अनुराधा गुप्ता
-
Oct- 2022 -3 Octoberदेश
स्वाधीन भारत के पचहत्तर वर्ष और उसके अन्तर्विरोध
“कौन आज़ाद हुआ? किस के माथे से ग़ुलामी की सियाही छूटी, मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का मादर-ए-हिन्द के चेहरे पे उदासी है वही” मशहूर शायर अली सरदार जाफ़री द्वारा लिखी यह नज़्म आज़ाद भारत और आज़ादी…
Read More » -
Jul- 2022 -1 Julyसामयिक
भाषा का नवाचार या भ्रष्टाचार
कभी अज्ञेय ने, ख़ासकर साहित्य के संदर्भ में, शब्दों से उनके छूटते व घिस चुके अर्थों से व्यग्र होकर लिखा था – “ये उपमान मैले हो गए हैं। देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच। कभी वासन अधिक…
Read More » -
Dec- 2021 -14 Decemberशख्सियत
मन्नू भंडारी : शृंखला की एक और कड़ी का अवसान
15 नवम्बर 2021, की दोपहर हिन्दी जगत के एक जाने-माने सम्पादक द्वारा मिली प्रिय लेखिका मन्नू भंडारी के निधन की ख़बर ने भागते समय को मानो थाम सा लिया। खबर के स्रोत पर संदेह का प्रश्न नहीं था बावज़ूद…
Read More » -
Apr- 2020 -21 Aprilसामयिक
छटपटाते भारतीय प्रवासी मजदूर
1789 की फ्रांस क्रान्ति की बड़ी वजहों में निःसन्देह ब्रेड (रोटी/अन्न) की गहरी व गम्भीर भूमिका रही है। फ़्रांस के राजा लुइस सोलहवीं की पत्नी रानी मैरी-एन्टोयनेट का, क्षुब्ध, असन्तुष्ट तथा अन्न के अभाव से त्रस्त जनता की ब्रेड…
Read More »