दूध की पोषकता से खिलवाड़
दूध पोषकता का पर्याय है। दूध दुनिया को पोषण देता है। आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान ही पोषण है। पोषण की प्रक्रिया में जीव पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं। जीवन जीने के लिए भोजन (आहार) की आवश्यकता होती है। आहार/भोजन शुद्ध, पोषकता से भरपूर और ताजा होना चाहिए। आहार या भोजन के मुख्य उद्देश्य हैं –
- शरीर को ऊर्जा या शक्ति प्रदान करना।
- शरीर में कोशिकाओं या ऊतकों का पुनर्निर्माण करना।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना।
स्वास्थ्य का आहार से घनिष्ठ सम्बन्ध है। पोषण तत्व हमारे भोजन में उचित मात्रा में विद्यमान न हों, तो शरीर बीमार हो जाएगा। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज-लवण व पानी प्रमुख पोषण तत्व हैं। पोषण एक प्रक्रिया है जो शरीर को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। पोषण, पोषक तत्वों के सही मिश्रण को संदर्भित करता है। अच्छा पोषण निरोगी काया की निशानी है।
दूध एक ऐसा आहार है जिसमे सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। फ्रैंच वैज्ञानिक लेवोइजर को पोषण का जनक माना जाता है। उन्होंने 1770 ई. में चयापचय की खोज की। उन्होंने प्रदर्शित किया कि भोजन से ऊर्जा उसके ऑक्सीकरण के कारण प्राप्त होती है। दूध शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। दूध में एमिनो एसिड एवं फैटी एसिड मौजूद होते हैं। दूध संपूर्ण आहार है। दूध के बिना जीवन अधूरा है। दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है जो मादाओं के दुग्ध ग्रन्थियों द्वारा बनाया जाता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। दूध में मौजूद संघटक हैं – पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज, वसा विहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है, घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5%, बकरी में 86.9% होता है। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन-ए, विटामिन- डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-12, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। गाय का दूध पतला होता है। जो शरीर मे आसानी से पच जाता है। एक भी खाद्य पदार्थ सभी की आपूर्ति नहीं करता है,लेकिन दूध लगभग सभी की आपूर्ति करता है। वर्ष 2024 में विश्व दुग्ध दिवस का थीम है – दुनिया को गुणवत्तापूर्ण पोषण प्रदान करने में डेरी द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका। दूध स्वयं में सम्पूर्ण आहार है। गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर के द्वारा पंचगव्य का निर्माण किया जाता है। पंचगव्य से निर्मित औषधियों के सेवन से रोग दूर होते हैं। पंचगव्य से बने उत्पाद पूर्णतः रसायनमुक्त होने के कारण आरोग्यदायी होते हैं।
दूध शरीर में पित्त का नाश करती है। दही, वायु विकार को दूर करती है। घी तनाव का नाश करती है। जब शरीर में वात और पित्त का संतुलन रहता है तब शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। स्वस्थ्य शरीर तनाव मुक्त होने का परिचायक है। गोबर, पृथ्वी को दर्शाता है। पृथ्वी, मिट्टी(लेप) का प्रतीक है। गोबर का लेप घर में किया जाए तो घर में सकारात्मकता बढ़ती है। पुराने समय में घर की दहलीज पर गोबर का लेप किया जाता था। गोबर , मिट्टी की शक्ति को दोगुना कर देता है। आज कल मिट्टी/गोबर के लेप का चलन शरीर को स्वस्थ्य रखने में किया जाता है।
दूध से बने व्युत्पन्न उत्पाद जैसे घी, दही, छाछ, पनीर, लस्सी आदि डेरी के महत्व को बढ़ाते हैं। गाय के दूध से बने व्युत्पन्न पदार्थ पौष्टिकता के प्रतीक हैं। जब गौशाला से दूध डेरी उद्योगों में जाता है तो वहाँ दूध से बनने वाले व्युत्पन्न उत्पादों की संख्या बढ़ जाती है। डेरी उद्योगों से दूध प्रसंस्करित होकर लम्बे समय तक के लिए बाजार में उतरा जाता है जिससे की प्रोसेस्ड मिल्क की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।
दूध में 87.7% पानी, 4.9 प्रतिशत लैक्टोज़ (कार्बोहाइड्रेट ), 3.4 प्रतिशत फैट, 3.3 प्रतिशत प्रोटीन और 0.7 प्रतिशत खनिज होता है। ये इसका विशेष लक्षण है। यदि दूध अपने विशेष लक्षण के अनुरूप है तो वह गुणवत्तापूर्ण पोषण का प्रतीक है। वाह्य स्रोत से मिलाया गया पानी दूध को दूषित भी करता है। इससे दूध की गुणवत्ता में कमी आती है।
