जीत कर ही लौटेंगे गाँव
किसान राजधानी मुजफ्फरनगर की महान धरती की महापंचायत के यादगार मंच से गूंजे एक साथ भोले, अल्लाह, वाहेगुरु के नारे, इस भरोसे के साथ कि एकता भाईचारे का ये नारा गूंजता था गूंज रहा है और गूंजता रहेगा। इस मंच से बेमिसाल पैगाम आया, एक साथ आए जात पात धर्म बोली की दीवार गिरा दूरी मिटा के लोग और शुरू हुई एकता की मिसाल। बांटने वालों पर निशाना, मीडिया का भ्रम, पुलिस का भय टूटा, किसानों के हुजूम से बीजेपी के होश उड़े, हलधरों की दहाड़ से अहंकार का पहाड़ दरका, देश के कोने-कोने से आए, अब कोना कोना घेरेंगे, जीत नहीं तो गाँव नहीं, सिरों की सुनामी दे सियासत पानी पानी…
यह कहानी है मुजफ्फरनगर की जहाँ किसान पंचायत में किसान नेता बीजेपी पर जमकर बरसे ना सिर्फ बरसे बल्कि बीजेपी के अहंकार गुरुर को बहा ले गए। किसान महापंचायत में हलधरों की गूंज ने सिंहासन हिला दिया। सवाल उछाला मोदी और शाह बाहरी हैं, इन्हें उत्तर प्रदेश से बाहर करना होगा। उत्तराखंड से जीते, गुजरात से जीते कहीं से जीतकर प्रधानमंत्री बने लेकिन सत्ता की कुर्सी उत्तर प्रदेश की जमीन से लेंगे ऐसा किसान होने नहीं देंगे। क्या योगी सरकार पिछली सरकारों से कमजोर है?
भारत बिक रहा है यह बोर्ड लिए खड़ी है भारत सरकार जल, जमीन, जंगल, रेल, तेल, सेल, भेल, बैंक, एलआईसी, खेत, किला, कारखाना, उद्योग, फसल, गोदाम, नदी, सड़क का अधिकार सब लाडले अडानी और अंबानी को बेच देश के नौजवानों की नौकरी डकार रही है बीजेपी की तानाशाही सरकार। कलम कैमरा पर बंदूकों का पहरा संगीनो का साया, हवालात का भय बिठाया है। मीडिया में सच बोलने, लिखने, दिखाने पर रोक है यह अराजकता तानाशाही है। दंगा करवाने वालों के हाथ में सत्ता की चाबी देकर देश से भूल हुई है, यह फूल खिला कर भूल हुई है।
लूट और झूठ की सरकार देश को बेच देश के मजदूर, किसान, कर्मचारी, व्यापारी की जेब काट, नौकरी छीन, चूल्हे बुझा अडानी अंबानी की सेवा कर रही है। गन्ने का दाम एक रुपया भी नहीं बढ़ा योगी सरकार ने यह साबित कर दिया कि वह पहले की सरकारों से कितनी कमजोर, लाचार, मजबूर और झूठी है। टिकैत दहाड़ कर बोले वक्त की पुकार है वोट की चोट करनी होगा। नारा गूंजा फसलों के दाम नहीं तो, वोट नहीं। अथाह जन सैलाब के सामने टिकैत ने ललकारते हुए कहा देश में दंगा कराने वाले, देश को बेचने, बांटने और रोजगार छीनने वाले, पेंशन बंद करने वाले मोदी शाह बाहरी हैं, जो अडानी अंबानी को हर माल बेच… पूरा देश इनके गिरवी रखने की तैयारी में हैं, किसान ऐसा नहीं होने देगा। ये लड़ाई अब सिर्फ हल और हलधर की नहीं रही, बल्कि हल और हलधर से आगे निकल हक, अधिकार, रोजगार कारोबार पेंशन के मुद्दे को भी न्याय युद्ध में उठा धर्म युद्ध का बिगुल फूकेंगे।
मुजफ्फरनगर में सड़कों पर फैला सैलाब, गली गली से गुजरता कारवां, बस, ट्रक, ट्रैक्टरों में सवार हो आए परिवार फूल को धूल में मिलाने का संकल्प ले आए थे ऐसा साफ दिख रहा था और इस शपथ को जन जन तक पहुंचाने का मिशन फूल हमारी भूल लेकर लौटे किसान। सिरों से जुड़े मीलों मील सिरों का जंगल एक सिरे से यही सवाल पूछता रहा बताओ बीजेपी के नेताओं इतने खालिस्तानी, इतने आतंकी, इतने मवाली कहाँ से आ गए? किसानों का रेला रैली से पूछ रहा था बताओ हम मुट्ठी भर हैं या पूरा समुद्र किसानों ने ललकारा किसानों को छेड़ा है तो अब किसान छोड़ेंगे नहीं।
बाबा महेंद्र टिकेत की कर्मभूमि में उमड़े इस जनसैलाब ने सत्ता का अभिमान पानी पानी कर दिया घमंड चूर चूर, सत्ता का खुमार चकनाचूर कर दिया। खुले मंच से बीजेपी पर निशाना, बीजेपी से सवाल, मोदी साहब की तानाशाही, मोदी शाह को बाहरी, मोदी शाह को दंगाई बता किसानों ने साफ कर दिया अब दिलों को बांटने की दाल नहीं गलेगी। दंगा करवा वोट बटोरने की फसल नहीं उगेगी, जाति से जाति को लड़ा धर्म से धर्म को लड़ा फूल नहीं खिलेगा।
राह में किसानों के सम्मान में मुसलमानों ने लंगर लगाया, नन्हे-नन्हे मुसलमान बच्चों ने किसानों को पानी पिलाया, उनकी प्यास बुझाई, साथ खड़े हो साथ चलने का भरोसा दिया तो वही मंच से भी गूंजा अल्लाह हू अकबर, हर-हर महादेव का नारा। धर्म के नाम पर लड़ाई बंद हो यह नारा अमन की बयार बन छा गया। किसान पंचायत की अभूतपूर्व सफलता ने सियासतदानों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट, जाटव, मुसलमान की सांझी पहचान फिर से जिंदा हो उठी। दोस्ती खिलखिला उठी। सदियों के संबंध मजबूत हो उठे। जाटों को समझ आ गया अकेले दम पर चौधर नहीं चलेगी, मुसलमानों को मालूम हुआ धर्म के नाम पर बांटने वालों के बहकावे में हमें नहीं आना है और जाटव समाज को समझ आया मिलकर रहना मिलकर चलना, मिलकर बढ़ना ही हमारी शक्ति है। हिंदू, मुसलमान, जाति, धर्म, मजहब सबको अपनी अपनी गलती का बोध करा गई यह किसान पंचायत। अब पंचायत का सुखद परिणाम अब सब साथ हैं और सबके निशाने पर है बीजेपी।
पंडित संदीप
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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