सेहत

दवाईयां बनी अभिशाप, योग मिटा रहा शरीर के रोग

 

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के सतत् प्रयास से पूरे विश्व में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह पूवर्क मनाया जाने लगा है जो भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमन्त्री स्वयं एक योगी पुरुष हैं अतएव वे योग की अच्छाईयों को भलि भांति समझते हुए योग की महत्ता को दुनिया के सामने रखा है। उन्होने लोगों को यह भी बताया कि विश्व में स्वास्थ्य विज्ञान ने बड़ी बड़ी सीमाएं पार की हैं। प्रतिदिन शोध हो रहे हैं। अनेकों बीमारियों पर विज्ञान ने विजय प्राप्त कर ली हैं परन्तु यह वरदान अब अभिशाप से कम नहीं रह गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक शोध रिपोर्ट में कहा है कि विश्व में जितने लोग मरते हैं आधे बीमारियों से मरते हैं और आधे दवाईयों के अत्यधिक और गलत उपयोग से मरते हैं जो सभी के लिए एक समस्या बनती जा रही हैं। ऐसे में प्रधानमन्त्री महोदय ने संयुक्त राष्ट्र संध के समक्ष 14 दिसम्बर 2014 को जो प्रस्ताव रखा उसमें उन्होने योग और योग से होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से चर्चा की थी।

उन्होने यह भी बताया कि मानव शरीर में एन्टीबायोटिक दवाइयों के अनावश्यक उपयोग के कारण कई बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। अमेरिका सरीखे अन्य कई देशों में  मौतें ऐसी दवाईयों के अत्यधिक और गलत प्रयोग करने से होती हैं। विश्व के अनेक देशों में अब भी गांवों में गुजर बसर करने वाले लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं सही ढंग से नहीं पहुँची हैं। यदि कही अस्पताल हैं भी तो बहुतों में या तो डॉक्टर नहीं हैं या दवाईयां नहीं  हैं। अनेको  गांवों में मीलों तक सड़के ही नहीं है ऐसे में  गम्भीर बीमारी होने पर रोगी न डॉक्टर के पास पहुँच सकता हैं और न ही चिकित्सक ही।  यही कारण है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द मोदी के पहल के चलते आज विश्व में योग पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। इन दलिलों के मद्देनजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व योग दिवस मनाने की स्वीकृति प्रदान कर दी।

इसके अतिरिक्त प्राकृतिक चिकित्सा पर नए प्रयोग हो रहे हैं जैसे ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं से निपटने हेतु प्रकृति की ओर वापस चलो के नारे पर जोर दिया जा रहा हैं। ठीक इसी प्रकार स्वस्थ विश्व के निमार्ण के लिए प्राकृतिक चिकित्सा और योग की ओर लौटने की भी बात की जा रही है। चूंकि इसमें बगैर किसी खर्च के लोगों को उत्तम स्वास्थ्य मुहैया कराया जा सकता हैं। साथ ही अपने जीवन को भटकाव से बचाना ही योग कहलाता है। सामान्यतः लोगों के मन में यह धारणा रही है कि योग करने वाला साधु या संन्यासी बन जाता है, परन्तु ऐसी बात नहीं है। योग का सामान्य अर्थ जोड़ना होता  है अथार्त् मिलाप कराना। मिलाप से यहाँ तात्पर्य हैं मनुष्य अपने आप से मिलता है यानि शरीर और आत्मा का मिलन भी हम कह सकते हैं।

योग करने वाला मनुष्य सदा उमंग में रहता हैं। उसके मन में हमेशा एक तरंग उठता है जो जीवन में नव उत्साह और जोश लिए हुए रहता है। योग के बारे में आज लोगों के मन में अनेकानेक भ्रांतियां फैली हुयी हैं कि योग फलाना धर्म का अनुशरण करता है। योग करने से धर्म बदल जाता हैं। मनुष्य साधु, महर्षिं व मुनि बन जाता हैं जबकि योग जीवन जीने की एक अद्भुत कला है अथार्त् योग करने से वैसा मानव भी निश्छल सरल और अध्यात्मिक बन जाता है, जिन्होने कभी भी अपने अन्दर ऐसा महसूस नहीं किया है। योग एक ऐसी क्रिया है जिससे शरीर में स्थित बीमारियां तो दूर होती ही हैं साथ ही इसके जीवन में आत्मसाद करने से आत्मा और मन पर पड़ा मैल का परत और विकार स्वतः मिटता चला जाता है और हम तन तथा मन से पूणर्तः स्वस्थ व पवित्र और वे उम्र भर फूलों सा मुस्कराते और चिड़ियों की तरह चहचहाते रहते हैं।

योग का अभ्यास करके मनुष्य चिकित्सालयों में लग रही लंबी-लंबी कतारों से बच सकता हैं साथ ही इससे उनके बहुमूल्य समय और धन की भी बचत होगी। इस बात से सभी को सहमत होना ही चाहिए कि योग मनुष्य को अन्य कई प्रकार के रोगों और तनावों से मुक्ति दिला सकता है। योग क्रिया स्वयं तो करनी ही चाहिए साथ ही समाज और देश को भी योग के प्रति जागरुक करने की आवश्यकता है। योग के प्रति युवा वर्ग एवं बुजुर्गो को जागरुक करने के लिए तो विभिन्न प्रकार से प्रचारित-प्रसारित किया जा ही रहा हैं परन्तु बच्चों में योग की आदत डालने के लिए सरकार ने विद्यालयों को सहारा बनाया हैं। यह हृदय को आहलादित करने वाला समाचार है। देश की तत्कालीन शिक्षा मन्त्री श्रीमती स्मृति ईरानी द्वारा छठी क्लास से सरकारी स्कूलों में योग की शिक्षा की शुरुआती व्यवस्था करने की बात सुन मानो जेठ की दोपहरी में छांव मिल गया हो। साथ ही निजी स्कूलो में भी नवम् वर्ग से योग की पढ़ाई सुनिश्चित किये जाने को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। राष्ट्र निमार्ण में लगे हमारे देश के अनेकों ऐसे प्रकाण्ड योगी पुरुष हैं जिन्होने प्राकृतिक चिकित्सा और योग को कुछ ही समय में बहुत ज्यादा प्रचारित कर दिया हैं। जिनमें स्वामी रामदेव जी  और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर जी का नाम प्रमुख स्थान पर रखा जा सकता हैं। इन्होंने कुछ ही समय में भारत ही नही वरन् संपूर्ण विश्व को स्वस्थ बनाने की दिशा में क्रांति ला दिया हैं। ऐसे में संपूर्ण विश्व के स्वस्थ रहने की परिकल्पना शीध्र होती प्रतीत हो रही है।

.

Show More

कैलाश केशरी

लेखक स्वतन्त्र टिप्पणीकार हैं। सम्पर्क +919470105764, kailashkeshridumka@gmail.com
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x