जब जब आपदाएँ आती हैं तब-तब देश-विदेश मजहब की दीवार तोड़कर इंसानियत को महत्व देता है। ऐसा ही सबूत इस समय कोरोना जैसी भयावह महामारी से जूझ रहे दुनिया के देश दे रहे हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कोरोना के कारण पूरी तरह से बन्द है। कोरोना कोविड-19 नामक एक संक्रमित वायरस ने लगभग एक महीने से विश्व भर में कोहराम मचा रखा है। चीन के वुहान शहर से दिसंबर 2019 में शुरू हुआ यह वायरस आज लगभग समूची दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है। सबसे ज्यादा अमरीका, इटली, स्पेन, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, थाईलैंड जैसे विकसित देश इससे प्रभावित हैं। विश्व के इतिहास में कोरोना जैसे कई वायरस आ चुके हैं- जैसे ज़ीका वायरस, इबोला वायरस, एच1 एन1, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू इत्यादि। लेकिन इतने भयानक हालात कभी पैदा नहीं हुए। महामारी का रूप ले चुका यह वायरस इतना खतरनाक है कि केवल छूने भर मात्र से फैल रहा है। अभी तक पूरी दुनिया में लाखों लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बहुत बेहतर और विकसित देश भी इसका इलाज नहीं ढूंढ पाए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी आम सभा में कहा था कि भारत जैसे देश ने चेचक और पोलियो जैसी भयावह बीमारियों का भी ईलाज ढूँढ़ लिया था। हमें भरोसा है कि भारत इससे जल्द निजात पा लेगा। आज दुनिया की महाशक्तियों के पास भी इस मर्ज का कोई इलाज नहीं है। आगामी दिनों के लिए यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत में कोरोना का संक्रमण भयानक हो सकता है। इसी गति से यदि मामलें बढ़ते रहे तो मई तक इसके मरीज़ों की संख्या लाखों में भी हो सकती है। कहा जा रहा है कि केवल लॉक डाउन पर्याप्त नहीं है। वैसे तो भारत इसे रोकने में बहुत हद तक सफल साबित हुआ है। कोरोना अभी दूसरे चरण में है भारत इसे तीसरे तक जाने से पहले रोक पा रहा है। यह बड़ी बात है। परन्तु सवाल यह है कि यहाँ जाँच कम लोगों की क्यों हुई?
भारत में कोरोना का पहला मामला मार्च में उत्तरी कर्नाटक के कलबुर्गी शहर में सामने आया। इसके बाद पूरे शहर को बन्द कर दिया गया। दिल्ली में भी कोरोना का सबसे पहला मामला मार्च में ही सामने आया। देश के अन्य हिस्सों में इसका फैलाव बहुत तेजी से हुआ। शुरुआती दौर में लोग इस महामारी को बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे थे। धीरे-धीरे इसका प्रकोप बढ़ने लगा। ताजा हालात यह है कि तमाम प्रयास के बाद भी देश के विभिन्न हिस्सों के साथ राजधानी दिल्ली में भी कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। देशभर में पाए गए कोरोना के लगभग 900 मामलों में से दिल्ली में अबतक कुल 49 पॉजेटिव केस पाए गए हैं। वहीं 6 ठीक होकर घर जा चुके हैं। कुछ लोग अभी भी संदिग्ध हालत में हस्पतालों में हैं। 28 मार्च यानी शनिवार को संक्रमण के 9 नए मामलें सामने आये। पीटीआई के मुताबिक देश भर में शनिवार को सबसे ज्यादा मामलें सामने आये। भारत में इस संक्रमण से पहली मौत दिल्ली में एक 68 वर्षीय महिला की हुई थी। वही दूसरी मौत कोरोना पीड़ित 60 साल के यमन नाम के व्यक्ति की हुई। यमन 24 मार्च से अस्पताल में भर्ती थे। दिल्ली के राम मनोहर लोइया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह दिल्ली का 41वें नंबर का केस था।
