प्रेस रिलीज़

‘ग्लोबल सिटीजन’ तैयार करेगी नयी शिक्षा नीति : प्रो. द्विवेदी

 

  • ब्यूरो

 

”नयी शिक्षा नीति विद्यार्थियों को अपनी परंपरा, संस्कृति और ज्ञान के आधार पर ‘ग्लोबल सिटीजन’ बनाते हुये उन्हें भारतीयता की जड़ों से जोड़े रखने पर आधारित है।” यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने रविवार को भारतीय संस्कृति संसद, कोलकाता द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में व्यक्त किए।

दो सत्रों में आयोजित इस संगोष्ठी के पहले सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने की। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल श्री केसरी नाथ त्रिपाठी भी विशिष्ट तौर पर उपस्थित थे।

‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आज का समय’ विषय पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि नयी शिक्षा नीति सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारपरक ज्ञान पर बल देती है, जिससे बच्चों के कंधे से बैग के बोझ को हल्का करते हुये उनको भावी जीवन के लिये तैयार किया जा सके। इसके अलावा वैदिक गणित, दर्शन और प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े विषयों को महत्त्व देने की कवायद भी नयी शिक्षा नीति में की गई है।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि इस शिक्षा नीति का सबसे बड़ा पहलू ये है कि इस नीति से शिक्षा की गुणवत्ता और उपयोगिता, दोनों को ही बल मिलेगा। स्कूली स्तर पर ही छात्रों को किसी न किसी कार्य कौशल से जोड़ दिया जाएगा। इसका अर्थ है, जब बच्चा स्कूल से पढ़कर निकलेगा, तो उसके पास एक ऐसा हुनर होगा, जिसका वह आगे की जिंदगी में इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने कहा ​कि यह सिर्फ एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। यह सीखने और अनुसंधान की सदी है। और इस संदर्भ में भारत की नयी शिक्षा नीति अपनी शिक्षा प्रणाली को छात्रों के लिए सबसे आधुनिक और बेहतर बनाने का काम कर रही है। इस शिक्षा नीति के माध्यम से हम सीखने की उस प्रक्रिया की तरफ बढ़ेंगे, जो जीवन में मददगार हो और सिर्फ रटने की जगह तर्कपूर्ण तरीके से सोचना सिखाए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में शिक्षा के अभूतपूर्व ढांचे को प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि हर बच्चा विशिष्ट है और उसकी क्षमताओं के आधार पर उसके विकास की बात नयी शिक्षा नीति करती है। पांचवी कक्षा तक, शिक्षा प्रदान करने के माध्यम के रूप में मातृभाषा को बढ़ावा देने की पहल, सरकार का एक महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय निर्णय है।

इस संगोष्ठी के दूसरे सत्र की अध्यक्षता महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति डॉ. गिरीश्वर मिश्र ने की। इस सत्र में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा और नेशनल लाइब्रेरी के पूर्व महानिदेशक डॉ. अरुण चक्रवर्ती ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस आयोजन में भारतीय संस्कृति संसद के अध्यक्ष डॉ. बिट्ठलदास मूंधड़ा एवं सचिव विजय झुनझुनवाला एवं राजेश दूगड़ भी मौजदू थे। संगोष्ठी का संचालन डॉ. तारा दूगड़ ने किया।

.

कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी

5 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments


डोनेट करें

जब समाज चौतरफा संकट से घिरा है, अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, मीडिया चैनलों की या तो बोलती बन्द है या वे सत्ता के स्वर से अपना सुर मिला रहे हैं। केन्द्रीय परिदृश्य से जनपक्षीय और ईमानदार पत्रकारिता लगभग अनुपस्थित है; ऐसे समय में ‘सबलोग’ देश के जागरूक पाठकों के लिए वैचारिक और बौद्धिक विकल्प के तौर पर मौजूद है।
sablog.in



विज्ञापन

sablog.in






0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x