आनंद पाटील
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Apr- 2022 -6 Aprilसंस्मरण
‘जय श्रीराम’ नारा नहीं, हिन्दू समाज को एकता के सूत्र में बाँधने वाला मंत्र
कोरोना काल की दूसरी लहर के दौरान लम्बे समय बाद लम्बे समय के लिए महाराष्ट्र में अपने पुश्तैनी गाँव में रहने का अवसर मिल गया था। पहले शिक्षा-दीक्षा के कारण और बाद में आजीविका की खोज में दर-दर भटकते…
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Mar- 2022 -20 Marchव्यंग्य
आचार्य घसीटाराम श्रेष्ठ का बौद्धिक कुचक्र
(हिजाब विवाद विशेष) प्रायोजित ‘हिजाब विवाद’ पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए स्कूल यूनिफॉर्म को उचित ठहराया और हिजाब पर प्रतिबन्ध के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाएँ पूरी तरह खारिज कर दीं। न्यायालय ने यह भी…
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Feb- 2022 -16 Februaryसमाज
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र द्वारा ‘तंजावुर उत्सवम्’ का ऐतिहासिक आयोजन
भारत की एकता और अखण्डता पर कई व्याख्यान सुने परन्तु प्रदर्शनकारी कलाओं में व्याप्त दृश्य प्रमाणों ने उन बातों को अधिक व्यापक और दृढ़ बना दिया है। जो कहते हैं कि भारत एक नहीं, दो या अनेक हैं, वे…
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Nov- 2021 -16 Novemberचर्चा में
स्वराज्य, स्वदेशी से स्वभाषा तक : लोकभोग्यता का प्रश्न एवं चिंतन
घनघोर अज्ञानांधकार, तिस पर हद दर्जे के अहंकार (मूर्खता) से लबालब भरे स्वार्थांध हिंदी के प्रोफेसरों (आचार्य?) को शिव नगरी, सनातन धर्म नगरी, ज्ञान नगरी काशी में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार, दि. 13 नवंबर 2021…
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6 Novemberसिनेमा
सामाजिक बाह्य-आंतरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फ़िल्म ‘जय भीम’?
फ़िल्मों का क्या है, बनती हैं और कुछ दिनों तक छोटे-बड़े पर्दे पर उसकी ‘रील’ (reel) चलती है। कल्पित ‘रियल’ (real) वास्तविक यथार्थ को (समाज) कितना प्रभावित करपाता है? वह भी ऐसे समय में, जब प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन…
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Jul- 2021 -14 Julyसाहित्य
‘सत्ता और संस्कृति’ के बहाने दुर्दशाग्रस्त हिन्दी साहित्य विभागों पर कटाक्ष
जब-जब लिखने से मन ऊब जाता है, तो मैं अपने पुस्तकालय से पुरानी पुस्तकें निकाल लेता हूँ, जिनके कुछेक अंश मैंने कभी यथावश्यकता पढ़े थे और फिर समय के साथ भूल भी गया। भूलने के लिए कुछ करने की आवश्यकता…
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May- 2021 -30 Mayधर्म
भारतीय तत्व–चिन्तन का प्राणतत्व : पंथी होकर भी पंथ–निरपेक्ष!
गुरु नानक देव का चिन्तन ‘इक ओंकार सतनाम’ से ‘सर्वेश्वरवाद’ तक जो व्यक्ति अथवा देश अपना सर्वस्व (ज्ञानानुशासन–परम्परा) बिसरा दे और अपने गुरुओं की शिक्षा (ज्ञान!) से अत्यंत दूर चला जाए, उसे पुनः अपने अंतस में झाँकने और…
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Jan- 2021 -18 Januaryप्रसंगवश
प्रभु! तेरे ‘रामलिंगम’ के देस में ‘कितनी शांति कितनी शांति!’
यह कहानी नहीं है। इसे लेख कहना भी कितना युक्तियुक्त होगा मैं नहीं जानता। वैसे यह पूरी तरह से संस्मरण भी नहीं है। इसमें विरोधाभासों से युक्त जीवन की आलोचना भी है और वर्तमान समय–संदर्भ में जीवन को देखने…
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14 Januaryएतिहासिक
मैं और महाराज : स्मृतियों से एक कथांश
कथा कहूँ या इतिहास, नहीं पता! हाँ, संभवतः बचपन की कथा-स्मृतियों से एक अमूल्य विचार-रत्न कहूँ तो अधिक संगत एवं स्वीकार्य हो! अपने पहले ही अभियान में आततायी मुगल सल्तनत को शिकस्त देने के पश्चात छत्रपति शिवाजी महाराज जब…
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Feb- 2020 -29 Februaryदेश
भारतीय ज्ञान–परम्परा : जनहित–राष्ट्रहित की सिद्धि
(युवाओं के नाम एक और जागरण संदेश) अस्तबल में बंधे–बंधे घोड़ा बिगड़ता है। बिना सैन्य अभ्यास के जवान बिगड़ता है। बिना भाँजे म्यान में रखी तलवार धार खो देती है। बिना सफ़ाई के बंदूक अवरुध्द हो जाती है। बिना…
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