आत्मनिर्भर भारत और युवा
किसी भी राष्ट्र के विकास का आधार युवा शक्ति होती है। युवाओं के कंधों पर ही वर्तमान और भविष्य निहित होता है। किसी भी देश की तरक़्क़ी के लिए बेहद जरुरी है कि उस देश की युवा शक्ति कार्यशील और ऊर्जावान हों। हमें गर्व है कि हमारे पास विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति है, जों निरन्तर अपने कौशल और नवाचारों से सफलता की मिसाल पेश कर रही है।
महामारी के इस दौर में भी भारतीय युवा लगातार अपनी रचनात्मकता और सकारत्मक सोच से नये – नये नवाचार कर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में प्रयासरत है। कोरोना काल के शुरुआती समय में भारत पीपीई किट और मास्क को लेकर दूसरे देशों पर निर्भर था। लेकिन भारत के युवा उद्यमियों और महिलाओं ने बेहद कम समय में ही मास्क व पीपीई किट जैसे सुरक्षा उपकरणों का उत्पादन कर भारत को आत्मनिर्भर बना दिया।
भारत वसुधैव कुटुम्बकम यानि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है। इस मूल मन्त्र पर विश्वास करता है। इसी का नतीजा है कि भारत ने महामारी से जूझ रहे विभिन्न देशों को दो करोड़ से अधिक पीपीई किट और चार करोड़ से अधिक मास्क जैसे सुरक्षा उपकरण निर्यात कर मदद की।
हाल ही में देश ने आत्मनिर्भर भारत में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरसल, भारत में निर्मित कोविशील्ड और कोवैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। महामारी के विरुद्ध इस संघर्ष में देशवासियों के लिए यह राहत भरी खबर है। हमारे वैज्ञानिकों के कठिन परिश्रम की बदौलत ही बेहद कम समय में वैक्सीन बनकर तैयार हो सकी। जल्द ही भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने वाला है। जिस तरह से हमने वैक्सीन में आत्मनिर्भरता हासिल की। उसी तरह से हमें भारत को अन्य क्षेत्रों में भी आत्मनिर्भर बनना है और यही देश के प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।
मई 2020 में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य यह है कि भारत अर्थव्यवस्था के सभी आयामों में आत्मनिर्भर हों। उसे अपनी आवश्यकताओं के लिए किसी दूसरे देश पर निर्भर नही रहना पड़े। प्रधानमन्त्री मोदी ने अपने वक्तव्य में जिस तरह से लक्ष्य साधक चार एल यानी लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ से जुड़ी बारीकियों पर जोर देते हुए इकोनॉमी, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिस्टम, डेमोग्राफी और डिमांड जैसे पाँच पिलरों को मजबूती देने का आह्वान किया है, उससे यह साफ है कि इन नौ शब्दों की सीढ़ियों के सहारे आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का विचार, भारत के वैचारिक परम्परा का हिस्सा रहा है। यह विचार महात्मा गाँधी की ग्राम स्वराज अवधारणा से मेल खाता है। महात्मा गाँधी का मानना था कि हर एक गांव अपनी जरूरतों को पूरा करने के मामलें में स्वालंबी हों। तभी वह सच्चा ग्राम स्वराज स्थापित हो सकता है। महात्मा गाँधी गांवों की तरक्की के लिए कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने पर हमेशा बल दिया करते थे। जिसमें चरका और खादी का प्रचार भी शामिल था। वर्तमान में ग्राम स्वराज की तर्ज पर ही आत्मनिर्भर भारत को बढ़वा दिया जा रहा है।
भारत में स्वदेशी को एक विचार के रूप में देखा जाता है। लम्बे समय से राष्ट्रवादी तबका स्वदेशी के पक्ष में लोगों को जागरूक कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार सृजन होंगे, स्थानीय स्तर पर उत्पादन होगा, पलायन जैसी समस्या रूकेगी, दूसरे देशों पर निर्भरता नही रहेगी, इसके अलावा देश और समाज का विकास तीव्र गति से होगा। इसके लिए बेहद जरूरी है कि युवा शक्ति परिस्थितियों को दोष देने के बजाय समस्याओं को अवसर में बदलने का प्रयास करें।
आत्मनिर्भर भारत को सफल बनाने में युवाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। भारतीय युवा देश की आर्थिकी, विज्ञान-तकनीक और मानव संसाधन क्षमताओं का दोहन कर उसे सुनहरे कल की ओर ले जा सकते हैं। आज हमारे कई युवा दुनिया की नामी कंपनियां संभाल रहे हैं। आईटी क्षेत्र में तो उनका लोहा सात समंदर पार तक दुनियाभर में माना जा रहा है। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज कंपनियों की कमान भारतीयों के हाथ में है। इससे एक चीज तो स्पष्ट है कि भारत के पास कौशल युक्त युवाओं की कोई कमी नही है। बस जरूरत है युवाओं का सही व सकारात्मक मार्गदर्शन करते हुए उन्हें इस दिशा में प्रेरित करने की।
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि भारतीय युवा शक्ति अपने पराक्रम से विश्व को बदल सकती हैं। निश्चित ही युवा शक्ति को एक भारत, समृद्ध भारत एवं आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर आगे बढ़ना होगा। आज अमेरिका भले ही महाशक्ति देश है पर वों दिन दूर नही जब भारत विश्व शक्ति बनेगा। यह संभव हो सकता है, सिर्फ़ आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने से।
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