सिनेमा

शास्त्रीय संगीत में रुचि को पुनर्जीवित करने की कहानी है ‘बंदिश बैंडिट्स’

 

{Featured in IMDb Critics Reviews}

 

शास्त्रीयता और लोकप्रियता के बीच पनपी दरार तथा अपनी कुछ खामियों के बावजूद, बंदिश बैंडिट्स एक महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान केंद्रित करती है। सीरीज में नसीरुद्दीन शाह, अतुल कुलकर्णी, राजेश तैलंग, कुणाल रॉय कपूर, शीबा चड्ढा, अमित मिस्त्री, ऋत्विक भौमिक, श्रेया चौधरी, त्रिधा चौधरी, राहुल कुमार आदि हैं। बंदिश बैंडिस्ट्स का निर्देशन किया है आनंद तिवारी ने।

राजस्थान और मुंबई की लोकेशन पर फिल्माई गयी है, यह सीरीज की कहानी जोधपुर में एक बड़ी हवेली के आंगन’ से शुरू होती है, जहाँ संगीत सम्राट राठौड़ (शाह) एक संगीत की क्लास में रहते हैं।  वह अपने  घराने के क्रस्टी कस्टोडियन हैं, और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के वे उन दुर्जेय शिक्षकों में से एक हैं जो पूर्ण अनुशासन की मांग अपने लिए करते हैं। हमारे पास मौजूद पुराने और नए, आधुनिक और पारम्परिक संगीत के बीच के टकराव को हम इस सीरीज में देखते हैं। जिसे शिक्षक से छात्र तक ‘धरोहर’ (विरासत) के रूप में सौंप दिया जाता है, वर्षों से श्रमसाध्य रूप से इसे सिखाया जाता है। ‘बंदिश बैंडिट्स’ की कहानी एक लड़का और एक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्हें किस्मत एक-दूसरे से मिलवाती है और संगीत के माध्यम से ये आपस में जुड़ते हैं और अपना एक सर्वश्रेष्ठ बैंड बनाते हैं, लेकिन विरासत उन्हें एक-दूजे से अलग कर देती है।

सीरीज हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सुंदरता और जटिलता के लिए आत्मसमर्पण करती है, जैसा कि हम सीरीज में ही सुनते देखते हैं कि गायक एक ‘तेवरा’ और ‘मध्यम सुरों के बीच आपसी अंतर महसूस करते हैं।

ये दोनों अन्तिम बार सरफरोश (1999) में रागों के साथ ठुमके लगाते हुए दिखाई दिए थे। लेकिन हर बार जब बंदिश बैंडिट्स की कहानी क्लासिकलता की ओर मुड़ती है, तो उसे हम अपनी सहस्राब्दियों की याद आते हुए भी महसूस करते हैं, और हम उस तमन्ना से अलग हो जाते हैं। जिसमें उसके कलात्मक रूप से लहराते बालों को रंगते हैं, बक्से।

जाहिर है, बंदिश बैंडिट्स का सीजन दो भी आने वाला है।  उम्मीद है, हम अब तक कम पुरानी शैली के नाटक, और अधिक पॉलिश किए हुए युवा सेट और इसके इरादों के बारे में दूसरे सीजन में अधिक आश्वस्त होंगे। और शायद लेखक ‘द्विध्रुवी विकार’ के लिए पात्रों को प्रसन्नतापूर्वक सलाह देंगे। इस सीरीज में शास्त्रीय संगीत में रुचि को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता के आसपास की बातचीत भी नजर आती है।

संगीतज्ञ पंडित जसराज ने भी वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ की तारीफ है। ऐसे बहुत कम अवसर होते हैं, जब कला के सर्वोच्च विद्यालय, भारतीय शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित जसराज किसी फिल्म की प्रशंसा करने के लिए आगे आते हैं और इस वक्त एमेजॉन प्राइम वीडियो की ‘बंदिश बैंडिट्स’ की टीम भी सातवें आसमान पर है, क्योंकि पद्मविभूषण से सम्मानित पंडित जसराज इसकी कहानी और सभी कलाकारों की प्रशंसा करते हुए नजर आए हैं।

इससे पहले भी कई मशहूर हस्तियों सहित आलोचक भी इसके प्रतिभाशाली कलाकारों व शो की तारीफ कर चुके हैं, लेकिन पंडित जसराज की तरफ से आए इस शुभ संदेश ने निश्चित रूप से सभी को अधिक प्रोत्साहित कर दिया है।

सीरीज के दस भाग हैं, जिसमें ऋत्विक भौमिक और श्रेया चौधरी के साथ-साथ नसीरुद्दीन शाह, अतुल कुलकर्णी, कुणाल रॉय कपूर, शीबा चड्ढा और राजेश तैलंग जैसे उम्दा कलाकारों की टोली शामिल हैं।

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तेजस पूनियां

लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com
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