‘बँटेंगे तो कटेंगे’ से ‘सत्ताइस के सत्ताधीश’ तक
उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर हो रहे उप चुनाव का रिजल्ट तो नवम्बर महीने के अंत तक आएगा। किसका पलड़ा भारी होगा और किसका हल्का, यह भी भविष्य के गर्भ में है, पर एक नई बात जो उभर कर सामने आई, वह है इस बार का अजीबो गरीब ‘पोस्टर वॉर’। ‘पोस्टर वॉर’ राज्य के अलावा देश- विदेश में खूब चर्चा का विषय बना। ‘बँटेंगे तो कटेंगे’ से शुरू यह लड़ाई ‘जुड़ेंगे तो बचेंगे’ से होते हुए ‘न कोई बंटेगा न कोई कटेगा’, ‘मठाधीश बाटेंगे और काटेंगे’, ‘पीडीए जोड़ेगी और जीतेगी’ ‘सत्ताइस के सत्ताधीश’ तक जा पहुंची। तरह तरह के ये नारे मंचीय भाषणों तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि राजधानी लखनऊ से लेकर कई शहरों और उप नगरों में बकायदे होर्डिंग और पोस्टर की शक्ल में दिखे, जो सियासी क्षेत्र से लेकर आमजन के लिए किसी अजूबा से कम नहीं रहे। चुनाव प्रचार के आखिरी समय एक और नया नारा खूब चर्चा का विषय बना- ‘जहाँ दिखे सपाई, वहाँ बिटिया घबड़ाई’। ऐसे होर्डिंग्स और नारे चुनावी मिजाज को बदलते रहे। इन सबने ध्रुवीकरण की राजनीति और जातीय गोलबंदी को भी मजबूत किया। इस बार अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी बयानबाजी भी खूब चर्चा में रही।
8 नवम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि करहल की सभा में अखिलेश यादव पर निशाना साधा। बोले – बबुआ अभी बालिग नहीं हुआ। काफी नासमझ है। योगी ने कहा, मुलायम सिंह यादव पूरे जीवनभर जिस काँग्रेस के खिलाफ रहे, अखिलेश उसी काँग्रेस के साथ हैं। करहल में जनसभा करने पहुंचे अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा – योगी बाबा जिस तरह की भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं वो किसी संत की भाषा नहीं लगती। 9 नवम्बर को प्रयागराज के फूलपुर में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा करने आए योगी आदित्यनाथ ने फिर सपा को निशाने पर रखा। सपा को ‘माफिया अपराधियों का प्रोडक्शन हाउस’ तक की संज्ञा दे डाली। अखिलेश यादव ने एक जनसभा में योगी आदित्यनाथ की दिमागी दशा को खराब बता दिया। 16 नवम्बर को फूलपुर विधानसभा क्षेत्र के कसेरुआ पहुंचे मुख्यमंत्री योगी ने फिर एक बार समाजवादी पार्टी को निशाने पर रखा। कहा, भारतीय जनता पार्टी राजनीति को सेवा भाव से देखती है और इसी नीति पर कार्य भी कर रही है, जबकि समाजवादी पार्टी- सबका साथ और केवल सैफई परिवार का विकास – की नीति पर काम कर रही है। योगी ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश को दंगा मुक्त बनाने की नीति पर हम काम कर रहे हैं। योगी ने जनसभा में सवाल उठाया कि आखिर दुर्दांत अपराधी और माफिया समाजवादी पार्टी के गले के हार क्यों बने रहते हैं? बहरहाल, वार-पलटवार की ‘जुबानी जंग’ के बीच इस बार के उप चुनाव ने ठंड के इस मौसम में भी माहौल में गर्मी पैदा कर दी।
यूपी मॉडल वाया योगी मॉडल
उत्तर प्रदेश के इस बार के उपचुनाव में गुजरात मॉडल से ज्यादा यूपी मॉडल या यूं कहें कि योगी मॉडल की चमक दमक और हनक का बोलबाला रहा है। कभी महाराज नाम से चर्चित और हिन्दू फायर ब्रांड नेता के रूप में एक खास पहचान रखने वाले योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी के प्रमुख रहे। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने साफ किया – ‘केवल ईद-बकरीद पर ही चौबीस घंटे बिजली की सप्लाई बाकी दीपावली में बिजली का अंधेरा – अंधेरगर्दी की ये परंपरा नहीं चलने दी जाएगी। हिंदुओं के पर्व त्यौहार पर बिजली कटौती बर्दाश्त नहीं होगी। पहली बार कांवड़ यात्रा में कांवरियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए। उत्तर प्रदेश में एक नई किस्म की राजनीति ने करवट लेना शुरू किया।
