शंकर सुवन सिंह
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Jun- 2024 -29 Juneसेहत
दूध की पोषकता से खिलवाड़
दूध पोषकता का पर्याय है। दूध दुनिया को पोषण देता है। आहार-तत्व सम्बन्धी विज्ञान ही पोषण है। पोषण की प्रक्रिया में जीव पोषक तत्वों का उपयोग करते हैं। जीवन जीने के लिए भोजन (आहार) की आवश्यकता होती है। आहार/भोजन…
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Mar- 2022 -7 Marchसामयिक
लैंगिक समानता बनाम सामाजिक संतुलन
महिला’ शब्द नारी को गरिमामयी बनाता है। महिला शब्द नारी के आदर भाव को प्रकट करता है। ‘स्त्री’ शब्द नारी के सामान्य पक्ष को प्रदर्शित करता है। नर का स्त्रीलिंग ही नारी कहलाता है। नारी शब्द का प्रयोग मुख्यत:…
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Jan- 2022 -12 Januaryशख्सियत
सनातन संस्कृति को संजीवनी प्रदान करने वाला महानायक
विवेकानंद का तात्पर्य ख़ुशी से है। विवेक+आनंद अर्थात विवेकानंद। विवेक का सम्बन्ध ज्ञान से है। आनंद का सम्बन्ध सुख और दुःख से परे है। जो व्यक्ति सुख और दुःख दोनों स्थितियों में समभाव (एक सामान) रहता है वही आनंदित…
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Nov- 2021 -8 Novemberपर्यावरण
जलवायु परिवर्तन पर भारी पड़ती सामुदायिक जागरूकता
करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी एक तपता (आग) हुआ गोला था। जैसे जैसे समय बीतता गया तपते हुए गोले से सागर, महाद्वीपों आदि का निर्माण हुआ। पृथ्वी पर अनुकूल जलवायु ने मानव जीवन तथा अन्य जीव सृष्टि को जीवन दिया…
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Sep- 2021 -20 Septemberमुद्दा
सामाजिक न्याय बनाम वैश्विक शांति
समाज एक से अधिक लोगों के समुदायों से मिलकर बने एक वृहद समूह को कहते हैं, जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रिया-कलाप करते हैं। मानवीय क्रिया-कलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। मनुष्य सामाजिक…
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Jul- 2021 -10 Julyसामयिक
जनता त्रस्त, नेता मस्त
सरकार/सत्ता में चेहरा बदलता हैं चाल और चरित्र नहीं। सारे नेताओं का चाल और चरित्र सत्ता मिलते ही वैसा ही हो जाता है जैसा पूर्ववर्ती सत्ता पक्ष के लोगों का होता है। नेता जब तक सत्ता में नहीं होता…
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Jun- 2021 -21 Juneदिवस
योग : वैश्विक स्वास्थ्य का द्योतक
योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह शरीर, मन और आत्मा को एक सूत्र में बांधती है। योग दर्शन है, जीवन जीने की कला है। योग स्व के साथ अनुभूति है। इससे स्वाभिमान और स्वतन्त्रता का बोध होता है। यह…
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5 Juneपर्यावरण
भूमंडल का सुरक्षा कवच है ओजोन परत
मानव प्रकृति का हिस्सा है। प्रकृति व मानव एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति के बिना मानव की परिकल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति दो शब्दों से मिलकर बनी है – प्र और कृति। प्र अर्थात प्रकृष्टि (श्रेष्ठ/उत्तम) और…
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