अज्ञेय
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शख्सियत
राजनीति, साहित्य और स्वाधीनता
क्या राजनीतिक स्वाधीनता और साहित्यिक स्वतन्त्रता में कोई अन्तर है? क्या भारत में साहित्यकारों ने भी स्वतन्त्रता उसी समय पाई जब भारत राजनीतिक रूप से स्वाधीन हुआ, यानि 15 अगस्त, 1947 को? आम तौर पर लेखकीय स्वतन्त्रता को देश…
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सामयिक
भाषा का नवाचार या भ्रष्टाचार
कभी अज्ञेय ने, ख़ासकर साहित्य के संदर्भ में, शब्दों से उनके छूटते व घिस चुके अर्थों से व्यग्र होकर लिखा था – “ये उपमान मैले हो गए हैं। देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच। कभी वासन अधिक…
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पुस्तक-समीक्षा
‘जीते जी इलाहाबाद’ : जहाँ सत्य से आँखें दो-चार होती हैं!
दो दिन पहले ही ममता कालिया जी की किताब ‘जीते जी इलाहाबाद’ हासिल हुई और पूरी किताब लगभग एक साँस में पढ़ गया। इलाहाबाद का 370 रानी मंडी का मकान। नीचे प्रेस और ऊपर रवीन्द्र कालिया-ममता कालिया का घर…
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