विभा ठाकुर
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Mar- 2023 -8 Marchसमाज
चरवाहा घुमंतू समाज का संकट
पशु आदिम अवस्था से ही मनुष्य का सहयात्री रहा, कभी आखेटक के शिकार के रूप में तो कभी पोषण करने वाला पालतू पशु बनकर। आदिम समय से मनुष्य ने पशुओं की उपयोगिता के आधार पर उसे पालतू बनाकर उनसे…
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Aug- 2022 -15 Augustदेश
स्वाधीनता आन्दोलन की लोक जनश्रुतियाँ
लोक मानस जितना सरल होता है उतना ही अपनी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति के लिए चतुर भी। लोक अपने समाज में घटने वाली घटनाओं का प्रत्यक्ष द्रष्टा बनकर जब उसकी अभिव्यक्ति अपनी बोली बानी में करता है तो उसकी संप्रेषणीयता…
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Jun- 2022 -5 Juneपर्यावरण
पारम्परिक खेती : खाद्य सुरक्षा का विकल्प
मानव ने दस हजार वर्ष पूर्व खेती करना आरम्भ किया। उस युग में खेती करने के लिए सबसे पहले उगाए जाने वाले अनाजों में धान की खेती की गई क्योंकि इसकी खेती दूसरे अनाजों की तुलना में ज्यादा आसान…
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Jun- 2021 -16 Juneसंस्कृति
लोक संस्कृति और महामारियों के देवी देवता
‘बिना परिचय के किसी से प्रेम नही हो सकता’ यह बात लोक संस्कृति के संदर्भ में भी कही जा सकती है। लोक संस्कृति से परिचित हुए बिना इनकी आस्थाओं और विश्वासों को नही जाना जा सकता। लोक समाज तर्क…
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7 Juneमुद्दा
पोखर और तालाबों की पारम्परिक व्यवस्था
राज्य समाज के कल्याण के लिए साधन का काम करता है जबकि समाज स्वयं साध्य है। दूसरे शब्दों में कहें तो सदैव साधन का अस्तित्व साध्य के लिए है न कि साध्य का अस्तित्व साधन के लिए। लेकिन आधुनिक…
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May- 2021 -14 Mayसंस्कृति
लोक गायकों की कथा
गीतों के माध्यम से कही गयी कथा को लोकगाथा कहा जाता है। क्षेत्रानुसार इसके लिए अलग अलग शब्द जैसे महाराष्ट्र में लोकगाथा के लिए ‘पवाड़ा’, गुजराती मे ‘कथागीत’ राजस्थानी मे ‘गीत कथा’ आदि का प्रयोग किया जाता…
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7 Mayसंस्कृति
वारली चित्रकला
वारली चित्रकला की शैली भीमबेटका की शैल गुफाओं के चित्रकला के समान है। माना जाता है कि गुफाओं व शैलाश्रयों में पाये जाने वाले शैल चित्र आदिम चित्रकला के रूप हैं। उस समय इन चित्रकलाओं का प्रयोग कहानियों को…
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6 Mayएतिहासिक
लोकगीतों में दर्ज है अनाम योद्धाओं के बलिदान की कथाएं
लोकमन अपने स्मृतियों में अतीत के इतिहास को सुरक्षित रखता है और जब वह उसकी अभिव्यक्ति कथाओं और गीतों के माध्यम से करता है तो वह साक्ष्य के रूप में आने वाली अनेक पीढ़ियों तक सुरक्षित रहती हैं कारण…
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4 Mayसंस्कृति
प्रतीकों की अभिव्यक्ति कोहबर कला
लोक में लोकाचार का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। लोकाचार किसी भी पर्व, पूजा, संस्कार को जीवन्त व रोचक बनाते है। विशेषकर विवाह संस्कार में इन लोकाचारों के द्वारा वर मधु के मिलन को एक उत्सव में बदल दिया जाता…
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Apr- 2021 -27 Aprilमणिपुर
मणिपुर की लांगपी कला
लांगपी हैम के नाम से जाने जानी वाली कला (काली मिट्टी के बर्तन बनाने की कला) नागा जनजातियों द्वारा शुरू की गयी। इस कला की विशेषता यह है कि इसमें घड़े (बर्तन) बनाने के लिए चाक का प्रयोग नहीं…
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