हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में शुमार बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार सुबह 95 वर्ष की उम्र में मोहाली में निधन हो गया। उनका जन्म पंजाब के जालंधर जिले के हरिपुर खालसा गाँव में 10 अक्टूबर 1924 को हुआ था। दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों में से एक बलबीर सीनियर अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की ओर से चुने गये आधुनिक ओलम्पिक इतिहास के 16 महानतम ओलम्पियनों में शामिल थे।
बीते 8 मई को उनके फेफड़ों में निमोनिया और शरीर में तेज बुखार की शिकायत के बाद उन्हें पंजाब के मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उन्हें तीन बार दिल का दौरा भी पड़ा और दिमाग में खून का थक्का जमने की वजह से वे 18 मई से अर्ध-चेतन अवस्था में थे। अन्ततः 25 मई को सुबह साढ़े छह बजे उन्होंने अपनी अन्तिम सांस ली।
95 वर्षीय बलबीर सिंह के परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं। उनके नाती कबीर ने एक संदेश में कहा, ”नानाजी का सुबह निधन हो गया।” पिछले दो वर्ष में चौथी बार उन्हें अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया। पिछले वर्ष जनवरी में वह फेफड़ों में निमोनिया के कारण तीन महीने अस्पताल में रहे थे।
बलबीर सिंह सीनियर 1975 विश्व कप विजेता भारतीय हॉकी टीम के मैनेजर भी थे। भले ही वे हॉकी के खिलाड़ी थे, लेकिन अन्य खेलों के साथ भी उनका काफी लगाव था। लुधियाना के विभिन्न खेल संघों के पदाधिकारियों से उनके मधुर सम्बन्ध थे। शहर में उनकी याद में शोक सभा आयोजित की गयी।
उन्हें 2015 में CNN-IBN इंडियन ऑफ़ द ईयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।
उन्होंने कुछ किताबें भी लिखी हैं जिनमें जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर आधारित “स्टेट पॉलिटिक्स इन इण्डिया : एक्सप्लोरेशन इन पोलिटिकल प्रोसेस इन जम्मू एंड कश्मीर” काफी महत्त्वपूर्ण है। उनकी और दो प्रमुख किताबें “इलेक्ट्रिक मशीन डिजाईन” और “इलेक्ट्रिकल मशीन डिजाईन इन एम.के.एस. यूनिट्स” है।
हॉकी इण्डिया ने भी पूर्व ओलिंपियन बलबीर सिंह के निधन पर दुख जताया है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और गृह मन्त्री अमित शाह ने भी पूर्व ओलिंपियन बलबीर सिंह के निधन पर दुख जताया। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बलबीर सिंह न सिर्फ अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन बतौर मेंटर भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी थी। उन्हें पूरा देश उनके खेल के लिए याद रखेगा। उन्होंने कई मौकों पर देश का सम्मान बढ़ाया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुआ कहा, ‘महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर के निधन की खबर सुनकर काफी दुख हुआ। तीन बार के ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता, पद्म श्री और भारत के महान खिलाड़ियों में से एक, उनकी विरासत भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करना जारी रखेगी। उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं।’
खेल मन्त्री किरण रिजिजू ने ट्वीट किया- भारत के महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह के निधन से गहरा दुख हुआ। मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ और दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करता हूँ।
पंजाब के मुख्यमन्त्री अमरिंदर सिंह ने बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इस हॉकी दिग्गज की दृढ़ता, समर्पण और खेल भावना हमेशा आने वाली कई पीढ़ियों के लिये प्रेरणा का काम करेगी। ‘वह दृढ़ता, समर्पण और खेल भावना की प्रतिमूर्ति थे। सर आपकी बहुत कमी खलेगी और आप हमेशा प्रेरणास्रोत बने रहोगे। भावभीनी विदाई।’
