सेहत

योग को धर्म और राजनीति के चश्मे से न देखें

 

योग मानव शरीर के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी माना गया है इसका उद्देश्य धार्मिक नहीं है बल्कि हमारे जीवन के वैज्ञानिक रहस्य से जुड़ा हुआ है। जैसा कि हम जानते हैं कि  राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग; योग के चार प्रकार हैं जिसमें एक सामान्य व्यक्ति कर्म योग करता है। उसमें भी प्राणायाम और आसन के साथ-साथ मुद्राएं नियमित करके हम अपने शरीर के विकास के साथ अपने जीवन और समाज को विकसित कर सकता है। 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के 69 में सत्र को संबोधित करते हुए भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का आह्वान किया और इसको मानते हुए 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों ने रिकॉर्ड 177 समर्थक देशों के साथ 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्वसम्मति से अनुमोदित किया।

यदि हम प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बात करें तो आयुष मंत्रालय के तत्वाधान में 21 जून, 2015 को नई दिल्ली के राजपथ में एक सफल आयोजन करते हुए लगभग 35,985 प्रतिभागियों ने एक साथ योग सत्र का विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया था। यदि हम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रत्येक चिन्ह को ध्यान से देखें तो दोनों हाथों को जोड़ना योग का प्रतीक है यह व्यक्तिगत चेतना का सार्वभौमिक चेतना के साथ सामंजस्य दिखाता है, यह शरीर और मन, मनुष्य और प्रकृति की समरसता का प्रतीक है यह स्वास्थ्य और कल्याण के समग्र दृष्टिकोण को भी चित्रित करता है। प्रतीक चिन्ह में चित्रित भूरी पत्तियां भूमि, हरी पत्तियां प्रकृति और नीली पत्तियां अग्नि तत्व का प्रतिबिंब हैं।

दूसरी ओर सूर्य ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है। यह प्रतीक चिन्ह मानवता के लिए शांति और समरसता को प्रतिबिंबित करता है जो कि योग का मूल है। योग कोई धार्मिक तो नहीं है यह प्रत्येक व्यक्ति के शरीर और मन के बीच में सामंजस्य स्थापित करने का कार्य करता है। यह एक कला के साथ-साथ विज्ञान भी है। यदि आप नियमित योग करेंगे तो आपके अंदर चेतना विकसित होगी। जैसा कि आजकल देखा जा रहा है कि देश का युवा सोशल मीडिया के भ्रम जाल में फंसकर अपने शरीर और मन के सामंजस्य से बहुत दूर भटक चुका है। ऐसे में योग एक ऐसा माध्यम है जिससे युवा अपने शरीर और मन का संतुलन बैठा सकते हैं।

फोटो सोर्स : freepic

योग कोई बाहरी कला या विज्ञान नहीं है इसका विकास भारत में ही हुआ है। दंडासन और कोणासन से हाथ और पैर मजबूत होते हैं। पाचन शक्ति को दुरुस्त करने के लिए उष्ट्रासन कर सकते हैं। गैस और एसिडिटी की समस्या से निजात पाने के लिए भुजंगासन पेट के बल लेट कर किया जाता है। मन को शांत रखने के लिए शवासन बहुत फायदेमंद रहता है। लंबाई बढ़ाने और रीढ़ की हड्डी की कुशलता के लिए ताड़ासन और रक्त संचार सुचारू रखने के लिए सर्वांगासन सर्वाधिक उचित है। खड़े रहकर किए जाने वाले नटराज आसन से कंधे और फेफड़े मजबूत बनते हैं। जैसा कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में प्रत्येक व्यक्ति अधिक कार्य के बोझ के कारण चिंता से ग्रस्त हैं ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति तनाव को मिटाने के लिए सुखासन कर सकता है।

इसी प्रकार योग के आठ अंगों यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि में से प्राणायाम भी आप नियमित कर सकते हैं जिसका अर्थ है श्वास को लंबा करना। श्वास मतलब प्राण। भस्त्रिका प्राणायाम करने से हमारा हृदय मजबूत होता है उसके साथ ही साथ फेफड़े, मस्तिष्क भी मजबूत होता है और हमें भविष्य में पार्किंसन या पैरालिसिस जैसी बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। कपालभाति प्राणायाम करने से हमारे चेहरे, आंख, थायराइड, पाचन संबंधी रोग जैसे कब्ज, एसिडिटी, महिलाओं में यूट्रेस संबंधी बीमारियां, कोलेस्ट्रोल संबंधी बीमारियां, डायबिटीज, यहां तक कि कैंसर रोग में भी फायदा पहुंचता है।

बाह्य प्राणायाम करने से मन को एकाग्रता मिलती है, उसके साथ ही पेट संबंधी रोग भी सही होते हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारे हृदय के ब्लॉकेज तक खुल जाते हैं उसके अलावा किडनी, कैंसर जैसी बीमारियां हमें नहीं होती तथा हमारी मानसिक क्षमता भी बढ़ती है। सर्दी, खांसी नहीं होती और  गले के रोग भी हमें नहीं होते। टॉन्सिल के मरीजों के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। भ्रामरी प्राणायाम करने से माइग्रेन, डिप्रेशन और मन की अशांति दूर होती है। उज्जाई प्राणायाम करने से थायराइड टीबी, अनिद्रा मानसिक तनाव, हकलाने जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। शीतली प्राणायाम हमारे शरीर की अतिरिक्त गर्मी और पेट की जलन को कम करता है। इस प्रकार यदि हम देखें तो योग का संबंध किसी भी एक धर्म से ना होकर के हमारे अपने मन और हमारे शरीर के आपसी सामंजस्य को बेहतर बनाना ही है। इसलिए योग को धार्मिक और राजनैतिक चश्मे से देखना बंद करके इसको जीवन में उतारना सीखें।

.

Show More

स्वप्निल यादव

लेखक शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश के गांधी फ़ैज़ ए आम महाविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं एवं स्वतंत्र लेखन करते हैं। सम्पर्क +918176925662, swapanilgfc@gmail.com
5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x