अजय तिवारी

अजय तिवारी

लेखक हिन्दी के प्रसिद्द आलोचक हैं। सम्पर्क +919717170693, tiwari.ajay.du@gmail.com
  • Apr- 2024 -
    7 April
    प्रासंगिक

    तानाशाह और शब्द की शक्ति

      तात्कालिक राजनीति हमेशा क्षुद्र होती है लेकिन सौ-पचास साल बाद वही इतिहास बन जाती है और गम्भीर अध्ययन का विषय मानी जाती है! जैसे तात्कालिक घटना नीरस वृत्तान्त होती है लेकिन शताब्दियों बाद उसपर जब विश्वास की परतें लग…

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  • Mar- 2024 -
    23 March
    देश

    जनतन्त्र का पर्व और जनतन्त्र का संकट

      संसदीय चुनाव 2024 केवल केन्द्र की सत्ता का निर्णय नहीं करेगा बल्कि भारतीय जनतन्त्र का भविष्य भी निर्धारित करेंगे। अपनी कहूँ तो अपेक्षा है सत्ता में परिवर्तन की लेकिन आशंका है अनापेक्षित के घटित होने की। अभी पूर्वी उत्तर…

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  • Aug- 2022 -
    26 August
    चर्चा में

    दिशाहीनता काँग्रेस को ले डूबेगी

           वर्तमान काँग्रेस में न आदर्श की प्रेरणा बची है, न संघर्ष की क्षमता। केंद्र में सत्ता-वापसी दूर खिसकती जा रही है और राज्यों में जनाधार सिकुड़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप संगठन पर नेतृत्व का प्रभाव घट रहा है…

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  • Feb- 2020 -
    25 February
    चर्चा मेंजाफराबाद

    शाहीनबाग, जाफराबाद और गाँधी

      मैं 1970 में दिल्ली आया। पचास वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि केन्द्र की सत्ताधारी सरकार के सीधे नियंत्रण में दिल्ली को हिंसा और तबाही के रास्ते पर ठेला जा रहा है। यह तटस्थ रहने का…

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  • Jul- 2019 -
    12 July
    देशकालसंघ की दंगाई योजना

    संघ की दंगाई योजना

      पुरानी दिल्ली के हौज़ क़ाज़ी इलाक़े में मोटर साइकिल पार्क करने के मुद्दे पर मारपीट के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। कुछ बदमाशों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ करके माहौल बिगाड़ने का आधार भी दे दिया। भाजपा…

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  • Jun- 2019 -
    14 June
    देशनिजी क्षेत्र के हाथ में सरकार

    निजी क्षेत्र के हाथ में होगी केन्द्र सरकार?

      पाँच सालों में केन्द्र सरकार में भर्तियाँ नहीं हुईं। अब यह हाल है कि सचिव, उपसचिव, निदेशक के पदों पर निजी क्षेत्र से 400 बड़े अधिकारी आयात किये जा रहे हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार…

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  • 1 June
    मुद्दाराष्ट्रवाद की आँधी

    आत्मनिरीक्षण का समय

      राष्ट्रवाद की आँधी में केवल जाति-धर्म के समीकरण नहीं लड़खड़ाए, क्षेत्रीय हित भी गौण हो गए; सबसे बढ़कर रोज़गार के दिलफरेब गम भी ओझल हो गए| 18 से 22 साल के जो वोटर पहली बार मतदान कर रहे थे,…

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  • May- 2019 -
    19 May
    राजनीतिसंघ और गाँधी

    संघ और गाँधी

      यह मानने में न पहले किसी को हिचक थी, न अब है कि गाँधी-हत्या में आरएसएस की हिस्सेदारी थी। स्वयं संघ के लोगों का दैनन्दिन व्यवहार यह साबित करता रहा है। 30 और 31 जनवरी 1948 को संघ की…

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  • Jan- 2019 -
    26 January
    अंतरराष्ट्रीयराजदीप दासगुप्त

    राजनीति से हटकर

      हर बात को राजनीति मं घसीटकर देखना आज के वातावरण में आम बात हो गयी है। इसका प्रसार पिछले पाँच साल में हुआ है जबसे यह तर्क दिया जाने लगा है कि ‘क्या पहले ऐसा नहीं होता था क्या?’…

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  • 11 January
    देशशिक्षा और ज्ञान 

    शिक्षा और ज्ञान 

      अविजित पाठक ने वाजिब सवाल उठाया है कि मल्टीप्ल च्वॉयस क्वेश्चन की ऑब्जेक्टिव प्रणाली (MCQ प्रणाली) ने ज्ञान के रास्ते को अपूरणीय क्षति पहुँचायी है। सारा ज्ञान एक प्रश्न और चार उत्तर के विकल्प में सिमट गया है। 99%…

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