन मैनपुरी को छोड़कर हर चुनाव के नतीजों ने सपा को बड़ा झटका दिया है। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी ने उन सीटों को गंवा दिया जहां उनका दशकों से दबदबा कायम था। अब एक बार फिर घोसी में उपचुनाव हैं और यहां भी पहले सपा का कब्जा था। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार सपा अपनी सीट बचा पाएगी या एक बार फिर उपचुनाव के नतीजे समाजवादी पार्टी को रुलाएंगे

.

कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।

लेखक मल्टीमीडिया प्रोड्यूसर हैं। सम्पर्क+91 7052297994, mukuldwivedi43@gmail.com

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments


डोनेट करें

जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
sablog.in



विज्ञापन

sablog.in






0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x