दिल्ली सरकार ने जनता से अपील की है कि वह एहतियात बरतें, बहुत जरुरी ना हो तो घरों से बाहर न जाएँ। ‘सामाजिक दूरी’ बना कर रखें। भीड़ की स्थिति उतपन्न न होने दें। यदि बाहर जाएँ तो मास्क पहन कर जाए। सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। हाथों को पानी से धोएँ।
दिल्ली के सन्दर्भ में बात करें तो इसके बढ़ते प्रकोप का असर मार्च महीने की शुरुआत से यहाँ ज्यादा नज़र आया है। दिल्ली, जो भारत की राजधानी भी है और सभी राजनैतिक गतिविधियों का केन्द्र है। वायरस की भयंकर स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कुछ ऐसे कदम उठाये हैं जो बहुत बुरी अवस्था पैदा होने से बचने के लिए उठाना जरुरी था। हालाँकि इस कदम का अर्थव्यवस्था और बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। जिन बच्चों की इस समय 10वीं और 12वीं की परीक्षायें थीं, उन्हें टालना पड़ा। सभी स्कूल विश्विद्यालयों को अनिश्चित काल की अवधि तक बन्द करना पड़ा। विश्विद्यालयों की सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी गई।
सभी दफ्तरों को बन्द कर घर से कार्य करने के आदेश दिए गए। सभी निजी और सरकारी कर्मचारियों को आश्वासन दिया गया है कि उनकी तनख्वाह उन्हें घर से कम करने पर भी दे दी जाएगी। सरकार ने यह कदम एक-एक कर के उठायें हैं ताकि जनता मानसिक रूप से परेशान न हो।
आर्थिक अभाव और कुछ अफवाहों के कारण दिल्ली से बड़े पैमाने पर मजदूरों का पलायन होने लगा था। मजदूर और गरीब लोग मजबूरन ही पैदल चल पड़े हैं। रास्तों में उनके साथ तरह-तरह की घटनाएँ घटित हो रही हैं। उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल ने 28 मार्च को दिल्ली की जनता और पलायन कर रहे मजदूरों से अपील की कि वह जहाँ हैं, वहीं रहें। उन्होंने भरोसा जताया कि जरुरत की सभी चीजें सरकार उपलब्ध करवाएगी। स्थिति से निपटने के लिए सरकार 568 स्कूल और 238 शेल्टर होम में रोजाना 4 लाख लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रही है। साथ ही उन्होंने लोगों से ये भी कहा कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस रिलीफ कैम्प की जानकारी पहुँचाये।
लॉक डाउन की वहज से दिल्ली से पलायन कर रहे मजदूरों से उपमुख्यमन्त्री मनीष सिसोदिया भी दिल्ली गाज़ियाबाद बॉर्डर पर मिलने पहुंचे। उन्होंने लोगों को समझाने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि आप सब निश्चिंत रहें। आपको बसों से सुरक्षित भेज दिया जाएगा। केजरीवाल सरकार ने जनता से अपील की है कि वे किरायेदारों से किराया न वसूले इस अपील की कितनी बात सच्ची होगी यह पता करने कौन आया? बजाए पुलिस के सरकार को अपने वालंटियर्स को लगाना चाहिए था जो कि यह भी सुनिश्चित करे कि सेवाएँ सही हाथों तक जा भी रही हैं या नहीं। सी एम राहत कोष की जगह अगर ये पैसा जरूरतमंद के हाथ मे दिया जाए तो शायद ज्यादा सुविधा होगी। सैनिटाइजर इस्तेमाल की सलाह देने के साथ-साथ यदि वह खुद सड़कों को भी सैनिटाइज कराये तो अच्छा होगा।
वहीं दिल्ली पुलिस ने सरकार के आदेश पर एक नई पहल की है कि यदि किसी को बहुत जरूरी है तो वह दिल्ली पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जा कर अपनी बात वहाँ लिख कर एक पास डाऊनलोड कर सकता है। वह पास लेकर आप अपने गंतव्य तक जा सकते हैं।
दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल ने संक्रामक बीमारी एक्ट 1897 के तहत सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गोलबन्दी में 5 से ज़्यादा लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही कुछ जरुरी सामान के अतिरिक्त सभी दुकान, प्रतिष्ठान को पूरी तरह बन्द रखने का आदेश दिया गया है। दिल्ली सीएम ने जनता को भरोसा दिलाया कि लॉकडाउन के वक्त जरूरी सामान की कमी नहीं होने देंगे। प्रारम्भ में विवाह समारोह को इससे अलग रखा गया था। लेकिन अब कम से कम उपस्थिति केवल 2-4 लोगों के ही मिलने की संभावना के साथ अनुमति दी गयी है। साथ में मुख्यमन्त्री अरविंद केजरीवाल ने आग्रह किया था कि हो सके तो लोग विवाह कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दें। अब उस पर भी पूरी तरह स प्रतिबंध लगाया जा चुका है। फिर भी कुछ जगहों पर इन आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है।
कोरोना से सम्बन्धित सभी प्रकार के प्रतिबन्ध तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। दिल्ली की बहुत सी गतिविधियाँ या कार्यक्षेत्र केन्द्र सरकार के अंतर्गत आते हैं। इसलिए सोमवार दिनांक 24 मार्च 2020 से लागू प्रतिबन्ध और कड़े कर दिए गए हैं। कर्फ्यू जैसे हालात हैं। पांच या पांच से अधिक लोगों के इकठ्ठे होने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। इसका असर नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन भी पड़ रहा है। 101 दिनों से चल रहा शाहीन बाग़ का धरना खाली करवा दिया गया। दिल्ली के अन्य जगहों पर चलने वाले आन्दोलन/धरने स्थगित कर दिए गए हैं। पुलिस को सख्ती से आदेश का पालन करवाने की हिदायत दी गयी है। दिल्ली के मुख्यमन्त्री ने कहा कि अगर 5 से ज़्यादा लोग प्रदर्शन स्थल पर होंगे तो उनके ख़िलाफ़ संक्रामक बीमारी एक्ट 1897 के तहत उस इलाक़े के डीएम (उपायुक्त) और एसडीएम कार्रवाई करेंगे। अब हालात यह है कि सभी सिनेमाघरों, मॉल या ऐसी जगहें, जहाँ सामूहिक तौर पर लोग इकठ्ठा होते हैं, को बन्द कर दिया गया। सभी ऑटो और टैक्सी को संक्रमण मुक्त बनाने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए ज़्यादातर जगहों पर हैंड सेनेटाइजर की व्यवस्था होगी। दिल्ली मेट्रो में कोरोना वायरस की स्क्रीनिंग की व्यवस्था के बारे में विचार किया जा रहा है’।
कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए देश के प्रधानमन्त्री ने 22 मार्च को सुबह से लेकर शाम तक जनता कर्फ्यू का आव्हान किया था। लेकिन उसके अगले ही दिन लोगों ने फिर से सड़कों पर निकलना चालू कर दिया। मजबूरन सरकार को दिल्ली को पूरी तरह से बन्द करना पड़ा। प्रधानमन्त्री के निर्देशानुसार दिल्ली 15 अप्रैल तक पूर्णतः बन्द कर दी गई है। कहा जा रहा है कि वायरस अभी अपने तीसरे चरण में अपने चरम पर है। यदि यह इससे ज्यादा भयावह होगा तो हो सकता है कि बन्द की अवधि बढ़ानी पड़े। 25 मार्च को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में प्रधानमन्त्री ने जनता को एक पोस्टर भी दिखाया जिसमें कोरोना का अर्थ कोई रोड़ पर नहीं आये लिखा गया था।
इस समय दिल्ली में धारा 144 लागू है। दिल्ली से जुड़ी सभी राज्यों की सीमाएँ सील कर दी गयी हैं। जो जहाँ है, उसे वहीं रहने को कहा गया है। सभी रेल,हवाई यात्राओं पर रोक लगा दी गई है। ओला,उबेर कैब सुविधाओं को भी जरुरी न हो मतलब की हस्पताल नहीं जाना हो तो चलना मना है। इसके अलावा सभी ऑटो रिक्शा और दुपहिया वाहन, बैट्री रिक्शा सब बन्द किए गए है। सड़कों पर पुलिस की गश्त जारी है। लोगों को बार-बार आगाह किया जा रहा है कि वह अपना ध्यान रखें। जरूरी न हो तो बाहर न जायें।
