राहुल सिंह
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Apr- 2021 -16 Aprilदेशकाल
गोदी मीडिया, आईटी सेल और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी
गोदी मीडिया, आईटी सेल और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की तिकड़ी इस देश में इतनी शक्तिशाली हो गयी है कि वह कोई भी ‘नरेटिव’ कभी भी स्थापित कर के निकल ले रहे हैं। उसके बाद सत्यता की कसौटी पर गलत पाये…
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Feb- 2021 -3 Februaryदेशकाल
शतरंज के खिलाड़ी: कहानी बनाम सिनेमा
इधर ‘शतरंज के खिलाड़ी’ को दोबारा देखने के मौका निकल आया। और इस बार देखते हुए इस बात का भान हुआ कि कहानी भले प्रेमचंद की रही हो, लेकिन सिनेमा के धरातल पर वह प्रेमचंद से ज्यादा सत्यजित राय…
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Jan- 2021 -17 Januaryदेशकाल
साहस और प्रमाण से अब भी दुनिया को बदला जा सकता है
इस्लामिक स्टेट की कुछेक कहानियाँ जो छन कर हम तक पहुँची हैं। उससे उनकी बर्बरता और क्रूरता का कुछ-कुछ अनुमान हम कर सके थे। लेकिन नादिया मुराद की इस्लामिक स्टेट की कैद में गुजारे दिनों के संस्मरण हिटलर की…
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Jun- 2019 -19 Juneपर्यावरण
बढ़ता तापमान, बढ़ती आबादी, घटता जल, घटता जीवन
धरती का बढ़ता तापमान जिस ढंग से हमारी चिन्ता का विषय होना चाहिए, उस ढंग से होना तो दूर उसका हम संज्ञान तक लेने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। बिना किसी तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता के आम शब्दों…
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8 Juneमुद्दा
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी
अभी एकाध सप्ताह पहले किसी ने फेसबुक के अपने पोस्ट में एक सवाल पूछा कि आखिर 2014 के बाद के भारत में ऐसा क्या मिल रहा है जो 2014 के पहले के भारत में नहीं मिल रहा था। बहुत…
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May- 2019 -1 Mayझारखंड
गोड्डा का चुनावी समर
कन्हैया और बेगूसराय की सीट ने 2019 के लोकसभा चुनावों में ऐसी केन्द्रीयता अर्जित कर ली है कि अन्य उल्लेखनीय लोकसभा सीटों पर बातचीत की सूरत भी नहीं बन पा रही है। 2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ऐसी…
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Apr- 2019 -12 Aprilराजनीति
मोदी है तो मुमकिन है
2019 के चुनावों की तिथि घोषित होने के साथ ही नरेन्द्र मोदी देश के पहले प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जो विगत पाँच वर्षों से लगातार चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। इसके साथ ही वे देश के वैसे पहले प्रधानमन्त्री…
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Mar- 2019 -23 Marchदेशकाल
नई वाली हिन्दी के कारनामे
रवीन्द्र कालिया के दौर में युवा पीढ़ी का एक शोर मचा था। फिर एक युवा पीढ़ी भी सामने आई थी। अब दुबारा एक वैसा ही शोर ‘नई वाली हिन्दी’ के नाम पर साहित्यिक हलकों में फिर से है। विशेषकर…
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Jan- 2019 -16 Januaryदेशकाल
जैसी बची है वैसी की वैसी बचा लो यह दुनिया
नयनाभिराम सौंदर्य का अविराम और अप्रतिम फिल्मांकन। इस कदर खूबसूरत की यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि यह चित्र हैं या जीवंत दृश्य, लेकिन मन में उठते इन संदेहों को उस दृश्य में उड़ता कोई पाखी…
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Dec- 2017 -10 Decemberसाहित्य
आत्मकथाओं और संस्मरणों के बहाने
इन दिनों एक नियमित अंतराल पर हिन्दी में आत्मकथाओं और संस्मरणों के प्रकाशन का सिलसिला चल निकला है। हर गुजरते साल के साथ ऐसी एकाध दर्जन रचनायें सामने आ रही हैं। कहना ना होगा कि दलित आत्मकथाओं के लगातार…
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