व्यंग्य

केसरिया आओ नी पधारो म्हारे!

 

फव्वारों में दिल्ली का खारा पानी उछल उछल रहा, मचल मचल रहा….. प्रदेशी मेहमानों की मेहमाननवाजी में, उनमें से गीत संगीत उमड़ रहा।

“केसरिया आओ नी पधारो म्हारे देश !!”

पीने को मीठा पानी दिल्ली वालों को कैसे मिल रहा। इस दास्तां को कोई सुन ले देख ले तो दिल्ली आने से इंकार कर दे।

हमारे घर जब कोई दूसरे प्रदेशों से मेहमान आता है। जब वो वज़ू करते गुस्ल करते हुए कुल्ली करता। “ला हौल वला क़ुउव्वत” पढ़ता होगा ज़रूर। एक सवाल हर मेहमान पूछता है।

“यहां का पानी इतना खारा क्यों है ?

मुंह का ज़ायका ख़राब हो गया।”

मैं मन में कहती उनसे।

“अभी तो सिर्फ मुंह का ज़ायका ख़राब हुआ है जनाब, कुछ रोज़ रूको, कपड़ों का रंग भी ख़राब हो जाएगा। बाल और स्किन रफ हो जाएगी आपकी। जितने भी व्हाइट कपड़े लाए हैं, पीले होकर वापिस जाएंगे।”

जो बेचारे ठहरते उनका यह नुकसान हो जाता है। मुझे हमेशा लगता जैसे मेहमाननवाजी में कमी रह गई है। हमें अपने मेहमानों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है हमेशा। फव्वारे से उनका स्वागत न करें,कम से कम मीठे पानी से उनको वज़ू करने, नहाने, कपड़े धोने की सहूलियत दें सकें, इतना हक़ तो हम आम इंसान को भी है।

पानी इतना ख़राब है हमारे मोहल्ले का, कि महंगी टूटी वगैरह जल्दी-जल्दी ख़राब हो जाती हैं, बदल-बदल कर थक जाती हूं।

सरकारी पानी पीने का आता, उसकी व्यवस्था बहुत ख़राब है। मीठा और साफ पानी बहुत कम आता है। ज़्यादातर गंदा मिट्टी कीचड़ बदबू वाला आता है।

सरकारी काम कभी व्यवस्थित ढंग से नहीं होते। सड़कें सालों टूटी रहती। जब सालों बाद बनती, तब सरकारी आदमियों को पानी के पाइप लाइन बदलने याद आते हैं। सड़क बनाने के बाद उसको खोद डालते। नतीजा सड़क टूटी-फूटी ही रहती। जिस मकसद से तोड़ी-खोदी जाती वह भी पूरा नहीं होता। पानी आता नहीं, आता है तो ज़्यादातर गंदा। यह है दिल्ली विकास मॉडल।

अहसान का टोकरा ऊपर से धरा है कि, सरकार ने दिल्ली में बीस हज़ार लीटर पानी मुफ्त दे रखा है। यह विडंबना है महानगर दिल्ली की

.

Show More

मेहजबीं

लेखिका स्वतंत्र लेखन और अध्यापन करती हैं। सम्पर्क +91 88020 80227, mahajbeenjmi@gmail.com
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Articles

Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x