santosh baghel
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दिवस
त्रिभाषा सूत्र और हिन्दी
भारतीय सभ्यता के विकास के साथ-साथ भाषा भी विकसित और परिमार्जित होती चली आ रही है। मानव जीवन का एक मूल्यवान धरोहर हमारी भाषा ही है। भाषा की समझ के साथ ही मानव जीवन का विकास सम्भव हो पाया…
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शख्सियत
उपन्यास विधा और प्रेमचन्द
हिन्दी साहित्य की जब भी बात होती है, तब सबसे पहले हमारे जहन में जिनकी छवि उभरती है, वे है प्रेमचन्द। हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के अलावा अन्य साहित्य प्रेमी भी प्रेमचन्द को ही सबसे लोकप्रिय साहित्यकार मानते हैं।…
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सामयिक
जिन्दगी और इन्स्टालमेंट कहानी का ‘चौधरी’
वर्तमान समय में अधिकांश मनुष्य भौतिकवादी जीवन जीने का आदी हो चुके हैं। इन भौतिक सुख-सुविधाओं के अभाव में एक कदम भी चलना, ऐसा प्रतीत होने लगा है, जैसे पहाड़ काटकर रास्ता निकालना। आधुनिक जीवन शैली कुछ हद तक…
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साहित्य
आधुनिक दौर में अंधा युग का अश्वत्थामा
लॉकडाउन के दौरान जब से सरकारी चैनलों पर पौराणिक धारावाहिकों का प्रसारण होने लगा, तब से रामायण और महाभारत पर पुन: विमर्श शुरू हो गया है। दोनों ही कथाओं पर लोगों ने नए सिरे से सोचना प्रारंभ कर दिया…
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शख्सियत
बीहड़ में तो बागी होते हैं
इस कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने हमारे जीवन को पहले ही कई परेशानियों में डाल रखा है। इस बीच अधिकांश लोगों का सबसे बड़ा सहारा टीवी ही बना हुआ है। 29 अप्रैल में टीवी पर एक ऐसी बुरी खबर…
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साहित्य
महामारी के बीच मैला आँचल के डॉ. प्रशान्त
फिल्म और साहित्य को तो सदियों से ही समाज के दर्पण के रूप में पहचान मिली हुई है। फिल्म और साहित्य दोनों समाज से जुड़े विभिन्न पक्षों को निरन्तर दिखाता रहा है। वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें, हर तरफ…
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सामयिक
मोहन राकेश की ‘सावित्री’ और समकालीन स्त्री विमर्श
भारतीय समाज की कल्पना स्त्री और पुरूष की स्थापना के साथ ही होता है, जहाँ पितृसत्ता का वर्चस्व प्रारम्भ से अब तक बना रहा है। पुरूषों की पितृसत्तात्मक सोच आज भी कई मामलों में वैसी ही दिखाई पड़ती है…
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साहित्य
प्रेमचंद का साहित्यिक चिन्तन
यों तो प्रेमचंद जैसे कालजयी लेखक को तब तक नहीं भूला जा सकता है जबतक साहित्य से लोगों का नाता रहेगा। लेकिन उनके जन्मदिवस पर उनके साहित्य का स्मरण इसीलिए और भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि प्रेमचंद के…
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