नोवेल कोरोना वायरस से स्वयं भी सजग रहें व ग्रामीणों को भी जागरूक करें
- पुरुषोत्तम गुप्ता
नोवेल कोरोना वायरस आज विश्व के लिए बड़ी चुनौती है। कोरोना एक तरह का संक्रामक वायरस है, जिसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के जरिये फैलता है। कोरोना से सम्बन्धित जानकारी के लिए भारत सरकार द्वारा एक व्हाट्सएप नंबर +919013151515 जारी किया गया है। ऐसे में नोवेल कोरोना वायरस जैसे अत्यन्त प्रासंगिक विषय पर प्रखंड नौहट्टा अन्तर्ग्रत भाजपा आई टी सेल अध्यक्ष पुरुषोत्तम गुप्ता ने सबलोग टीम को खास बातचीत के क्रम में बताया की सभी को नोवेल कोरोना वायरस के रोक-थाम एवं उससे निबटने के लिए दक्ष और जागरूक होना अति आवश्यक है। पुरुषोत्तम गुप्ता ने कहा की भारत सरकार और राज्य सरकारों के प्रयास सराहनीय हैं और उनकी जितनी तारीफ की जाय कम है। प्रधानमन्त्री जी और उनके कार्यालय ने जो पहलकदमी और तत्परता दिखाई है, चाहे वो अपनी सीमाएँ अवरुद्ध करना हो अथवा बाहर फँसे अपने नागरिकों को मदद पहुँचानी हो, या देश के भीतर जागरूकता फैलाना हो, ये सारे प्रयास श्लाघ्य हैं और अनुकरणीय हैं। परन्तु ये नाकाफी हैं जबतक हम सभी देशवासी एकजुट होकर इसका मुकाबला नहीं करते। और ये एकजुटता हमें एक दूसरे के कंधे से कंधा मिलाकर नहीं एक दूसरे से कुछ मीटर दूर रहकर दिखानी है। प्रधानमन्त्री जी ने रविवार को जनता कर्फ्यू लगाने को कहा है, मैं चाहता हूँ कि इसका अभ्यास हम सब रोज करें।
घर पर रहिए और घर में हर सम्भव अपने बुजुर्गों से दूर रहने की कोशिश करिए। सम्भव है कि आप स्वस्थ होते हुवे भी इस वायरस के वाहक हों और आप में इसके लक्षण 10-12 दिन बाद दिखें यह ऐसा वायरस है। खतरा इस वायरस और इस बीमारी से उतना नहीं जितना इसके संक्रमण विस्फोट से है। इस बीमारी से ज्यादा घातक इसका अनुपात है जिस तेजी से यह फैल रही है। इस बीमारी से जूझकर अधिकतम लोग ठीक हो जायेंगे परन्तु यह हमारा जितना समय और संसाधन ले जायेगी उससे दूसरे अधिक जरूरतमंद लोग इसके ग्रास बनेंगे। जैसे दूसरी प्राणघातक व्याधियों के रोगी, सड़क हादसों के जख्मी, इस बीमारी से प्रभावित बुजुर्ग जो सामान्य जरूरतों के लिए लाचार हो जायेंगे। यह युद्ध दो स्तरों पर लड़ा जा रहा है। एक स्तर पर विश्व के श्रेष्ठतम दिमाग लगे हुवे हैं जो इसके इलाज और इसकी वैक्सीन की खोज में रत हैं। हमारे चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी, सफाई कर्मी और आवश्यक सेवाओं में लगे अधिकारी जो अपने जीवन का खतरा उठाकर इस बीमारी से सीधे लड़ रहे हैं। दूसरे स्तर का युद्ध इस बीमारी से सीधे न लड़कर इसके विस्फोटित होते अनुपात से लड़ना है। जो हम और आप लड़ सकते हैं। घरों में रहकर, बाहर न निकलकर। इस बीमारी के विस्तार को रोककर, इसके बढ़ते अनुपात को रोककर हम अपने रणव्यूह की प्रथम युद्धरत टुकड़ी (फर्स्ट लाइन ऑफ़ डिफेन्स) , अपने चिकित्सकों, नर्सों को सीधी मदद पहुँचा सकते हैं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हम सूपरमैन नहीं हैं कि हम सहज क्रियाकलाप करते रहेंगे और हमें कुछ नहीं होगा। ये सबको होना है।
इसलिए मेलों, आयोजनों पार्टियों, सामाजिक प्रदर्शनों में जाने से बचें। यह आपातकाल है, आपदधर्म का निर्वाह करिए। स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझने वाली विश्व की दूसरी सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा व्यवस्था / संरचना (इटली) इस समय घुटनों पर है। हमें सत्य से अवगत होना चाहिए कि हम विकासशील देश हैं और मौसमी डेंगू तक हमारी चिकित्सा व्यवस्था को हिला जाता है। हाइपोथर्मिया से सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती है। समय ने भारत को, हमें ये मौका दिया है कि अपनी सतर्कता, सजगता और आपस में विश्वास दिखा कर हम इस युद्ध में दूसरे देशो के सामने एक उदाहरण बन सकते हैं। समय ने हमें ये अ-पूर्व नियोजित अवकाश दिया है जिसमें हम एक दूसरे से बात करें, किताबें पढ़ें, एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएँ। अपने आसपास ऐसे लोगो़ को चिन्हित करें जिनकी शाम की रोटी दिन भर की मेहनत पर टिकी है और इस अघोषित लॉकडाउन का प्रहार जिनपर सीधा पड़ने वाला है, हम सुनिश्चित करें कि हमारे क्षेत्र के ग्रामीणों को इस सम्बन्ध में जागरूक करें। ये अवसर है कि संकट की इस घड़ी में अपने सारे मत मतान्तर एक तरफ करके, जरूरी सेवाओं में लगे हर कर्मीं का सहयोग करें।
लेखक एक समाजसेवी हैं व केन्द्र सरकार की जन्कल्यानकारी योजनाओं को आमजन तक पहुँचाते हैं|
सम्पर्क- +919522101000,