एक गांधी की ललकार बोलने दो सरकार
दुनिया देख रही है जहांन के सबसे बड़े लोकतंत्र मंदिर में मुंह बंद, माइक बंद, आवाज बंद का खेला जारी है। विपक्ष की आवाज, आभार, अंदाज पर सरकारी चौकीदारी पहरेदारी के विरोध में नारे गूंज रहे हैं। संसद में सरकार बनाम शेष की जोरआजमाइश जारी है। जिस सदन की शक्ति को देश का वरदान बनना था वह विचार आदन प्रदान अभिशाप बन आज बेबस लाचार सामने खड़ी है। इतिहास में पहली बार सरकार तकरार कर रही है मंत्री सदन ठप कर बाहर गप्पे लगा रहे हैं। विपक्ष हमलावर हो ललकार रहा है बोलने दो बोलने दो चिल्ला रहा है। चुनावी मुहाने पर खड़े देश पर सरकार और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा जाने अनजाने राहुल विरोध में चट्टान सम खड़ी हो राहुल गांधी को ताकतवर, नायक, हिम्मतवर साबित करने पर आमदा जान पड़ती है। राहुल के विरोध में संसद और संसद के बाहर बीजेपी नेताओं मंत्रियों का हल्ला बोल यह बताने जताने दिखाने को काफी है कि अकेला राहुल कितनों पर भारी है। गांधी के विरोध में भाजपा का हठधर्म राजधर्म लोकधर्म पर कुठाराघात मालूम होता है। कुछ पल के लिए सदन में एकत्रित हो भाजपा नेताओ कि राहुल राहुल की चिल्ल पो देख रही है दुनिया ये घबराहट है छटपटाहट है या डर समझ से परे है। देशवासी सोचने लगे हैं क्या वाकई यह गांधी की आंधी है जिसको रोकने में चार चार मंत्री सरकार की पतवार थामें उड़ते बिखरते चीखते चिल्लाते नज़रभी आ रहे हैं।
राहुल गांधी के बयान पर बात बहादुरों की पूरी फौज का मोर्चा संभाल संसद को बेहाल बेबस विपक्ष की बोलती बंद कर समय टाल देने की नाटक नौटंकी का दिखावा भर नहीं तो क्या है? जबकि देश गंभीर आर्थिक घोटाले की जद में जूझ रहा है और जिस पर घोटाले का आरोप है वह सरकारी व्यापारी करार दिया जा रहा है। राहुल गांधी के नाम पर संसद में कोहराम मचाने वाले मंत्री संतरी सदन में राहुल को सुनने का साहस क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं? इस सवाल का जवाब कही बवाल बन भाजपा के गले की फांस न बन जाए बचाव शायद इसी बात का है। सरकार अडानी पर लगे आरोपो पर बहस करा दे तो हो सकता है 2024 का चुनाव मोदी का यार, देश से गद्दार के नारों से न गूंज उठे। एक सशक्त दमदार जिम्मेदार की तरह गांधी ने मोदी को ललकारा है साफ शब्दों में सवाल दागा है, चुनौती दी है कि मोदी जवाब दें बताएं कि आखिर अडानी और मोदी का रिश्ता क्या है? क्यो किस अधिकार से मोदी अडानी को ले कर विदेश यात्राएं करते रहे है? सदन अडानी मोदी भाई भाई के नारों से गूंज रहा हैं। विपक्ष एकजुट हो पूछ रहा है देश को मोदी बताये ये रिश्ता क्या कहलाता है और मिलकर क्या गुल खिलाता है? तो क्या भाजपा का हल्लाकाट सोची समझी रणनीति का हिस्सा है जिसकी आड़ में सरकार संसद में बवाल काट समय बिता सवाल से मुंह छुपा बच निकलने की जद्दोजहद में डूबी है।
सदन में सवालों की बौछार है और बात बात आयर कभी कभार बिना बात भी मन की बात करने में माहिर मोदी जी सदन में आकर अड़ानी ज्ञान से देश को क्यों नहीं अवगत करा रहे? मोदी जी क्यों नहीं बताने का साहस जुटा पा रहे हैं कि ये सरकारी व्यापारी के संरक्षण की सरकार नहीं है। हवा में गूंज और देश को कन्फ्यूज करने वाले राहुल गांधी के प्रश्नों का हल स्वयं मोदी ही बताए तो बेहतर होगा। मंत्रियों के बेबुनियाद माफी की मांग पर संसद के समय की बलि चढाने की जिद्द स्वांग से ज्यादा कुछ समझ नहीं आता। मुझे समझ नहीं आता पर अडानी मुद्दे पर बहस से बच गांधी के सवालों से किनारा कर पर मोदी सदन की महिमा मान कम नही कर रहे है? मोदी का मौन मित्रियो का वाचाल होना इस सरकार पर व्यापारी से गठजोड़ के दाग को और गहरा और काला और घिनौना नहीं करेगा। क्या जनता के मन में संशय नहीं होगा कि शब्दों की बाजीगरी 56 इंच के सीने वाले कर्मवीर माननीय मोदी जी गांधी के महज दो सवालों के जवाब क्यों नहीं दे पा रहे? क्यों नहीं सदन में खड़े होकर बता पा रहे हैं कि उनका अडानी से कोई रिश्ता नहीं? उन्होंने सरकारी यात्राओं में अदानी को शामिल नहीं किया, उन्होंने विदेशों में अडानी के लिए लाल कारपेट नहीं बिछवाए। मोदी देश के संसद से संदेश दें कि अडानी एक व्यापारी है और उनके व्यापार से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है साफ कर सकते है। आखिर देश के सदन का सांसदों का मान बडा या अडानी के सवालों के जवाब पर चुप्पी। क्यों सरकार के मंत्री प्रधानमंत्री एक गांधी के सवाल से बचा अदानी को सुरक्षित संरक्षित रखने की जिद पर अड़े है? पूछता है देश क्या है मोदी अडानी का मायाजाल मोदी जी अगर यह महज एक भरम है तो सीना ठोक कर फिर कहो कि एक अकेला सब पर भारी अडानी से नहीं कोई यारी।
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