सरकार फ़ोन के कॉलरट्यून के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही है। जगह जगह पर इससे बचने के लिए उपाय दिए जा रहे हैं। सूचना प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक केवल प्रेस की गाड़ियों की आवाजाही की जाएगी। वहाँ भी कम से कम लोगों को ही जाने की अनुमति दी जाएगी। बाकी सब कार्य पूरी तरह बन्द रहेंगे। सभी हस्पतालों को आदेश है कि वह जरूरी होने पर हर तरह की सेवाओं के लिए तुरंत तैयार हो।
दिल्ली मेट्रो, जिसे दिल्ली का दिल कहा जाता है, भी 31 मार्च तक सेवा में नहीं रहेगी। कुछ जरुरी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में सभी बसों की आवाजाही को घटा कर 25 प्रतिशत तक कर दिया गया है। जैसा कि सभी जानते हैं कि मार्च वित्तीय वर्ष का महीना होता है। बैंकों से निकासी दर घटा दी गई है। उन्हें बहुत सीमित समय, यानी सुबह 8 से 11 तक ही खुले रखने की बात की गई है। संस्थानों में भी वित्तिय वर्ष की गतिविधियों के अलावा कोई कार्य नहीं चल रहा है।
तैयारियों पर बात करते हुए मुख्मंत्री ने कहा, ‘अस्पतालों में 500 बेड कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सुरक्षित रखे गये हैं। इसके अतिरिक्त मरीज़ों को अलग रखने के लिए दिल्ली के ज्यादातर होटलों में भी व्यवस्था की गई है। दिल्ली स्थित गुरुद्वारा मजनू का टीला भी आइसोलेशन केन्द्र बनाया गया है। म्यूनिसिपल कमिश्नर और डिस्ट्रिक्ट ऑफिसरों को सार्वजनिक स्थानों पर मोबाइल वॉशबेसिन लगाने को कहा गया है।’
सभी बाजारों में केवल जरूरी सामान जैसे रोज़मर्रा की चीजों की बिक्री होगी। जनता कर्फ्यू के आव्हान के बाद लोगों ने राजधानी में काला बाज़ारी करना शुरू कर दिया था। जिसके मद्दे नज़र अन्य कई सख्त कदम उठाने पड़े। जिसमें जमाखोरी और दाम बढ़ाने जैसी समस्याओं को लेकर दिल्ली सरकार बहुत सावधान है। दिल्ली में इस समय केन्द्र और राज्य सरकार मिल कर अपने कार्यों को अंजाम दे रही हैं।
केजरीवाल ने ट्वीट कर बताया कि सभी पेंशन जैसे कि विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन तथा अन्य कई सुविधाओं को बढ़ा कर अप्रैल तक दुगना किया गया है। गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोग या फिर जो रोज काम कर के रोजगार कमाने वाले लोग हैं सरकार उन्हें मुफ्त में राशनकार्ड पर राशन उपलब्ध कराएगी साथ ही 5 हज़ार रुपये खर्च के लिए भी देगी।
45000 नए आइसोलेशन वार्ड सरकार ने तैयार कर दिए। दिल्ली में अभी तक आयुष्मान योजना लागू नहीं हुई थी। मगर अब दिल्ली में केन्द्र सरकार की पहल आयुष्मान योजना भी लागू हो चुकी है। सरकार का कहना है कि मरीज़ों का इलाज इसी योजना के तहत किया जाएगा। दिल्ली सरकार ने अपने सभी मोहल्ला क्लीनिक इत्यादि को सक्रिय कर दिया है क्लीनिकों में टेस्टलैब और आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। 70 वाटर कैनन टैंकों में सैनिटाइजर भरवा कर दिल्ली को सैनिटाइज किया जा रहा है। बस मेट्रो सड़कों और पार्कों को सैनिटाइज किया जा रहा है। लगभग 3200 रिटायर डॉक्टरों को ड्यूटी पर बुला लिया गया। केजरीवाल सरकार ने अपने रेन बसेरे बनाए है जो लोग बाहर खुले में या फुटपाथ इत्यादि पर सोते हैं उनके लिए। वहाँ सरकार ने उनके लिए खाने पीने के सभी प्रबंध किए है।