देश के सबसे बड़े राज्य माने जाने वाले उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक मंचों पर ललकारना शुरू किया कि बहन बेटियों की इज्जत करना सीखो, जिस चौराहे पर बदतमीजी या छेड़खानी करोगे, उसके अगले चौराहे पर पुलिस रूपी यमराज खड़ा मिलेगा, जो सीधे जहन्नम पहुंचाएगा। इन सब बातों ने न सिर्फ जनमानस में असर डाला, बल्कि योगी को मजबूत भी किया। वरिष्ठ पत्रकार आशीष बाजपेई कहते हैं – उत्तर प्रदेश के योगी मॉडल की चर्चा जोर पकड़ चुकी है। वो याद दिलाते हैं कि करीब दशकभर पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल की चर्चाओं ने न सिर्फ सत्ता परिवर्तन किया, बल्कि देश की राजनीति में मोदी को मजबूती के साथ स्थापित भी किया। अब उसी तर्ज पर यूपी मॉडल या कहा जाए कि योगी की ब्रांडिंग शुरू हो गई है। इस मॉडल की परख हरियाणा के बाद झारखण्ड, महाराष्ट्र में भी शुरू कर दी गई है।
काँग्रेस का चुनाव न लड़ना भी फैक्टर
उपचुनाव में काँग्रेस किसी भी सीट पर इस बार चुनाव नहीं लड़ रही है। काँग्रेस का चुनाव न लड़ना भी एक अहम फैक्टर के रूप में देखा जा रहा है। पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में बेहतर नतीजे आने के बाद काँग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ा। इस बार विधान सभा उपचुनाव में एक भी सीट पर चुनाव न लड़ने से पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह धीमा पड़ा है। काँग्रेस संगठन के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसा लगता है कि काँग्रेस ने चुनावी जंग में पहले ही हथियार डाल दिया है।
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में काँग्रेस को महज एक सीट मिली थी, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में काँग्रेस ने छह सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार के उपचुनाव में काँग्रेस पहले पांच सीटें मांग रही थी पर इंडी गठबंधन उसे गाजियाबाद और खैर दो सीटें देने का पर राजी हो रहा था। बताया जा रहा है कि ये दोनों भाजपा की मजबूत सीटें मानी जाती हैं। काँग्रेस ने यहाँ प्रत्याशी उतारने से साफ मना कर दिया। सीटों के बंटवारे को लेकर मामला नहीं बन सका। आखिरकार काँग्रेस को विधानसभा चुनाव में किसी भी सीट पर चुनाव न लड़ने और गठबंधन प्रत्याशियों को सहयोग करने का फैसला लेना पड़ा।
चुनाव में बसपा की भूमिका
इस बार उत्तर प्रदेश में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में सबसे महत्वपूर्ण बात ये रही कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पहली बार उपचुनाव लड़ने मैदान में उतरी। जानकार बताते हैं कि इसके पहले बसपा ने किसी भी उपचुनाव में नहीं लड़ा। बसपा संगठन से जुड़े सूत्रों का इसके पीछे तर्क है कि मैदान छोड़कर भागने से ज्यादा बेहतर है मैदान में डटकर लड़ना, परिणाम चाहे जो भी हो – पार्टी इसी रणनीति पर कार्य कर रही है। हालांकि प्रयागराज जिलाध्यक्ष पंकज गौतम दावा करते हैं ‘विधानसभा उपचुनाव मजबूती से लड़ रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतेंगे भी। ‘ उधर, ग्यारह नवम्बर को सपा मुखिया अखिलेश यादव मुरादाबाद में आजम खां के घर जाकर प्रदेश की सभी सीटों पर मुस्लिम बिरादरी को साध गए। कुंदरकी में सपा प्रत्याशी के समर्थन में जनसभा करने के बाद आजम खां के घर पहुंचे। उनके परिजनों से मुलाकात कर सबकी खैरियत पूछी। आवास पर करीब पंद्रह मिनट रहे। मीडिया से कहा कि आजम के साथ भाजपा सरकार अन्याय कर रही है। जनसभा में भी सपा मुखिया ने आजम खां और जौहर विश्वविद्यालय का जिक्र किया। जानकारों का मानना है कि इसके जरिए अखिलेश ने यह सियासी संदेश देने की कोशिश की कि सपा और मुलायम सिंह यादव का परिवार आज भी आजम खां का हितैषी है। लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर अखिलेश यादव और आजम खां आमने सामने आ गए थे।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश में हो रहे नौ सीटों के विधानसभा उपचुनाव को लेकर इंडी गठबंधन, एनडीए, बसपा ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। चुनाव का परिणाम तो भविष्य के गर्भ में है पर महत्वपूर्ण यह है कि इस बार उत्तर प्रदेश का विधानसभा उपचुनाव तीखी बयानबाजी के रूप में याद किया जाएगा और यह यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाजपा में कद भी तय करेगा।