महेश कुमार
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Nov- 2022 -17 Novemberसमीक्षा
अणुशक्ति सिंह की कहानियों में महानगरीय जीवन का स्याह पक्ष
अणुशक्ति सिंह अपने उपन्यास ‘शर्मिष्ठा’ के कारण उपन्यासकार के रूप में चर्चित हुई हैं। उनका एक उपन्यास नोशन प्रेस पर ऑनलाइन प्रकाशित हुआ है जिसे 4.7 रेटिंग मिला है और 18,708 लोगों ने पढ़ा है। अणुशक्ति सिंह की चार…
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May- 2022 -9 Mayपुस्तक-समीक्षा
वैश्विक बहनापे की विरासत से परिचय कराती है ‘दुनिया में औरत’
सुजाता जी की यह किताब 2022 ई. में राजपाल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। इसमें भूमिका के अलावा कुल तेरह अध्याय हैं और स्त्रीवाद से जुड़े मौलिक किताबों की संदर्भ सूची भी है जो दुनियाभर भर में स्त्रियों के…
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Apr- 2022 -25 Aprilपुस्तक-समीक्षा
21वीं सदी के भारतीय लोकतन्त्र में पहचान की राजनीति की पड़ताल ‘सुलगन’
संविधान लागू हुए बहत्तर साल होने को है। सकारात्मक विभेद (positive discrimination) के जरिए मुख्यधारा के वंचित समाज और आदिवासियों के सामाजिक अधिकार को सुनिश्चित करने का वादा अबतक जुमला ही साबित हुआ है। दलितों और आदिवासियों पर जुल्म…
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Mar- 2022 -5 Marchसमीक्षा
जीवन के रंग में वापसी की प्रेम कहानी है ‘रंगों की रोशनी’
बिंज (bynge) पर मनीषा कुलश्रेष्ठ की लम्बी कहानी ‘रंगों की रोशनी में’ प्रकाशित हुई है। इधर स्त्रियों ने जब प्रेम सम्बन्धों पर लिखना शुरू किया है तो विषय और परिवेश दोनों में विविधता आयी है। ‘स्टापू’ जहाँ पौराणिक कथा…
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Feb- 2022 -10 Februaryपुस्तक-समीक्षा
प्रेम का साहचर्य पक्ष है ‘वह साल बयालीस था’
बिंज एप पर रश्मि भारद्वाज का उपन्यास ‘वह साल बयालीस था’ बयालीस एपिसोड में 2021 में प्रकाशित हुआ है। यह अब प्रिंट में सेतू प्रकाशन से आ गया है। हम सबने बचपन से यह सुना है कि प्रेम समर्पण…
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Jan- 2022 -20 Januaryपुस्तक-समीक्षा
यात्रा के बहाने स्थानीयता और राष्ट्रीयता को जोड़ने वाला सेतु है ‘सियाहत’
हिन्दी में यात्रा वृत्तांत खूब लिखे गए। लेकिन 21वीं सदी में अचानक सार्थक यात्रा वृत्तान्तों का अभाव सा हो गया। जो लिखे भी गए उनमें रोमानियत, पर्यटनवादी भावना और उपभोक्तावादी नजरिया हावी रहा जिसका मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा…
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Dec- 2021 -23 Decemberपुस्तक-समीक्षा
बलात्कार के विभिन्न पक्षों की पड़ताल है ‘नो नेशन फॉर वीमेन’
गणेशन. एन. देवी अपनी किताब ‘countering violence’ में हिंसा के पश्चिमी और पूरब के दार्शनिक आधारों की खोज करते हैं और क्रिमिनोलॉजी, न्यूरोलॉजी, जैविक और मनोवैज्ञानिक मान्यताओं से गुजरते हैं। इसी क्रम में वो ‘डर और अपराध’ (fear and…
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Nov- 2021 -30 Novemberस्त्रीकाल
प्रेम कहानी के केन्द्र में ‘बहनापे’ को प्रस्तुत करती ‘स्टापू’
स्टापू एक खेल है जिसे बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में छूकिता या कित-कित कहा जाता है। ईंट या खपरैल की बनी चौकोर गोटी होती है जिसे एक पैर से एक खाने से दूसरे खाने तक कित-कित करते हुए ले…
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16 Novemberसिनेमा
आदिवासियों के स्वाभिमान की लड़ाई है ‘जय भीम’
तमिल फिल्म ‘जय भीम’ जस्टिस चंद्रू के 1993 के एक केस पर आधारित है। यह फ़िल्म अपने वैचारिक पृष्ठभूमि, यथार्थपरक प्रस्तुति और अस्मितावादी सौंदर्य विधान के कारण सराही जा रही है। यह फ़िल्म असुरन और कर्णन के श्रेणी की…
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8 Novemberसामयिक
1913 का मानगढ़ संघर्ष, गोविंद गुरु की उपेक्षा और जलियांवाला हत्याकाण्ड : इतिहास और फ़िल्म निर्माण
संदर्भ : सरदार उधम सिंह फ़िल्म हाल में ही एक फ़िल्म आयी है ‘सरदार उधम सिंह’। अपने शानदार फिल्मांकन, संवाद और अभिनय कौशल के कारण अत्यंत सराही जा रही है। यह फ़िल्म जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) के बदले की…
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