कोरोना से लड़ने के लिए चालू वित्तिय वर्ष में 3 करोड़ और नए वित्तिय वर्ष के लिए फिलहाल 50 करोड़ की व्यवस्था की है जरूरत पड़ने पर बढ़ाया भी जाएगा।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोगों को दिक्कत हो रही है, लेकिन आवश्यक सामानों की कमी नहीं होने दी जाएगी। मुख्यमन्त्री ने कहा कि प्रशासन ने फैसला किया है कि दूध, दवाई, सब्जी बेचने वाले, मास्क और सैनिटाइजर बनाने वाले जैसे लोगों को तुरंत ई पास मुहैया कराए जाए। ये पास 25 मार्च को देर शाम तक मुहैया करा दिए गए। इसके अलावा 27 मार्च को कहा गया कि रोजमर्रा की जरूरी चीजों की दुकानें 24 घण्टे खोली जाएँगी। दवाइयों की डिलीवरी को घर तक लाने की सुविधा भी की गई है।
सरकार ने सभी जरूरी कदम तो उठा लिए मगर जिस तरह चुनावों के समय पर या दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के समय मास्क इत्यादि बाटें गए थे। इस समय जब इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है तो सरकार इसपर चुप क्यूं है? बाज़ारों में मनमर्ज़ी से सैनिटाइजर के दाम बढ़ के बिक रहे हैं। सरकार ये मुहैया क्यों नहीं करवा रही है?
दिल्ली सरकार का कम समय और अपने सीमित संसाधनों में बेहतर कार्य करने का प्रयास सराहनीय है। साथ ही कुछ अनियमितताएँ भी देखने को मिल रही हैं। यह सवाल अभी भी जीवंत है कि क्या सच मे जरूरतमंदों तक राशन पानी पहुंच रहा है? इसकी जाँच भी सरकार को करनी चाहिए। शिकायत है कि 1 लाख की गाड़ी से उतरने वाले भी अपने को मजदूर बताकर राशन ले रहे हैं। दुकानदार मनमर्जी से सामान ओने पौने दामों पर बेच रहे हैं। बीमारी जान पर बन गई है फिर भी यह सब हो रहा है।
कोरोना वायरस से जुड़ी सही जानकारियों के लिए दिल्ली में तमाम लोग इधर-उधर न भटकें, इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने एक कंट्रोल रूम बनाया है। यह कंट्रोल रूम नई दिल्ली जिले में जयसिंह रोड पर स्थित पुलिस मुख्यालय से संचालित हो रहा। आम नागरिक की मदद के लिए स्थापित यह नियंत्रण-हेल्पलाइन सेवा कक्ष 24 घंटे काम करेगा। हेल्पलाइन सेवा केन्द्र के लिए 011-23469526 नंबर निर्धारित किया गया है।
कोरोना पर देश में 21 दिन का लॉकडाउन 26 मार्च से अस्तित्व में आया है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी इसी दिन से है। इस मौके पर जिन मंदिरों पर सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ती थी, वे आज सूने नजर आए। सारे धार्मिक स्थलों को बन्द किया गया है। दिल्ली के झंडेवाला मंदिर को भी बन्द किया गया है। मंदिर पर नोटिस लगाया गया है, जिसमें मंदिर के अगले 21 दिन बन्द रहने की सूचना दी गई है। हालांकि सरकार के तमाम एहतियाती कदम उठाये जाने के बाद भी जनता द्वारा कुछ जगहों पर उसके उलंघन की ख़बरें बहुत अच्छा संकेत नहीं हैं। इस तरह के उलन्घनों को रोकने के लिए पुलिस की सख्ती ही एक कारगर तरीका दिखाई दे रही है।फिलहाल इन कठिन परिस्थितियों में एकजुट हो कर सरकार के बताए निर्देशों पर चलना चाहिए। इन्हीं कदमों की वजह से हो सकता है बहुत जल्द भारत इससे छुटकारा पा ले। बहरहाल 14 अप्रैल के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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