संतोष बघेल
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Jun- 2024 -17 Juneशख्सियत
लेखक की दुनिया
सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के जाने-माने साहित्यकार-पत्रकार सतीश जायसवाल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। पिछले कई वर्षों से उनसे मिलना-जुलना लगातार बना हुआ है। लेकिन पहली बार उनके घर जाने का अवसर 17 दिसंबर 2023 को मिला।…
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Aug- 2023 -22 Augustशख्सियत
अपनी-अपनी बीमारी और हम
“प्रजातंत्र का सबसे बड़ा दोष तो यह है कि उसमें योग्यता को मान्यता नहीं मिलती, लोकप्रियता को मिलती है। हाथ गिने जाते हैं, सर नहीं तौले जाते हैं।” प्रजातंत्र पर किया जाने वाला हरिशंकर परसाई का यह व्यंग्य आज भी…
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Jul- 2023 -31 Julyसाहित्य
प्रेमचंद और किसानों की व्यथा कथा
किसानों की व्यथा सदियों पुरानी है। यह बात जगजाहिर है कि दुनिया के लिए अन्नदाता कहे जाने वाले खुद ही अन्न को तरसता रहा है। गुलाम भारत हो या आजाद किसानों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। नील…
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Mar- 2023 -8 Marchसमीक्षा
प्रेम और वासना के बीच चित्रलेखा
प्रारंभिक दौर से ही साहित्य को समाज के दर्पण के रूप में रेखांकित किया जाता रहा है। यह समाज में ज्ञानवर्द्धन और मनोरंजन का तो जरिया रहा ही है, साथ ही उन अनछुये पहलुओं को भी सामने लाने का…
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May- 2021 -18 Mayसाहित्य
कोरोना काल और प्रेमचंद की ‘शांति’ कहानी की प्रासंगिकता
दुनिया में कई महामारियाँ समय-समय पर दस्तक देती रही है। किन्तु अब तक की सभी महामारियाँ किस्से-कहानियों तक ही सीमित थी। किन्तु पहली बार इन कहानियों अथवा महामारियों को प्रत्यक्ष तौर पर महसूस करने का मौका मिला है। महामारी…
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Sep- 2020 -14 Septemberदिवस
त्रिभाषा सूत्र और हिन्दी
भारतीय सभ्यता के विकास के साथ-साथ भाषा भी विकसित और परिमार्जित होती चली आ रही है। मानव जीवन का एक मूल्यवान धरोहर हमारी भाषा ही है। भाषा की समझ के साथ ही मानव जीवन का विकास सम्भव हो पाया…
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Jul- 2020 -31 Julyशख्सियत
उपन्यास विधा और प्रेमचन्द
हिन्दी साहित्य की जब भी बात होती है, तब सबसे पहले हमारे जहन में जिनकी छवि उभरती है, वे है प्रेमचन्द। हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के अलावा अन्य साहित्य प्रेमी भी प्रेमचन्द को ही सबसे लोकप्रिय साहित्यकार मानते हैं।…
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9 Julyसामयिक
जिन्दगी और इन्स्टालमेंट कहानी का ‘चौधरी’
वर्तमान समय में अधिकांश मनुष्य भौतिकवादी जीवन जीने का आदी हो चुके हैं। इन भौतिक सुख-सुविधाओं के अभाव में एक कदम भी चलना, ऐसा प्रतीत होने लगा है, जैसे पहाड़ काटकर रास्ता निकालना। आधुनिक जीवन शैली कुछ हद तक…
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May- 2020 -21 Mayसाहित्य
आधुनिक दौर में अंधा युग का अश्वत्थामा
लॉकडाउन के दौरान जब से सरकारी चैनलों पर पौराणिक धारावाहिकों का प्रसारण होने लगा, तब से रामायण और महाभारत पर पुन: विमर्श शुरू हो गया है। दोनों ही कथाओं पर लोगों ने नए सिरे से सोचना प्रारंभ कर दिया…
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2 Mayशख्सियत
बीहड़ में तो बागी होते हैं
इस कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने हमारे जीवन को पहले ही कई परेशानियों में डाल रखा है। इस बीच अधिकांश लोगों का सबसे बड़ा सहारा टीवी ही बना हुआ है। 29 अप्रैल में टीवी पर एक ऐसी बुरी खबर…
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