हरियाणा की आबकारी नीति : झूठ और सच का खेल
- दीपकमल सहारन
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री और आबकारी एवं कराधान मंत्री दुष्यंत चौटाला ने जब नई आबकारी नीति पेश की तो सियासी गलियारों में इसे लेकर जोरदार बयानबाजी होने लगी. विपक्ष के तमाम नेता, यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सवाल उठाने लगे. विधानसभा के बजट सत्र में जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आबकारी नीति को पिछली सरकार का बताया तो पूर्व सीएम ने नाराजगी जताई. जबकि सच यही है कि पिछली नीति में भी घरों में शराब रखने का लाइसेंस मिलता था. मौजूदा बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार ने इसे और मजबूत बनाते हुए फीस बढ़ोतरी की है.
कुछ विपक्षी नेता राज्य सरकार की नई आबकारी नीति में कमियां बता रहे हैं। इस काम में कुछ नासमझी में लगे हैं तो कुछ जानते समझते झूठ का सहारा ले रहे हैं। सत्ता से दूर होने की छटपटाहट उन्हें कुतर्क और हवाहवाई बातें करने पर मजबूर कर रही है।
ऐसे में विपक्ष के झूठ और उस झूठ का सच जानना बेहद दिलचस्प हो जाता है.
झूठ – घर में शराब रखने का लाइसेंस पहली बार दिया गया।
सच – L-50 नाम का यह लाइसेंस हमेशा से पॉलिसी में रहा है, कांग्रेस सरकार के समय भी और उसके बाद भी। पिछले साल से इस साल की फीस (1500 रुपये), बोतलों की संख्या में एक शब्द का भी अंतर नहीं है। लगभग सभी राज्यों में यह लाइसेंस उपलब्ध है। हुड्डा सरकार में घर में इतनी ही शराब रखने का लाइसेंस एक साल का 200 रुपये में मिलता था। हुड्डा सरकार में यही लाइसेंस 2000 रुपये में उम्र भर के लिए मिल जाता था जिसकी फीस अब 10000 रुपये है।
झूठ – 1000 रुपये में घर में शराब परोसने का लाइसेंस पहली बार दिया गया है।
सच – L-12A नाम का यह लाइसेंस भी हमेशा से हरियाणा की आबकारी नीति में रहा है। इसके तहत घर में लोग किसी आयोजन के वक्त ज्यादा संख्या में आए लोगों को शराब परोस सकते हैं। आमतौर पर लोग इसके लिए लाइसेंस लेते ही नहीं लेकिन सरकार की कोशिश है कि ऐसे आयोजन सरकार की निगरानी में हों। सरकार ने तो इसकी फीस बढ़ाई है ताकि पार्टी करने वाले लोग राजस्व में योगदान दें।
झूठ – शराब के ठेकों की संख्या बढ़ाई गई है।
सच – यह भी सफेद झूठ है। सरकार ने गुड़गांव जैसे शहरों में छोटे ठेके खत्म करने का फैसला लिया है, और पिछली बार की 6 क्षेत्रों में एक लाइसेंस देने की नीति को बदलकर 2 क्षेत्रों में एक लाइसेंस देने का फैसला लिया है। 700 गांवों में ठेके पूरी तरह हटा दिए जाएंगे। इसकी वजह से कुल ठेकों की संख्या निश्चित तौर पर पिछले साल से कम रहेगी।
झूठ – अंग्रेजी शराब की बोतल 900 रुपये से सस्ती नहीं मिलेगी।
सच – यह बात कहना दिखाता है कि आलोचकों को आबकारी नीति के बारे में कुछ नहीं पता। 900 रुपये अंग्रेजी शराब की पेटी (12 बोतल) का न्यूनतम एक्स डिस्टिलरी प्राइस रखा गया है। इसमें एक्साइज ड्यूटी, होलसेलर कमीशन, रिटेलर कमीशन मिलाकर एक बोतल का रेट तय होगा। पिछले साल यह न्यूनतम रेट 750 रुपये था और तब ऐसी एक बोतल की कीमत लगभग 250 रुपये होती थी, अब इसमें 20-30 रुपये बढ़ने की उम्मीद है लेकिन इससे यह सुनिश्चित होगा कि कम क्वालिटी की अंग्रेजी शराब ना बिके।
झूठ – मुख्यमंत्री ने शराब पीने पिलाने वालों को देशद्रोही बताया था।
