- अतुल सिंघल
दिल्ली विधानसभा चुनावों में मौजूदा हालात त्रिशंकु विधानसभा के गठन का संकेत दे रहे हैं। राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने चुनावी रणनीति से मुकाबले को रोचक बना दिया है। भाजपा ने मोदी सरकार के दिग्गज मंत्रियों और अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पूरी फौज दिल्ली विधानसभा चुनावों के प्रचार के उतार रखी है। जबकि सत्ताधारी आम आदमी पार्टी बिजली पानी और लुभावनी योजनाओं से दिल्ली की जनता को लुभाने का काम कर रही है। वहीं कांग्रेस ने अपने ज्यादातर पूर्व विधायकों पर दांव खेला है। इनमें से कई दिग्गज दिल्ली की राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं, जो लगातार कई कई चुनाव लड़ कर जीत चुके हैं। इनकी मौजूदगी से कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
शाहीन बाग के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के रुख से मुस्लिम समुदाय नाराज बताया जा रहा है। यह वर्ग कांग्रेस का परंपरागत वोटर है। उधर भाजपा ने शाहीन बाग के मसले को जोर शोर से उठा कर वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास भी किया है।
कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि दिल्ली में शायद किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नही मिल पायेगा और स्थिति कमोबेश 2013 वाली बनेगी। बहरहाल मुकाबला दिलचस्प है और अब इंतज़ार 11 फरवरी का है।
लेखक असम के राज्यपाल के मीडिया एडवाइजर हैं|
Related articles

करिश्माई नेता हमेशा नहीं पैदा होते
जगन्नाथ जग्गूJun 11, 2020
पलायन मजदूरों का या सरकारों का?
सबलोगMay 28, 2020
कोरोना काल और समाज
सबलोगMay 28, 2020
देशवासियों को “भीड़तन्त्र” के आतंक से मुक्ति कब
सबलोगMar 14, 2020
दिल्ली भाजपा की उम्मीदों पर फिर से लगा झाड़ू
सबलोगMar 04, 2020
भीड़ लोकतंत्र की ही हत्या कर दे उसके पहले…
सबलोगDec 02, 2018डोनेट करें
जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
विज्ञापन
