सामयिक

कोरोना टीकाकरण का संदेश देता ‘मिथिला पेंटिंग’

 

बिहार का लोकप्रिय ‘मिथिला पेंटिंग’ की पहचान देश व दुनिया भर के देशों में मिल चुका है जो अपने में कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व को समेटे हुए हैं। यह मुख्यत: उत्तर बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र की स्थानीय कला है। जिसे सबसे पहले राजा जनक ने जनकपुर (अब नेपाल) में, अयोध्या से आए बारातियों के स्वागत में पूरे जनकपुर को विशेष कलाकारों से सजवाया था। तब मिथिला पेंटिंग भिति, अरिपन, कोहबर आदि पर बनाया जाता था। लेकिन समय के अनुसार परिवर्तन होता चला गया और मिथिला पेंटिंग की पहचान देश-विदेशों में भी फैलती  चली गई। जापान में तो मधुबनी पेंटिंग के संरक्षण तथा अनुसंधान के लिए एक संग्रहालय भी बनाया गया है।

मास्क व छाता पर चढ़ी कला की रंग

अगर देखा जाए तो समय-समय पर मिथिला पेंटिंग मीडिया की सुर्खियों में आ ही जाता है। जब कोरोना वैश्विक महामारी के पहले लहर के बीच प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क की काफी तारीफ की थी। जिसके बाद मास्क खरीदने वालों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। जिससे स्थानीय कलाकारों को ही रोजगार मिला, एक तरह से यह लोकल सामान के प्रति बढ़ावा भी है।

 जबकि हाल ही के वर्षों में पटना के सड़कों किनारे बरसात के मौसम में मिथिला पेंटिंग से सजे छाता बिकता हुआ दिख जाएगा। जिसे खासकर नव युवा-युवतियों के बीच पसंद का क्रेज बढ़ता जा रहा हैं। क्योंकि यह छतरी देखने में सुंदर व आकर्षक लगता है। सबसे बड़ी बात कि इससे प्रदूषण की कोई समस्या भी नहीं है बल्कि यह प्राकृतिक संरक्षण के प्रति बढ़ावा भी देता है। वैसे कोई भी कला संस्कृति को तभी संरक्षित किया जा सकता है जब उसके प्रति भावी युवा पीढ़ी जागरूक हो। आज तो देश-दुनिया भर में मिथिला पेंटिंग अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक कला की खूबसूरती रंग के कारण प्रसिद्ध है।

मिथिला पेंटिंग में ढली टीकाकरण संदेश

मिथिलांचल क्षेत्र के लोक कला ‘मिथिला पेंटिंग’ जो विश्व प्रसिद्ध कला की सूची में अपना स्थान दर्ज करा चुका है। जिसकी चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब हो रही है। जब समस्तीपुर के चर्चित कलाकार कुंदन के द्वारा बनाई गई मिथिला पेंटिंग को बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक पेज) पर 5 जुलाई को अपलोड किया तो अचानक चर्चा का विषय बन गया।

जिसे लोग शेयर करने लगे पेंटिंग का मुख्य थीम- ‘ वैक्सीनेशन केंद्र पर वैक्सीन लेती महिला व नर्स को दिखाया गया है, जिसमें दोनों मास्क पहनी हुई है।’ जिससे यह पेंटिंग आकर्षक लग रहा है। जिसके चारों तरफ बॉर्डर बना हुआ है और बीच में कोरोना का चित्रांकन किया गया है इसके साथ ही चौकोर बोर्ड पर एक कोने में सिरिंज को दिखाया गया है दो कोने में ‘कोरोना वैक्सीन सेंटर’ हिंदी तथा अंग्रेजी में लिखा गया है व एक कोने पर कोरोना विषाणु को मरते हुए दिखाया गया है।

जो लोगों को टीकाकरण कराने के संकेतिक अपील करते नजर आ रहा है। जिसके बाद इस तस्वीर को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर भारत सरकार, मिनिस्ट्री आफ इनफॉरमेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग भारत सरकार ने पेंटिंग को अपने सोशल साइट पर लगाया है।

इसके अलावा भी इसे नैक्स बिहार एंड झारखंड, एंबेसी ऑफ इंडिया इन चाइना सहित अन्य सोशल साइट्स फेसबुक पेज पर इस तस्वीर को खूब शेयर किया जा रहा है। जो मिथिला पेंटिंग्स की पहचान व कोरोना वैक्सीन का संदेश दे रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि एक कलाकार की कद्र उनकी कला शैली से होती है जो सामाजिक समस्याओं में संघर्ष करके फलती-फूलती आगे बढ़ने की ओर अग्रसर होती है और अपने सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहर के अमित छाप को समाहित किए हुए अपना प्रतिनिधित्व कराती है

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नितेश कुमार सिन्हा

लेखक दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में स्नातकोत्तर छात्र हैं। सम्पर्क +919852533965, niteshmth011@gmail.com
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