सच – मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ‘अवैध नशा और ड्रग्स’ का कारोबार करने वालों को देशद्रोही कहा था। ऐसे लोग देशद्रोही और समाज के दुश्मन ही हैं। नियंत्रित तरीके से शराब बेचने का काम हर सरकार करती आई है और यह देश की अर्थव्यवस्था का हिस्सा है।
झूठ – नई आबकारी नीति से घरों में ठेके खुलेंगे और माहौल खराब होगा।
सच – कुछ भी ऐसा नया नहीं किया गया है जिससे माहौल खराब होने की कोई नई छूट मिलती हो। बल्कि जीपीएस वाली गाड़ियों में शराब ले जाने, 9-5 बजे के बीच ही शराब की ढुलाई, बिल ना देने पर जुर्माने में भारी बढ़ोतरी, टेस्टिंग लैब की स्थापना, बीयर के रेट दिल्ली और चंडीगढ़ के बराबर करने से माहौल सुधरेगा ना कि खराब होगा।
झूठ – घर में शराब रखने के लाइसेंस से अवैध बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।
सच – एक तो घर में शराब रखने का यह लाइसेंस हमेशा से उपलब्ध रहा है, दूसरा इस लाइसेंस के तहत शराब सिर्फ घर में स्वयं इस्तेमाल के लिए रखी जा सकती है, बेची नहीं जा सकती। अगर किसी ने बेची तो अवैध शराब कारोबार के सख्त कानून के तहत वो अपराधी होगा।
झूठ – जिन 700 गांवों ने ठेके ना खोलने की अर्जी दी है, वहां भी लोग घरों में शराब रख सकेंगे।
सच – यह स्पष्ट किया जा चुका है कि ठेके खोलने से मना कर चुके गांवों में घर में शराब रखने का लाइसेंस भी नहीं दिया जाएगा।
ये सब झूठ चटकारे लेकर विपक्ष के बड़े-बड़े और जिम्मेदार नेता अपने समर्थकों को खुश करने के लिए फैला रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि पूर्व में मुख्यमंत्री, मंत्री और सांसद रह चुके ये बुद्धिजीवी नेता अपने दिल में जानते हैं कि वे झूठ फैला रहे हैं और यह सब उनकी सरकारों के वक्त में होता रहा है। लेकिन सस्ती लोकप्रियता और ‘दुष्यंत विरोध’ के नशे में धुत्त ये सभी हरियाणा के लोगों को बेवकूफ बनाने में ज्यादा यकीन रखते हैं और जमीन पर उतरकर विपक्ष का असली काम करने में कम।
इस साल घोषित नीति से राज्य में नकली और अवैध शराब पर लगाम लगेगी, और टैक्स की चोरी रुकेगी।
पढ़िए नई आबकारी नीति की खास बातें >>
नियम 12.3 – शराब की सभी फैक्ट्रियों, भट्टियों, डिस्टलरीज में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे। हर पल की सरकार को रहेगी खबर। अब प्रदेश में नहीं बिकेगी अवैध शराब।
नियम 12.1 -शराब की हर बोतल पर होगा QR कोड और होलोग्राम। प्रदेश में नहीं बिकेगी मिलावटी और नकली शराब ।
नियम 1.7 – बोतल की खरीद के साथ देना होगा प्रिंटेड बिल। अब नहीं होगी टैक्स की चोरी।
नियम 2.3 -ऑनलाइन भरे जाएंगे फॉर्म और ई-टेंडर से छूटेंगे शराब के ठेके। अब शराब के ठेकों की नीलामी होगी पारदर्शी, नहीं चलेगा कोई भाई-भतीजावाद।
नियम 1.2.4 – जहाँ होगा कन्या गुरुकुल, वहां कभी नहीं खुलेगा शराब का ठेका।
नियम 2.13.4 -अब कोई नहीं कर पायेगा शराब बेचने का विज्ञापन।
नियम 1.2.1 -किसी भी स्कूल, कॉलेज, पूजास्थल के नजदीक नहीं खुलेगा शराब का ठेका।
नियम 1.2.2 -किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रदेश के राजमार्ग पर नहीं खुलेगा ठेका।
हरियाणा की नई आबकारी नीति हल्के नशे वाली शराब को सस्ता बनाती है और महंगी शराब को थोड़ा और महंगा करती है, ताकि लोग खतरनाक नशे से दूरी बनाना शुरू करें और स्वस्थ रहें। यह विश्व स्तर पर सराहा जाने वाला चलन है जिसकी समझ हरियाणा के विपक्षियों को या तो है नहीं, या वे हरियाणा के लोगों को इस सुधार से दूर रखना चाहते हैं।
दीपकमल सहारन
लेखक जननायक जनता पार्टी के प्रवक्ता हैं.
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