पंजाब बास्केटबॉल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट व पूर्व डीजीपी राजदीप सिंह, सेक्रेटरी तेजा सिंह धालीवाल, आर्गेनाइजेशन सेक्रेटरी की अगुवाई में श्रद्धांजलि व्यक्त की। तेजा सिंह धालीवाल ने कहा कि जब भी हम कोई बड़ा इवेंट कराते थे, बलवीर सिंह रेलवे को मुख्यातिथि बुलाया जाता था। अन्तिम बार 2004 में महानगर में कराई सीनियर नेशनल बास्केटबॉल चैंपियनशिप में वह बतौर गेस्ट आये थे। उनके साथ बिताए पल आज भी याद हैं कि वह एक कप्तान, कोच व अधिकारी के रुप में नेक व हिम्मती इंसान थे।
अभिनव बिंद्रा ने कहा, ‘‘मेरे लिए उनसे सम्मान प्राप्त करना गौरव की बात थी। वे एथलीटों के लिए रोल मॉडल रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि दुनिया भर के एथलीट उनसे प्रेरणा लेते रहेंगे।’’
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह ने कहा, “वह मेरे और कई हॉकी खिलाड़ियों के लिए आदर्श थे। उनकी मौत के साथ मेरी एक इच्छा हमेशा के लिए अधूरी रह जाएगी। मेरा सपना था कि मैं उनके तीन ओलम्पिक स्वर्ण पदक के साथ अपनी एक तस्वीर क्लिक करूं, लेकिन यह अब संभव नहीं है।“
नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का रिकॉर्ड आज भी है कायम
देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति द्वारा चुने गये आधुनिक ओलम्पिक इतिहास के 16 महानतम ओलम्पियनों में शामिल थे। हेलसिंकी ओलम्पिक फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है।
वे तीन बार ओलम्पिक गोल्ड जीतने वाले हॉकी टीम का हिस्सा थे
बलबीर सिंह लंदन ओलम्पिक-1948, हेलसिंकी ओलम्पिक-1952 और मेलबर्न ओलम्पिक-1956 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। 1952 ओलम्पिक खेलों के स्वर्ण पदक के मैच में बलबीर ने नीदरलैंड्स के खिलाफ पांच गोल किए थे और भारत को 6-1 से जीत दिलाई थी। बलबीर विश्व कप-1971 में कांस्य और विश्व कप-1975 जीतने वाली भारतीय टीम के मुख्य कोच थे।
पद्मश्री हासिल करने वाले देश के पहले खिलाड़ी थे
इस पूर्व ओलिंपियन को 1957 में पद्मश्री दिया गया था। वह यह सम्मान हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। वे 1975 में इकलौता हॉकी वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर थे।सिंह ने भारत के लिए 61 मैच में 246 गोल किए थे।
टूटे हाथ से 1956 ओलम्पिक का फाइनल खेले थे
1956 के मेलबर्न ओलम्पिक में वे टीम के कप्तान थे। तब पहले मैच के दौरान उनकी हाथ की हड्डी टूट गयी थी। लेकिन कोच ने उनकी दहशत कायम रखने के लिए किसी को चोट के बारे में नहीं बताया। फाइनल में वे दर्द के बावजूद खेले और पाकिस्तान के खिलाफ टीम को जीत दिलाई।
1948 के फाइनल पर बन चुकी है फिल्म
1948 के लंदन ओलम्पिक में भारत ने ब्रिटेन को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। इस फाइनल में बलबीर सिंह ने दो गोल किए थे। भारत ने यह मैच 4-0 से जीता था। 2018 में इस घटना पर ‘गोल्ड’ फिल्म बनी थी। अक्षय कुमार ने इस फिल्म में तपन दास का रोल प्ले किया था।
अक्षय कुमार भी उनकी मौत से दुखी हैं। उन्होंने ट्वीट किया- हॉकी लीजेंड बलबीर सिंह जी के निधन की खबर सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ। मुझे अतीत में उनसे मिलने का मौका मिला था और इस बात के लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली समझता हूँ। वे बेहतरीन व्यक्तित्व वाले इंसान थे।
गुलशन चौधरी
लेखक एक न्यूज चैनल में सहायक निर्माता हैं। सम्पर्क +918507734722, gulshanchoudhary97@gmail.com

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