पुरानी दिल्ली के हौज़ क़ाज़ी इलाक़े में मोटर साइकिल पार्क करने के मुद्दे पर मारपीट के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। कुछ बदमाशों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ करके माहौल बिगाड़ने का आधार भी दे दिया। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने समय गँवाए बिना इस बात का फ़ायदा उठाने के लिए भड़काऊ बयानबाज़ी भी शुरू कर दी। स्थानीय आबादी ने हिंदू-मुसलमान भुलाकर शांति मार्च किया और दोषियों को सजा देने में तत्परता माँग की। लगा, स्थानीय लोगों की इस पहलकदमी के बाद माहौल शांत हो जाएगा।
पर संघी गिरोहों को शांति से क्या काम? तब से कई बार विश्व हिंदू परिषद वहाँ जुलूस निकाल चुका है। कल के जुलूस की दो ख़ास बातें हैं। एक, स्थानीय लोगों की अमन कमेटी जुलूस पर फूल बरसा रही थी और पूड़ी-सब्ज़ी खिला रही थी। दो, विश्व हिंदू परिषद के नेता चेतावनी दे रहे थे कि “हम हौज़ क़ाज़ी को अयोध्या बना देंगे!”
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि भाजपा के तीन सांसद वहांवगये—विजय गोयल, मनोज तिवारी और हंस। इनमें से किसी ने विश्व हिंदू परिषद के भड़काऊ बयानों का न विरोध किया, न उसपर ऐतराज़ जताया। इसीसे इन सबके पीछे मौजूद संघ की मंशा पता चल जाती है।
दिल्ली में जगह की कमी के कारण पार्किंग की भारी समस्या है। बड़े-बड़े बाज़ारों तक में पार्किंग की रोज़ नयी व्यवस्था लागू होती रहती है। जनकपुरी जैसे संभ्रांत इलाक़ों में भी जिसकी गाड़ी शाम जल्दी पार्क हो जाती है, रात कोई एमरजेंसी आ जाने पर उसे टैक्सी मंगानी पड़ती है, अपनी गाड़ी निकाल पाना उसके वश में नहीं होता। फिर पुरानी दिल्ली की घनी बस्तियों में पार्किंग को लेकर कहा-सुनी कोई ऐसी अनहोनी बात नहीं है। लेकिन इस तरह की एक छोटी-सी घटना की आड़ में राष्ट्रीय स्तर का बावेला मचाना, माहौल को शांत न होने देना, एक घिनौनी राजनीति का परिचायक है।
जिन लफ़ंगों ने मंदिर में तोड-फोड़ की, उनके समर्थन में कोई नहीं बोला। मुसलमानों ने मुस्लिम बहुल इलाक़े में मंदिर के पुनर्निर्माण में सहयोग किया। हिंदुओं ने मुसलमानों के साथ मिलकर अमन कमेटी के ज़रिए माहौल सुधारने का काम किया। पर संघी संगठन वहाँ से हिंदुओं को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हिंदू निकलना नहीं चाहते, मुसलमान निकलने देना नहीं चाहते पर विश्व हिंदू परिषद का सारा ज़ोर हौज़ क़ाज़ी को कश्मीर और अयोध्या बना देने पर है।
भारत सरकार चुपचाप देख रही है। सांप्रदायिक तनाव बढ़ने से उसकी जनविरोधी नीतियों को सहायता मिलती है। लोग तब बेरोज़गारी और महँगाई पर सवाल नहीं पूछेंगे बल्कि हिंदू-मुसलमान बनकर एक-दूसरे का गला काटेंगे। यह सुनहला मौक़ा संघ परिवार गँवाना नहीं चाहता। पर लोगों का हित किस बात में है, इसे वे समझ रहे हैं। इसीलिए इतने भड़काने पर भी अभी वे अपने सही रास्ते पर चल रहे हैं। यदि यह भड़काऊ अभियान जारी रहा तो आज के घोर सांप्रदायिक तनाव के दौर में वे कितने दिन अपना विवेक बनाये रख सकेंगे, यह विचारणीय है।
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