मणीन्द्र नाथ ठाकुर
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Nov- 2024 -7 Novemberभाषा
भाषाई जनतन्त्र का आग्रह
भारतीय भाषाओं को लेकर कई मसले हमेशा जीवन्त रहते हैं। इसके दो महत्त्वपूर्ण आयाम हैं। एक तो अँग्रेजी का ‘अलौकिक साम्राज्य’ और दूसरा भारतीय भाषाओं के बीच संवाद। औपनिवेशिक काल में जिस ‘ब्राऊन साहिब’ (वारिंद्र तरज़ी विट्टाची की पुस्तक…
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Jan- 2024 -24 Januaryकर्पूरी ठाकुर
संरचनात्मक परिवर्तन का राजनीतिक योद्धा
भारतीय राजनीति को समझने के लिए यह सवाल पूछना ज़रूरी है कि इस समाज में राजनैतिक दलों की तुलना में व्यक्ति का महत्त्व क्यों है। कुछेक अपवादों को छोड़ दें तो भारत की मौजूदा संसदीय राजनीति में अधिकांश दल…
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Oct- 2023 -4 Octoberभाषा
हिन्दी चिन्तन जगत में नये नवजागरण की सम्भावना
हर भाषा का अपना एक समाजशास्त्र होता है। उसका एक दार्शनिक पक्ष भी होता है। भाषा समाज के सामूहिक चेतना का वाहक होती है। समाज में होने वाले परिवर्तनों की पूर्व सूचना उस भाषा में रचे गये साहित्य से…
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Feb- 2021 -11 Februaryपश्चिम बंगाल
बंगाल का बदलता राजनैतिक समीकरण
बंगाल चुनाव पर विश्लेषकों की नजर टिकी हुई है। उनके लिए यह आकलन करना मुश्किल है कि इस बार किसकी सरकार बनेगी। एक तरफ ममता बनर्जी की लोकप्रियता, उनकी जुझारू छवि और राज्य का सरकारी महकमा है, तो दूसरी…
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Jul- 2019 -10 Julyशख्सियत
डॉ. मिथिलेश कांति : होना एक शिक्षक का
बहुत से लोग जानते हैं कि बिहार-झारखंड का एक प्रसिद्ध विद्यालय है जिसका नाम नेतरहाट है। इसे बिहार सरकार ने 1954 में स्थापित किया था। बिहार के प्रमुख व्यक्तियों जिसमें जगदीशचंद्र माथुर जैसे लोग शामिल थे, इसकी कल्पना की…
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2 Julyआँखन देखी
साहित्य, समाज और राजनीति
हर साल अपनी कक्षा के नए छात्रों से पूछता हूँ कि उनमें से कितने लोग साहित्य पढ़ने में रुचि रखते हैं। मैं उन्हें साफ़-साफ़ कहता हूँ कि यदि साहित्य में उनकी रुचि नहीं है तो बेहतर होगा कि समाज…
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Jun- 2019 -8 Juneआँखन देखी
नक्षत्तर मलाकार उर्फ़ चलित्तर कर्मकार
सीमांचाल की राजनीति के सन्दर्भ में बहुत दिनों के बाद अचानक किसी ने बातचीत में नक्षत्तर का नाम लिया। मेरे सामने से बचपन का वह दिन चलचित्र की तरह गुज़रने लगा जब चर्चा एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसके…
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Apr- 2019 -10 Aprilजम्मू-कश्मीर
कश्मीर का बिखरता समाज
पुलवामा की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। लेकिन आज की यह अकेली घटना नहीं है। अभी-अभी न्यूज़ीलैंड में जिस तरह से मस्जिद के अन्दर जाकर निरीह और निरपराध लोगों को मारा गया, फ़्रांस में जिस…
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Mar- 2019 -7 Marchआँखन देखी
ऐसे भी जीते हैं लोग
पिछले दिनों पुणे की एक संस्था ‘लोकायत’ ने गाँधी पर एक व्याख्यान देने के लिए मुझे आमन्त्रित किया था. इस व्याख्यान के बहाने मुझे पहली बार पुणे जाने का मौक़ा मिला. इस शहर के बारे में मेरी उत्सुकता काफ़ी…
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Feb- 2019 -26 Februaryआँखन देखी
जनतंत्र की किस्सागोई
भारतीय समाज को यदि समझना है तो समाजशास्त्रियों को लोगों से चुनाव के समय बातें करनी चाहिए, क्योंकि उस समय हर कोई राजनीति और समाज के बारे में बात करने के मूड में होता है। आप एक सवाल करेंगे,…
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