AMITA

  • शिक्षा

    असाधारण से साधारण होते शिक्षक

    शिक्षा और शिक्षक दोनों ही समाज की एक मजबूत धुरी रहे हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जिनमें शिक्षा नहीं होती है, वे लोग पशुवत कहे जाते हैं। पशु से अलग मनुष्य को, मनुष्य का दर्जा दिलाने में शिक्षक की…

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  • विशेषवेलेंटाइन और एंटी वेलेंटाइन

    वो प्यार था या कुछ और

      वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही प्रेम का भी मौसम देश-दुनिया में गुलजार होने लगता है। हर तरफ बाजार प्रेम के प्रतीकों से भर जाता है। युवाओं अथवा प्रेमी युगलों में जोश देखने लायक होता है। प्यार के…

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  • मीडियामीडिया मिशन से प्रोफेशन

    मीडिया: मिशन से प्रोफेशन तक का सफर

      आज पूरे देश में आजादी के अमृत महोत्सव की चर्चा और उत्सव दोनों ही चरम पर है। इस महोत्‍सव के माध्‍यम से लोगों को देशभक्ति की भावना से जोड़ने की एक अच्छी पहल की जा रही है। इस उत्‍सव…

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  • शख्सियत

    कहाँ वे चले गये

      बात 2, 3 मार्च 2011 की है। अवसर था राजीव गाँधी शासकीय स्‍नातकोत्‍तर महाविद्यालय, अम्बिकापुर (छ.ग.) में मीडिया पर आयोजित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का। उस दौरान मैं महात्‍मा गाँधी अंतरराष्‍ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय, वर्धा से जनसंचार में पीएच.डी. कर रही थी।…

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  • मुद्दा

    व्‍यवस्‍था के मारे किन्‍नर

      समाज अथवा देश को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए नियम-कानून या व्‍यवस्‍था आवश्‍यक होता है। किन्तु किसी भी समाज में व्‍यवस्‍था को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। यदि व्‍यवस्‍था सही न हो तो आम जनता…

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  • सामयिक

    उपभोक्‍ताओं पर मंडराता ठगी का जाल

       सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में मोबाइल जीवन का बेहद महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बन गया है, जिसके बिना एक पल भी र‍हना लोगों को मुश्किल लगने लगा है। यदि यह कहें कि मोबाइल के बिना जीवन की कल्‍पना असम्भव प्रतीत…

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  • शख्सियत

    चीरहरण के वे सवाल

      भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति प्रारम्भ से ही हाशिए पर रही है। शोषण, अत्‍याचार तो जन्‍म के साथ ही इनके नसीब में जुड़ जाता है। महिलाओं के साथ बलात्‍कार की बढ़ती घटनाएँ और हिंसा भी कोई नयी बात…

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  • पर्यावरणsave tree

    पर्यावरण और आधी आबादी

      अमिता   पर्यावरण मनुष्‍य के जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्‍सा है। मनुष्‍य प्रारम्भ से ही प्रकृति को पूजता रहा है क्‍योंकि मनुष्‍य प्रकृति पर पूरी तरह से निर्भर है। कहीं सुहागन अपनी सुहाग की लम्बी उम्र के लिए वट-सावित्री व्रत…

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  • सामयिकdashrath manjhi road

    सिस्‍टम के कंधे पर लाशों का बोझ

      बिहार के ‘माउंटेन मैन’, दशरथ माँझी को शायद ही कोई होगा, जो नहीं जानता होगा। उस समय लोग इनसे और भी अच्‍छे से परिचित हो गये, जब नवाजुद्दीन सिद्दकी जैसे कलाकार ने उनके जीवन को परदे पर पुन: जीवन्त…

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  • शख्सियतrishi kapoor

    ये अरमाँ है शोर नहीं हो, खामोशी के मेले हों

      इस महामारी और लॉकडाउन के दौर में हम लगातार कई सदमे से गुजर रहे हैं। इन सबके बीच पता नहीं था कि दो सदमे ऐसे भी मिलेंगे, जिससे उबर पाना बेहद मुश्किल है। वे भी तब, जब आप चारदीवारी…

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