गजेन्द्र कान्त शर्मा
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Apr- 2024 -3 Aprilपुस्तक-समीक्षा
अक्क महादेवी के बहाने एक मुक़म्मल किताब
21वीं सदी में जिस प्रकार एक वृत के अंदर बंद हो कर रहना मनुष्य की नियति है, उसी प्रकार वृत के संकीर्ण घेरे से बाहर निकल जाना भी उसकी प्रकृति है। मनुष्य अपनी ज्ञानपिपासा में अपने उस वृत के…
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Sep- 2022 -1 Septemberशख्सियत
एक अज़ीम शख़्सियत थे राही मासूम रज़ा
राही मासूम रज़ा के सबसे बड़े आलोचक प्रो. कुँवर पाल सिंह से मिलने अलीगढ़ जाना चाहता था। उनसे मिलना सिर्फ इसलिए नहीं चाहता था कि वे राही मासूम रज़ा के सबसे बड़े आलोचक हैं बल्कि इसलिए भी कि वे…
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Sep- 2021 -14 Septemberविशेष
भारत में अँग्रेजी राज के पाँव उखाड़ी थी हिन्दी
कांग्रेस के जन्म से लगभग ग्यारह वर्ष पहले 23 मार्च 1874 की ‛कवि वचन सुधा’ में स्वदेशी के व्यवहार के लिए एक प्रतिज्ञा-पत्र प्रकाशित हुआ था, जिस पर कई लोगों के हस्ताक्षर थे। तब महात्मा गांधी की उम्र लगभग…
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May- 2021 -13 Mayस्मृति शेष
अपने पुरखों में एक मौलाना हसरत मोहानी भी हैं
पाकिस्तान के करांची शहर में हसरत मोहानी नाम की एक बड़ी कॉलोनी है। वहाँ हसरत मोहानी नाम से एक बड़ी सड़क भी है। करांची में ही एक हसरत मोहानी मेमोरियल सोसाइटी है और एक हसरत मोहानी मेमोरियल लाइब्रेरी भी…
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Apr- 2021 -24 Aprilशख्सियत
राष्ट्रकवि दिनकर, राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व राष्ट्रवाद के खतरे
रामधारी सिंह दिनकर के सम्बन्ध में लगभग एक स्थापना सी बन चुकी है कि वे थोड़े-थोड़े सबको अच्छे लगते हैं। उनमें राष्ट्रवाद के भी तत्व हैं, गाँधीवाद और मार्क्सवाद के भी तत्व हैं। दिनकर के प्रायः आलोचक उन्हें थोड़ा…
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Mar- 2021 -4 Marchशख्सियत
मेहनतकश जनता के लेखक थे फणीश्वरनाथ रेणु
हिन्दी के महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु अगर होते तो आज 4 मार्च, 2021 को पूरे सौ साल के होते! बिहार के अररिया जिला में फारबिसगंज के निकट औराही हिंगना गाँव में 4 मार्च, 1921 को जन्मे हिन्दी के महान…
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Jan- 2021 -4 Januaryस्मृति शेष
हिन्दी के अजब दीवाने थे बाबू अयोध्याप्रसाद खत्री
आमतौर पर खड़ी बोली हिन्दी का जनक भारतेंदु हरिश्चंद्र को ही समझा जाता है। निश्चित ही भारतेंदु हरिश्चन्द्र को खड़ी बोली की गद्य-भाषा का स्वरुप स्थिर करने और गद्य की विविध विधाओं को स्थापित करने का श्रेय है। इसलिए उन्हें…
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