धनंजय कुमार
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Aug- 2021 -22 Augustशख्सियत
‘ज़ौक़’, उनकी शायरी और उनकी दुनिया
शेख मोहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’ (1788-1854) ज़ौक़, यानी शेख़ मुहम्मद इब्राहिम ‘ज़ौक़’, का नाम आते ही क्या विचार आता है? अन्तिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर के उस्ताद। ज़्यादातर उनके बारे इससे ज्यादा कोई याद नहीं रखता। इससे आगे कहने…
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Apr- 2021 -14 Aprilशख्सियत
डॉ आम्बेडकर और उनकी भारतीय विरासत
आमतौर पर डॉ बाबा साहेब भीम राव आम्बेडकर को एक दलित चिंतक, विचारक और सुधारक के रूप देखा जाता है। यही कारण है कि उनके विरासत का दावा दलित वर्ग बढ़-चढ़ के करता है। वहीं उनकी प्रासंगिकता अन्य सामाजिक…
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Mar- 2021 -7 Marchपश्चिम बंगाल
बारगी और समकालीन बांग्ला राजनैतिक संवाद
गब्बर का बहुचर्चित डायलोग है – यहाँ से पचास-पचास कोस दूर जब कोई बच्चा नहीं सोता तो माँ कहती है कि सो जा बच्चे, सो जा नहीं तो बारगी आ जाएंगे! डायलोग तो मिलता-जुलता है पर यह गब्बर की…
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Nov- 2020 -29 Novemberमुद्दा
किसान: त्रासदियों की कहानी
सभी जानते हैं कि यह किसान ही है जो सभी के लिए अनाज और सब्जियों का उत्पादन करते हैं। परन्तु क्या कभी कोई जीता-जागता किसान किसी दिन किसी न्यूज़ चैनल का हिस्सा बनता है? न्यूज़ तो एक बात है,…
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20 Novemberअध्यात्म
छठ पर्व – प्राचीन सूर्य उपासना की एक जीवित विरासत
प्रत्येक वर्ष करोड़ों लोग उत्तर भारत में कई नदियों, नहरों और तालाबों के घाटों पर सूर्य का मुख्य उत्सव मनाते हैं, जो कि वैदिक भारत पूजा-पद्यति की एक जीवित विरासत है। दिवाली के छह दिन बाद, कार्तिक मास के…
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Sep- 2020 -1 Septemberमुद्दा
मोटापा: भूमण्डलीय समाज का विमर्श
मोटापा समस्या के रूप में मानव विकास के इतिहास मे एक नया प्रकरण है। पिछले छह दशकों में सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी बदलावों से दुनिया के लगभग प्रत्येक भागों मे जीवन जीने का तरीका पूर्ण रूप से बदल गया…
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Aug- 2020 -21 Augustमुद्दा
कोविड-19 के नामकरण का विवाद
मानव समाज में घटनावों का नाम और उनका नामकरण अपने आप में महत्वपूर्ण होता है। केवल ऐतिहासिक कारणों से ही नहीं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तो महत्वपूर्ण होती ही है। इसके साथ-साथ नामकरण की एक प्रक्रिया होती है जिसके पीछे कुछ…
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2 Augustसंस्कृति
मित्रता और संस्कृति
मैथिली शरण गुप्त जी ने बहुत ही खूबसूरती से निम्नलिखित पंक्तियों मे मित्रता को परिभाषित किया है: ‘तप्त हृदय को, सरस स्नेह से, जो सहला दे, मित्र वही है। रूखे मन को, सराबोर कर, जो नहला दे, मित्र वही…
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