आज वायु प्रदूषण हमारे जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने सख्त दिशा – निर्देश जारी किए हैं। डब्लूएचओ ने वायु प्रदूषण को धूम्रपान और अस्वस्थ्यकारी आहार के बराबर माना हैं।
एयर क्वालिटी इंडेक्स के नकारात्मक प्रभाव पर अपनी संशोधित रिपोर्ट में डब्लूएचओ ने साफ तौर पर कहा हैं कि वायु प्रदूषण मानव जीवन के सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक हैं, जिससे हर साल सत्तर लाख लोगों की अकाल मृत्यु हो रही हैं और हर साल लाखों लोगों के स्वास्थ्य का प्रभावित होने का अनुमान हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत सहित पूरी दुनिया के बड़े हिस्से में वायु प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा हैं, जिसके कारण लोग प्रदूषित हवा में रहने को मजबूर हैं।
डब्ल्यूएचओ ने औसत वार्षिक पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 2.5 स्तर के लिए अनुशंसित सीमा को 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से घटाकर 5 कर दिया है। इसने पीएम 10 के लिए अनुशंसित सीमा को 20 माइक्रोग्राम को घटाकर 15 कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार “पीएम मुख्य रूप से परिवहन, ऊर्जा, घरों, उद्योग और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में ईंधन के दहन से उत्पन्न होता है।” गौरतलब है कि न्यूयॉर्क में आयोजित सयुक्त राष्ट्र महासभा में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख विषय हैं जिसके बाद माना जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु गुणवत्ता से जुड़े दिशा – निर्देश में संशोधन किया है। जिसका मकसद वायु प्रदूषण से हर साल होने वाली लाखों मौतों को कम करना हैं।
जीवन जीने के लिए सांसे जरूरी हैं और इन सांसों के लिए जरूरी है हवा। लेकिन जब जीवन देने वाली ये हवा ही जहरीली हो जाए और मौत देने पर उतारू हो जाए तो सहम जाना लाज़मी है। दुनिया भर की तमाम हालिया रिपोर्टों के मुताबिक दुर्भाग्य से भारत उन देशों की सूची में ऊपरी पायदान पर है, जहां हवा जीने लायक नहीं है। एयर क्वालिटी रिपोर्ट, 2020 के मुताबिक दुनिया के सबसे प्रदूषित 30 शहरों में से 22 भारत में हैं।
इतना ही नहीं दिल्ली दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी शहरों की सूची में शीर्ष पर है। यकीनन ये रिपोर्ट डराती हैं साथ ही आगाह करती हैं कि अगर वायु की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए अगर हम जल्द ही नहीं चेते तो स्थिति ओर भयावह हो जायेगी। लेकिन सवाल बना हुआ है कि आखिर इस दम घोटू हवा के लिये ज़िम्मेदार कौन है और कैसे पूरे उत्तर भारत को इस जहरीली धुंध से हमेशा के लिये छुटकारा मिलेगा। भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पर्यावरण में जीने का अधिकार है, जो अनुच्छेद 21 में दिये गए ‘जीवन जीने के अधिकार’ में निहित है।
मानव सभ्यता व समाज को प्रकृति व औद्योगीकरण के बीच सामंजस्य स्थापित करना अति आवश्यक है। प्राकृतिक असंतुलन मानव समाज को विनाश की ओर ले जाएगा। भारत सरकार को वायु प्रदूषण को कम करने के लिये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज व आम आदमी की भागीदारी को प्रोत्साहित करना होगा। वायु प्रदूषण को कम करने के लिये आम लोगों को शिक्षित और सूचित किया जा सकता है। इसमें सोशल मीडिया का प्रभावी कदम हो सकता हैं, जिसमें यह ताकत है कि एक समय में करोड़ों लोगों तक जागरूकता संदेश पहुंच सकता हैं।
Related articles

भगवान बुद्ध के विचार आज भी प्रासंगिक
गौतम एस.आर.May 26, 2021
डॉ. अम्बेडकर में है भारत का भविष्य
गौतम एस.आर.Apr 14, 2021
रेडियो सूचना का सशक्त एवं प्रभावी माध्यम
गौतम एस.आर.Feb 13, 2021
आत्मनिर्भर भारत और युवा
गौतम एस.आर.Jan 12, 2021डोनेट करें
जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
विज्ञापन
