राजनीति
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देश
धर्म, राजनीति, लोकतन्त्र और राष्ट्र
भारत में सदियों से धर्म और राजनीति एक-दूसरे से गुत्थम-गुत्था रहे हैं। कम से कम उस समय से जबकि राजनीतिक विजय के पश्चात राजसत्ता के माध्यम से धर्मसत्ता स्थापित करने का भी अभियान चलाया गया यहाँ के मूल या…
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राजनीति
लोकतन्त्र को कमजोर बना रही अवसरवादी राजनीति
सामान्यतः राजनीति ऐसा विषय नहीं होता जो चुनावों के अतिरिक्त आम आदमी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करे। लेकिन विगत कुछ समय से देश में ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिन्होंने आमजन का ध्यान राजनीति की ओर आकृष्ट किया। सिर्फ…
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सामयिक
इक्कीसवीं सदी में महिला सशक्तिकरण, साहित्य और समाज
साहित्य की अवधारणा समाज के बिना सम्भव नहीं है। यह समाज से प्रभावित होता है और समाज भी साहित्य से प्रभावित होता है। साहित्य सामाजिक विषय को ध्यान में ही रख लिखा जाता है। विषय वस्तु और स्वरुप के…
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आवरण कथा
हमारे समय का आक्रोश
मणीन्द्र नाथ ठाकुर हमें क्या चाहिए…? आज़ादी…| यह नारा हमारे समय के विरोध का स्वर बन गया है| इसकी गूँज देश के कोने – कोने से आ रही है| पहले तो नारा लगानेवाले केवल विश्वविद्यालय के युवा ही…
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आँखन देखी
साहित्य, समाज और राजनीति
हर साल अपनी कक्षा के नए छात्रों से पूछता हूँ कि उनमें से कितने लोग साहित्य पढ़ने में रुचि रखते हैं। मैं उन्हें साफ़-साफ़ कहता हूँ कि यदि साहित्य में उनकी रुचि नहीं है तो बेहतर होगा कि समाज…
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राजनीति
संघ और गाँधी
यह मानने में न पहले किसी को हिचक थी, न अब है कि गाँधी-हत्या में आरएसएस की हिस्सेदारी थी। स्वयं संघ के लोगों का दैनन्दिन व्यवहार यह साबित करता रहा है। 30 और 31 जनवरी 1948 को संघ की…
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एतिहासिक
दास्तान-ए-दंगल सिंह (41) – पवन कुमार सिंह
पवन कुमार सिंह आपातकाल की समाप्ति के बाद 1977 का आमचुनाव एक बड़े उत्सव की तरह था। 18 जनवरी 1977 को अचानक इमरजेंसी वापस लेकर और आमचुनाव की घोषणा करके इंदिरा जी ने हर खासोआम को चौंका दिया…
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राजनीति
शिक्षकों को “कागभुशुण्डि” नहीं “जटायु” होना चाहिए – दीपक भास्कर
दीपक भास्कर रामायण, भारत के हिन्दू-धर्म से ज्यादा, भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण है। राम-मंदिर विवाद ने भारत के आम नागरिकों के मुद्दे को लील लिया है। पिछले कई दशकों से, भारत की चुनावी-राजनीति बस इसी पर टिकी…
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धर्म
मैं अन्धा हूँ साहब, मुझे तो हर शख्स में इंसान दिखता हैं
तमन्ना फरीदी आज राजनीति का असल लक्ष्य सत्ता प्राप्त करना है, इसके लिए हर प्रयोग किया जाता है जाति का इस्तेमाल होता और धर्म का। आज हम राजनीति में धर्म विषय पर चर्चा करेंगे और बात करेंगे ‘राजा का धर्म’…
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आँखन देखी
जनतंत्र की किस्सागोई
भारतीय समाज को यदि समझना है तो समाजशास्त्रियों को लोगों से चुनाव के समय बातें करनी चाहिए, क्योंकि उस समय हर कोई राजनीति और समाज के बारे में बात करने के मूड में होता है। आप एक सवाल करेंगे,…
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