अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी साजिश का एक और शिकार

 

आखिर बांग्लादेश में भी सीआईए की भूमिका सामने आने लगी। बांग्लादेश का निर्माण जनता की इच्छा और गुटनिरपेक्ष भारत की सक्रिय सहायता से 1971 में हुआ था। अमरीका और सीआईए इससे बहुत परेशान थे। लेकिन 1975 में बदनाम अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने तख्तापलट संगठित किया और बांग्लादेश की आज़ादी के नायक बंगबंधु मुजीबुर्रहमान की हत्या करवा दी। मगर जनता ने फिर अमरीकी योजना और सेना के मंसूबों को परास्त करके जनतंत्र स्थापित किया।

पूरी बांग्लादेशी राजनीति अवामी लीग यानी जनता की लीग और बंगाल नेशनल पार्टी के रूप में लोकतंत्र और दक्षिणपंथ में बँट गयी। हर पूँजीवादी देश की तरह बांग्लादेश में भी लोकतांत्रिक राजनीति पूँजी के हित के अनुरूप, भ्रष्टाचार को साथ लिए हुए चलती रही। दक्षिणपंथी शासन के दौर आये तब अमरीका का दबदबा बहुत बढ़ गया, जनतंत्र का दौर आया तो कुछ स्वतंत्र नीतियाँ लागू हुईं।

बांग्लादेश में सीआईए की भूमिका

बंगाल पहले से पिछड़ा था। वहाँ स्वाधीनता संग्राम के समय से ही एक तरफ लोकतांत्रिक चेतना की ताकतें, दूसरी तरफ ब्रटिश परस्त साम्प्रदायिक ताकतें मौजूद थीं। 1946 में चुनाव के बाद बंगाल में मुस्लिम लीग और आरएसएस के प्रतिनिधि श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने मिलकर सरकार बनायी थी! मतलब यह कि साम्प्रदायिक शक्तियाँ आपसी भेदभाव भुलाकर निर्णायक घड़ी में एकजुट हो जाती हैं।

इधर पिछड़े बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई, जिसके लिए मुहम्मद यूनुस को नोबेल पुरस्कार मिला। नोबेल दिलाने में हिलेरी क्लिंटन का बड़ा योगदान रहा है क्योंकि यूनुस ने लाखों का चंदा उनके ट्रस्ट को दिया था। उसके बाद से मुहम्मद यूनुस का अमरीका में काफी प्रभाव बढ़ गया था। सीआईए भी उनके संपर्क में रही है। अभी जब आरक्षण को लेकर जनता का आक्रोश फूट पड़ा तब ब्रिटेन में बैठे हुए लोगों ने आंदोलन को हिंसक रूप देने की योजना बनायी। इन लोगों का सीआइए से सम्बंध था।

अब तो इस बात की रिपोर्ट आने लगी है कि तख्तापलट में सीआईए ही जिम्मेदार है और उसीने मुहम्मद यूनुस को राष्ट्रपति बनाने की योजना तैयार की है।

इसके साथ एक चक्र पूरा हुआ। भारत में इंदिरा गांधी की हत्या के पीछे सीआईए है। श्रीलंका में भंडारनायके की हत्या के पीछे सीआईए है। इंडोनेशिया में राष्ट्रपति सुकर्णो की हत्या सीआईए ने करायी। पाकिस्तान में भुट्टो को मौत के घाट सीआईए ने उतरवाया। बंग्लादेश में पहले मुजीब की हत्या और अब शेख़ हसीना का तख्तापलट सीआईए ने कराया।

क्या हम भारतवासी यह सोचते हैं कि एक समय दुनिया भर में बदनाम अमरीका ने मीन तिकड़मों से छवि सुधारी और हिरोशिमा-नागासाकी में एटम बम गिराने से लेकर विभिन्न देशों में खूनी तख्तापलट आयोजित करने में अमरीका किस तरह खलनायक का काम कर रहा है?

हमें अमरीकी षड्यंत्रों से सचेत रहने की ज़रूरत है। हम भारतवासी ही अमरीका के षड्यंत्रों का जवाब दे सकते हैं

.

Show More

अजय तिवारी

लेखक हिन्दी के प्रसिद्द आलोचक हैं। सम्पर्क +919717170693, tiwari.ajay.du@gmail.com
5 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Articles

Back to top button
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x