
अफसरों के साथ चिंतन के बहाने दिशा तलाश रही हरियाणा सरकार के लंच पर एक दर्जन से ज्यादा विधायक नहीं पहुंचे.
तीन दिन के फाइव स्टार चिंतन शिविर के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि फिलहाल सरकार को तीन साल हुए हैं और चूंकि प्रदेश में भाजपा की पहली बार सरकार बनी और वे पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं, इसलिए असली काम तो अब शुरू होगा। खट्टर के अनुसार अब तक तो वे खुद, पार्टी और सरकार, प्रदेश को समझ ही रहे थे।
ऐसी ही बात हरियाणा के भाजपाईयो ने पहले साल में, पहला साल पूरा होने पर और दूसरा साल पूरा होने पर भी कही थी। चिंताजनक बात ये है कि कार्यकाल के उत्तरार्द्ध में पहुंच चुकी भाजपा को अब तक ना अपनी दिशा मिला है, ना सरकार और प्रशासन पर पकड़।
प्रशासनिक अधिकारियों से तालमेल बढ़ाने की कोशिश में खट्टर सरकार हिमाचल की पहाड़ियों पर जा बैठी और खामखा की आलोचनाओं को निमंत्रण दे दिया। शांत माहौल, एकांत आदि का तर्क बेमायने रहा और इस सवाल का भी स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया कि इस शिविर से मिला क्या।
राज्य सरकार के आलीशान, खूबसूरत और सुरक्षित पर्यटन स्थल मोरनी, पिंजौर और सूरजकुंड को छोड़कर हिमाचल के फाइव स्टार होटल में ऐसा शिविर आयोजित करना सरकार की सजगता पर सवाल खड़े करवा रहा है। ऐसे वक्त में जब हिसार जिले के उकलाना में एक 5-वर्षीय बच्ची हैवानियत का शिकार हुई, तब सरकार की संगीतमय शामों के सुर प्रदेशवासियों को बिल्कुल नहीं सुहाए। सरकार का नजरिया नीतिगत और प्रशासनिक दक्षता वाले सुधारों का बताया गया लेकिन ज़मीनी मुद्दों से भाजपा सरकार लगातार दूर होती जा रही है।
एक सवाल यह भी है कि अधिकारियों से तालमेल सुधारने में जुटी सरकार का अंदरूनी तालमेल कितना है। क्या जातिगत आधार पर बंटा मंत्रिमंडल अब मिलजुल कर काम करेगा ? शिविर के आखिरी दिन लंच पर बुलाए गए मंत्रिमंडल से बाहर के पार्टी विधायकों में से करीब आधे पहुंचे ही नहीं। इस असंतोष से खट्टर सरकार कब तक आंख चुराएगी ?
बड़ी बड़ी बातें करने, जुमलों से दिल जीतने वाले और लच्छेदार भाषणों के माहिर भाजपा वालों की बातें हजम करने से पहले अब लोग सवाल पूछने लगे हैं। वो दौर बहुत जल्दी बीत गया जब मोदी के नाम पर हर सवाल दम तोड़ देता था, हर आशंका आत्मविश्वास खो देती थी। खैर, आखिरी कुछ महीनों में ही सही, हरियाणा सरकार तेज़ी से और परिणाम आधारित कामों पर ध्यान दे देगी तो राज्य का भी भला होगा और पार्टी के लिए भी 2019 में राहत रहेगी।
दीपकमल सहारण
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं
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