- अनिल आर्य
हरियाणा के 10 लोकसभा क्षेत्रों के 90 विधानसभा हल्कों में से 79 पर जीत दर्ज करना भाजपाइयों को जश्न मनाने की बड़ी वजह है। वो खुलकर सिर्फ मोदी ही नहीं खट्टर के नाम का भी जयकारा लगा सकते हैं, लेकिन इस फील गुड वाले फैक्ट से अति आत्मविश्वास या अहंकार में आकर सन्निकट विधानसभा चुनावों में आत्म मुग्धता का शिकार न हो जाएँ।
कांग्रेस मात्र 10 विधानसभाओं में ही बढ़त बना पाई। जबकि इनेलो से अलग हुई जननायक जनता पार्टी हिसार लोकसभा के केवल नारनौंद विधानसभा क्षेत्र में ही बढत बना पायी। कांग्रेस की कुछ लाज हुड्डा पिता पुत्र ने रख ली। दीपेंद्र हुड्डा के व्यक्तित्व की वजह से कांग्रेस को रोहतक लोकसभा क्षेत्र में किलोई, बेरी, महम, बादली व झज्जर में जबकि भूपेंद्र हुड्डा के सोनीपत में बरोदा व खरखौदा में जीत दर्ज की है। वहीं कैप्टन अजय यादव ने गुरुग्राम लोकसभा के नूंह, पुन्हाना व फिरोजपुर झिरका में जीत दर्ज की है, लेकिन उनकी इस जीत में कैप्टन का अपना व्यक्तिगत बेहद कम मोदी विरोध में मुस्लिम मतों का मिलना अधिक रहा है।
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि भाजपा 79 हल्कों में तो जीत गई लेकिन भरपूर मोदी व भाजपा लहर के बावजूद अपने दोनों जाट मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा है। कृषि मन्त्री ओमप्रकाश धनखड़ के बादली व वित्त मन्त्री कैप्टन अभिमन्यु के नारनौंद से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है।
हरियाणा भाजपा के कर्ता-धर्ताओं को आने वाले विधानसभा चुनावों में जाने से पहले फूल के कुप्पा होने की तमाम वजहें हैं। लोकसभा चुनाव से पहले हुए सर्वे में यह माना जा रहा था कि भाजपा 65 से 70 सीटों पर जीत सकती है, अब आने वाले चुनावों में इस सर्वे व मोदी जीत के आधार अपनी तैयारी कर सकती है। विपक्ष पूरी तरह पस्त है और भाजपा अति उत्साह में..इसका लाभ निश्चित तौर पर मिलेगा। बस अहम का शिकार न हों!!!
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं|
सम्पर्क- +9198111 90357

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