मृत्युंजय श्रीवास्तव
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Jul- 2020 -29 Julyमुद्दा
सुशांत सिंह राजपूत का मरना
अभी तक सुशांत ने अपने जादू के जलवे का पूरा खेल नहीं दिखाया था। दिखाता, इससे पहले ही उसका खेल सिमट गया। वह मर गया। कहते हैं अपने हाथों मरा। कुछ को लगता है हाथ किसी और का था।…
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28 Julyदेशकाल
पढ़ा लिखा अंगूठा छाप भारतवर्ष बनेगा विश्वगुरु
जिन्होंने जमाना देखा है, वे प्रतिप्रश्न करते हैं कि क्या कोई ऐसा भी जमाना था जब सब बराबर रहे हों, असमानता न रही हो? हाथ कंगन को आरसी क्या की ठसक से वे अपनी हथेलियों की अंगुलियाँ भी दिखाते…
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3 Julyसिनेमा
थप्पड़ हो या कोड़े चलते हैं गुलामों पर ही
थप्पड़ यानी हिंसा। हिंसा माने अपमान। अपमान माने अस्वीकार। अस्तित्व का अस्वीकार। किसी मनुष्य के लिए प्रखर पीड़ा का पल। गहन अन्धकार। थप्पड़ मारने का अधिकार। प्रेम के रास्ते चाहिए यह अधिकार। पुरुष ले लेता है यह अधिकार। लेता…
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Jun- 2020 -6 Juneमुद्दा
असमानता की उपादेयता?
कोरोना क्या आया, भेद खुल गए। भेद जो खुले, वे भेद नहीं थे। जगजाहिर था, मगर ढंका तुपा था। जैसा चल रहा था, चल रहा था। जो चल रहा था, वही सामान्य था। व्यवस्था अपनी तरह से काम कर…
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May- 2020 -30 Mayमुद्दा
लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था
अरुण कुमार पुनर्लेखन एवं संक्षेपण : मृत्युंजय जब लोगों का काम पर जाना लगभग बन्द हो, कल-कारखाने और दफ्तर ठप्प हों और सिर्फ आवश्यक उत्पादन की इजाजत हो तो ऐसे लॉक डाउन में अर्थव्यवस्था कैसे काम करती है? भारत…
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