दूध में मिलावट करने वाले इसका गाढ़ापन (फैट) बढ़ाने के लिए दूध में यूरिया मिला देते हैं । यूरिया एक कार्बनिक यौगिक है। इसका रंग सफेद होता है और इसका इस्तेमाल फसलों के उत्पादन में किया जाता है। यह एक गंधहीन, जहरीला और बेस्वाद रसायन (केमिकल) है। इसे दूध में मिलाने से दूध का रंग नहीं बदलता है और दूध गाढ़ा हो जाता है। इस रसायन (केमिकल) के कई गंभीर नुकसान हैं। यह आंतों को खराब कर सकता है और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। ध्यान रहे कि मिलावटी दूध पीने से किडनी की बीमारी, दिल से जुड़े रोग, अंगों का खराब होना, कम दिखाई देना और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। यूरिया, दूध की शक्ति को भी क्षीण कर देता है।
दूध में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए मेलामाइन नामक पदार्थ मिलाया जाता है। मेलामाइन एक प्रकार का मार्बल पत्थर का बुरादा (पाउडर) होता है। लोगों में मेलामाइन युक्त दूध पीने से से किडनी की समस्याएं हो रही हैं। आज कल किडनी के रोगी काफी संख्या में बढ़ गए हैं। दूध को लम्बे समय तक चलाने के लिए फॉर्मेलिन नामक रसायन मिलाया जाता है। इससे दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है। अर्थात दूध को अधिक समय तक रखा जा सकता है। फॉर्मेलिन युक्त दूध का उपभोग करने से लोगों में त्वचा सम्बन्धी बीमारी और कैंसर जैसी घातक बीमारी हो रही है। स्टार्च दूध में पाया जाने वाला एक और आम मिलावट है। दूध का घनत्व बढ़ाने के लिए इसमें स्टार्च मिलाया जाता है। यह दूध में मिलाए गए बाहरी पानी का पता लगाने से रोकने में मदद भी करता है। यह दस्त का कारण बन सकता है। शरीर में ज्यादा स्टार्च जमा होने से डायबिटीज जैसी बीमारी का खतरा होता है। दूध को फटने से बचाने और उसकी शेल्फ लाइफ (लम्बे समय तक रखे जाने हेतु) बढ़ाने के लिए आमतौर पर डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जाता है। दूध में डिटर्जेंट (धुलाई का पाउडर) का उपयोग कई संक्रमण और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल जटिलताओं का कारण बनता है। इसलिए यह जांचना बहुत जरूरी है कि आपके दूध में डिटर्जेंट की मिलावट है या नहीं। आप इन मिलावटों की जांच इस प्रकार से कर सकते हैं-
दूध में यूरिया की जांच- एक टेस्ट ट्यूब में एक चम्मच दूध डालें। इसमें आध चम्मच सोयाबीन या अरहर की दाल का पाउडर डालें। मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। 5 मिनट बाद टेस्ट ट्यूब में लाल लिटमस पेपर डालें। आधे मिनट के बाद पेपर को निकाल लें। अगर लाल लिटमस पेपर का रंग बदल जाए, यानी वो नीले रंग का हो जाए तो समझ लें कि दूध में जहरीला यूरिया मिला है।
दूध में पानी की जांच- लैक्टोमीटर एक वैज्ञानिक उपकरण है। लैक्टोमीटर दूध की शुद्धता मापने वाला उपकरण है। दूध की शुद्धता को मापने के लिए दूध का सैंपल लिया जाता है। इसके बाद लैक्टोमीटर को दूध में डुबोया जाता है तथा यंत्र पर रीडिंग ली जाती है। सामान्यतः शुद्ध दूध की रीडिंग 32 होती है। लैक्टोमीटर से दूध के स्वाभाविक घनत्व में होने वाले परिवर्तन का पता चल जाता है और मिलावटी दूध की पहचान हो जाती है।
मेलामाइन की जांच-मेलामाइन के अवशेषों के लिए एक तरल क्रोमैटोग्राफी ट्रिपल क्वाड्रुपोल टेंडेम मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एलसी-एमएस/एमएस) विधि में 2.5% जलीय फॉर्मिक एसिड के साथ प्रारंभिक निष्कर्षण होता है, इसके बाद निस्पंदन, सेंट्रीफ्यूजेशन और कमजोर पड़ने के चरणों की एक श्रृंखला होती है।
दूध में स्टार्च की मिलावट है कि नहीं ये चेक करने के लिए 5 मिली दूध में दो चम्मच नमक या आयोडीन मिला दें। अगर दूध का रंग नीला हो गया तो इसका मतलब है कि दूध में स्टार्च की मिलावट है।
दूध में फॉर्मेलिन की मौजूदगी की जांच करने के लिए 10 मिलीलीटर दूध लें। टेस्ट ट्यूब और उसमें सल्फ्यूरिक एसिड की 2-3 बूंदें डालें। यदि सबसे ऊपर नीला छल्ला दिखाई दे तो दूध मिलावटी है अन्यथा नहीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दूध में मिलावट के खिलाफ भारत सरकार के लिए एडवाइजरी जारी की थी और कहा था कि अगर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट में मिलावट पर लगाम नहीं लगाई गई तो देश की करीब 87 फीसदी आबादी 2025 तक कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी का शिकार हो सकती है। मिलावटी दूध सफ़ेद जहर है। दूध की गुणवत्ता में कमी दूषित दूध का द्योतक है। अतएव दूध और दुग्ध उत्पाद की पोषक तत्व की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।