सिनेमा

मनोरंजन की गारंटी नहीं ‘ट्यूजडेज एंड फ्राईडेज’ में

 

{Featured in IMDb Critics Reviews}

 

 फ़िल्म : ट्यूजडेज एंड फ्राईडेज
कलाकार: अनमोल ठाकेरिया ढिल्लो, जटालिका मल्होत्रा, अनुराधा पटेल, निकी वालिया और प्रवीन डब्बास आदि।
निर्देशक: तरनवीर सिंह
निर्माता: संजय लीला भंसाली और भूषण कुमार
अपनी रेटिंग – डेढ़ स्टार

प्यार कहीं खुशियों की गारंटी के साथ नहीं आता लेकिन होता ऐसे ही है दिल खोलकर। फ़िल्म का एक संवाद है। ट्यूजडेज एंड फ्राईडेज फ़िल्म हल्की फुल्की खुशी के पल तो देती है लेकिन भरपूर मनोरंजन की गारंटी नहीं लेती। इसके अलावा फिल्म में हीरो हीरोइन के तीन रूल या कहें मिलने-मिलाने के नियम, कायदे-कानून भी हैं वो हैं कि वे केवल मंगलवार और शुक्रवार को मिलेंगे। दूसरा हीरो इन दो दिनों में किसी अन्य लड़की के साथ नहीं दिखेगा हीरोइन को। तीसरा ये कि उनकी तीसरी डेट से पहले कोई सेक्स नहीं होगा। आजकल के जमाने में लड़का लड़की में ऐसे नियम कायदे कानून होते होंगे मान लिया लेकिन फ़िल्म बनाने वालों फ़िल्म बनाने के भी तो कोई नियम कायदे कानून होते हैं कि नहीं।

बात करें फिल्म के निर्माता की तो निर्माता हैं संजय लीला भंसाली लेकिन जिस तरह उनकी पिछली भव्य सेट डिजाइन वाली फिल्में हमें देखने को मिली है उसका चौथाई हिस्सा भी इस फ़िल्म में नजर नही आता। बड़े बैनर की फिल्म होने के बाद फिल्म कोई खास कमाल करती दिखाई नहीं देती। फिल्म से दो कलाकार अनमोल और जटालिका ने फिल्मी कैरियर शुरू किया है।

यह भी पढ़ें- पितृसत्तात्मकता को चुनौती देती काँचली

फिल्म की कहानी में एक हीरो है और एक हीरोइन जो हर फिल्म में होते ही हैं यार। हीरो लेखक है और उसका उपन्यास बेस्ट सेलर हो गया है। दूसरी ओर हीरोइन एक वकील है इसी नाते जिन्दगी खुलकर जीने में यकीन करती है। दोनों मिलते हैं और धीरे धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं। अब भईया करीब न आए तो कहानी कैसे बने। लेकिन दोनों को डर भी है कि कहीं इस रिश्ते का नमक जल्द ही फ़ीका न पड़ जाए। ऐसे में ये तय करते हैं कि प्रेमी के रूप में वे सिर्फ मंगलवार और शुक्रवार को ही रहेंगे, मिलेंगे बाकी दिन वह आम दोस्तों की तरह गुजारेंगे। दोनों का पारिवारिक अतीत भी फ़िल्म में गढ़ा गया है ताकि बजरंग बली और संतोषी माता के दिनों में बंटे इस प्यार को कुछ आधार दिया जा सके। बावजूद इसके फ़िल्म की कहानी थोड़ी समझ के परे है। आपको समझ आए तो जरा हमें भी बता दीजिएगा। Image result for t & f movie

निर्देशन बाज दफ़ा अच्छा है लेकिन बाज दफ़ा फिल्म बोर करती नजर आती। इसकी तेज गति और फिर धीमी गति ऐसे लगता है जैसे किसी टूटी सड़क पर खड़खड़ाती बस चल रही हो, उसका अहसास कराती है। वहीं अभिनय के लिहाज से फिल्म में लीड रोल करने वाले हीरो हीरोइन ने ठीक ठाक काम किया है। लेकिन उनकी कैमेस्ट्री जम नहीं पाई। बावजूद इसके की अनमोल फिल्म निर्माता और एक अभिनेत्री के बेटे हैं वह अपने अभिनय से हमें दिलासा, आशा, उम्मीदें कुछ भी दिला पाने में नाकामयाब साबित हुए हैं। लेकिन क्या पता भविष्य में वे कुछ अच्छा कर पाएं। इसके साथ ही फ़िल्म में सह कलाकार साथी निकी वालिया का काम यहां तारीफ ए काबिल है।

यह भी पढ़ें – जुग जुग जियो सिनेमा हमार

फिल्म की कहानी से ज्यादा इसका कमजोर संगीत है। फ़िल्म के साथ बतौर निर्माता संजय लीला भंसाली का नाम जुड़ा जरूर है। लेकिन, इस फिल्म में ना तो भंसाली जैसा करिश्मा है और ना टी सीरीज की फिल्मों की जैसी परम्परा है उसका संगीत। निर्देशक तरनवीर के अनुसार उन्होंने इस फिल्म 10 साल पहले लिखना शुरू किया था। इसके दर्जनों ड्राफ्ट बनाने की बातें भी उन्होंने कबूल की। लेकिन काश निर्देशक साहब इतने समय में थोड़ा सा भी वक्त निकाल कर युवाओं की असल चिंता को खोज कर पर्दे पर उतारने की कोशिश करते तो फ़िल्म जरूर लोगों के दिलों को छू जाती।

 फिल्म के कलाकारों का ध्यान एक्टिंग से ज्यादा पर्दे पर खूबसूरत दिखना रहा। फिल्म तकनीकी रूप से भी औसत ही नजर आती है और इसको आखिर तक देखना हौसलापूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण काम है। फ़िल्म की लोकेशन अच्छी है एक बात यह अच्छी लगी।

.

कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।

लेखक स्वतन्त्र आलोचक एवं फिल्म समीक्षक हैं। सम्पर्क +919166373652 tejaspoonia@gmail.com

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments


डोनेट करें

जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
sablog.in



विज्ञापन

sablog.in






0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x