थोड़ी हल्की थोड़ी गंभीर ‘तीन दो पांच’
{Featured in IMDb Critics Reviews}
निर्देशक – अमिताभ वर्मा
कास्ट – श्रेयस तलपड़े, बिदिता बाग, बृजेंद्र काला, शांतनु अनम, आकाशदीप अरोड़ा, शीबा चड्ढा आदि
रिलीजिंग प्लेटफॉर्म – डिज़्नी प्लस हॉट स्टार
एक दम्पति सात साल से बच्चे होने की आस में बैठे हैं। सात साल बाद वे फैसला करते हैं कि अपने परिवार को पूरा करने के लिए उन्होंने बच्चे पैदा करने की खूब कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। सो अब एक बच्चा गोद ले लिया जाए। चलो जी हो गई फैमली पूरी। अजी अभी कहाँ। आपको बड़ी जल्दी है। ठहरिए हंसी-मजाक और मस्ती के साथ-साथ थोड़ा इमोशनल ड्रामा भी तो देखिए।
अब हुआ ये कि गए एक बच्चा गोद लेने लेकिन अनाथालय की संचालिका ने कहा कि दरअसल जिस बच्चे को आप गोद ले रहे हैं वो ट्रिपलेंट हैं। मतलब तीन बच्चे एक साथ पैदा हुए थे। जुड़वा तो आम सुनते ही हैं लेकिन कभी-कभी हम यह भी सुनते हैं कि तीन या उससे भी ज्यादा बच्चे एक साथ पैदा हुए। खैर कागजी कार्यवाही पूरी करके तीनों बच्चों को वे दम्पति घर ले आते हैं। मस्ती मजाक के बीच कहानी आगे बढ़ती है और कुछ ही महीने बाद खबर मिलती है कि वे दम्पति मां-बाप बनने वाले हैं। लो जी फैल गया रायता।
कहाँ तो एक बच्चा नसीब नहीं था अब तीन बच्चे गोद लेने के बाद एक बच्चा और पैदा हो रहा है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब पैदा होने वाले बच्चे भी जुड़वां होते हैं। अरे भाई मजाक चल रहा है। कसम से मजाक चल रहा है। तीन बच्चे गोद लिए अब दो बच्चे खुद के हो गये। कहानी तो मजेदार और दिलचस्प है रे कालिया।
लेकिन अब गड़बड़ ये है कि जो बच्चे गोद लिए थे वे शैतानियां करते हैं नये आए मेहमानों को नोच लेते हैं। अब माँ की ममता अपने बच्चे को लेकर जोर मारने लगती है सो वे फैसला करते हैं कि अनाथालय से जो बच्चे वो लोग लेकर आये थे उन्हें वापस कर देंगे। अगेन मज़ाक।
बच्चे वापस कर दिये तो हफ्ते भर बाद फिर ममता जाग गयी उन बच्चों को जिन्हें छोड़कर आये थे। मां कसम जितना फ़िल्म को देखते हुए हंसी नहीं आई उतना आपको फ़िल्म की कहानी सुनकर हंसी आएगी। कुलमिलाकर फ़िल्म में मस्तियाँ है , मजाक तो है ही पूरी फिल्म में लेकिन इमोशंस का भी खूब तड़का लगाने की कोशिश की गयी।
अभिनय के मामले में कोई भी कलाकार ज्यादा प्रभावित नहीं करता। बिदिता बाग ने इससे पहले ‘द शोले गर्ल’ फ़िल्म से जरूर प्रभावित किया था। लेकिन इस फ़िल्म में वे कमजोर नजर आई। विशाल के पिता बने अखिलेन्द्र मिश्रा जरूर बेहतर लगे। एक्टिंग फ़िल्म की कहानी के हिसाब से सबकी औसत कही जा सकती है। एडिटिंग के क्षेत्र में कसावट महसूस की जाती है। कहानी में जो रायता फैला हुआ है उसका स्वाद बढ़ाने के लिए कुछ मसाले रायते में और तीखे होने चाहिए थे।
निर्देशक के लिए भी कुछ सुझाव देने चाहिए मसलन उन्हें कहानी को और अच्छे से दिखाया जाना चाहिए था। लोकेशन, सेट, ड्रेस डिजाइन जरूर फ़िल्म के अनुरूप है। गीत – संगीत ज्यादा है नहीं लेकिन कायदे से इस वेब सीरीज को फ़िल्म ही रहने दिया जाता तो बेहतर होता। 10 से 15 मिनट के छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर फ़िल्म को सीरीज बनाने के कारण ही इसका असर कम पड़ता है। इस वेब सीरीज को डिज्नी प्लस हॉट स्टार पर देखा जा सकता है।
इस वेब सीरीज को डिज़्नी प्लस हॉट स्टार पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।
अपनी रेटिंग – 2.5 स्टार
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